Diwali Par Kis Jagah Rakhe Diya: दिवाली पर कहां रखें दीप,मां लक्ष्मी देंगी धन, जानिए सामग्री-विधि व दीपावली पर बही खाता पूजन का महत्व
Diwali Par kis jagah rakhe Diya: दीपावली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन का विधान है। इनकी पूजा से सुख समृद्धि बढ़ती है।घर के इन कोनों पर दिवाली के दिन दिया जरूर जलाना चाहिए इससे सदैव समृद्धि बढ़ती है। और मां लक्ष्मी कभी भी साथ नहीं छोड़ती है।
Diwali Par Diya Kaha Rakhe
दिवाली पर दिया कहां रखें दीपक
दिवाली पर सभी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते है। धन की देवी लक्ष्मी का पूजन कर श्रद्धालु धन-धान्य का वर मांगते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु दिवाली पर उनकी पूजा करते हैं। इस साल दीपावली 24अक्टूबर को है। ऐसे में दिवाली पर घर के किस कोणे में दिया रखें की मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी जानिए...
दीपावली लक्ष्मी पूजन से संबंधित पर्व है। इस अवसर पर हर कोई लक्ष्मी जी को प्रसन्न कर धन-धान्य से परिपूर्ण होना चाहता है। इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय, कारखाना, प्रतिष्ठान में लक्ष्मी जी का पूजन कर उनका स्वागत किया जाता है। अमीर हो या गरीब, अपनी हैसियत के हिसाब से अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीदता है। घरों-प्रतिष्ठानों को सजाया जाता है और साफ-सफाई करके घर-बार चमकाया जाता है।
दिवाली पर यहां जलाएंंगें दिए तो लक्ष्मी की बरसाएंगी धन
मां लक्ष्मी की कृपा का पात्र बनने के लिए सर्वप्रथम एक बड़ा दीया मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने अवश्य जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया घी का ही हो तथा यह पूरी रात प्रकाशित होता रहे। घर के अन्य स्थानों पर तेल के दीए जलाए जा सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में लक्ष्मी का वास हो या देवी लक्ष्मी की कृपा आपके घर पर बनी रहे तो घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीए अवश्य जलाएं। वहीं जो लोग आर्थिक रूप से परेशानी झेल रहे हैं या कर्ज में डूबे हुए हैं तो दीवाली के दिन चौराहे पर एक दिया जलाएं और घर वापिस आ जाएं। लेकिन ध्यान रहे कि चौराहे पर दीपक जलाने के बाद आपको वापिस पीछे मुड़कर नहीं देखना है।
- दिवाली के दिन दीये मिट्टी के जलायें। घर का वास्तु दोष दूर करने के लिए इसमें लाल रंग की बाती रखें। इससे संकट समाप्त हो जाते हैं। दीपावली पर दीये लगाते समय उनकी संख्या 11, 21, 31 आदि होनी चाहिए।
- सबसे पहले एक बड़ा घी का दीपक मां लक्ष्मी की तस्वीर के सामने जलाएं। उसके बाद घर को तेल के दीपक से सजाएं। घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- घर के आंगन में घी का दीपक रखना चाहिए। घर के आस-पास वाले चौराहे पर भी दीपक जलाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से दरिद्रता दूर होती है। घर के आस-पास यदि कोई मंदिर है तो वहां पर भी दीपक जलाना चाहिए।
- दीपावली की रात्रि पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। सोई में घी का दीपक गैस के चूल्हे के दोनों ओर जलाएं, ऐसा करने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। घर के द्वार पर रंगोली सजाएं और वहां दीपक जरूर जलाएं। घर की चौखट पर कुमकुम-हल्दी का टीका करके मां लक्ष्मी के लिए तेल का दीपक जलाएं।
- घर में तो दीपक जलाते हैं लेकिन मंदिर जाना भूल जाते हैं। दीपावली की शाम घर के साथ−साथ मंदिर जाकर वहां पर भी दीए अवश्य जलाने चाहिए। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पति−पत्नी के संबंधों में मधुरता बनाए रखने के लिए बेडरूम में एक दीपक जलाया जा सकता है। अगर आप बेडरूम में दीपक प्रजवल्लित कर रहे हैं, तो उसमें कपूर भी अवश्य मिलाएं। यह संबंधों में नकारात्मकता को दूर करने का काम करता है।
- दीपावली के दिन भी तुलसी के पौधे के नजदीक एक दीपक अवश्य प्रजवल्लित करना चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ घर में सुख−समृद्धि व शांति आती है, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा भी उस घर पर होती है।
- शनि के प्रकोप को कम करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे दीपावली के दिन दीपक अवश्य जलाना चाहिए। साथ ही घर की सिंक या नाली पर दीपक जलाने के व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
दिवाली की पूजा की सामग्री
इसके लिए मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में), केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग। सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक। रुई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश लेना चाहिए।
दिवाली पर कैसे करें पूजन की तैयारी
एक थाल में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनायें या नवग्रह यंत्र की स्थापना करें। इसके साथ ही एक तांबे का कलश बनाएं, जिसमें गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपडे से ढंक कर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें। जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है, वहां रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश सरस्वती जी या अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें। कोई धातु की मूर्तियां हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं। इसके दाहिने और एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाना चाहिए।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन विधि
पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ रुपया-पैसा। यह सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए। हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र (ऊँ दीपावल्यै नम:) बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र मंत्र पढि़ए। अंत में लक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए।
दिवाली पर बही-खाता पूजन
बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहुर्त समय अवधि में नवीन बहियों व खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसके बाद इनके ऊपर ''श्री गणेशाय नम:'' लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठें, कमलगट्टा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वस्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए। साथ ही नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए-
या कुन्देन्दुतुषारहार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।,
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि र्देवै: सदा वन्दिता,सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।।
ऊँ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम:
उक्त मंत्र जाप करके मां सरस्वती का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए- जो अपने कर कमलों में घंटा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं। चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर क्रांति है। जो शुंभ-निशुंभ आदि दैत्यों का नाश करने वाली हैं। वाणी बीज जिनका स्वरूप है तथा जो सच्चिदानन्दमय विग्रह से संपन्न हैं। उन भगवती महासरस्वती का मैं ध्यान करता हूं।
ध्यान करने के बाद बही खातों का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है। वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश, सरस्वती और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें। कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं। इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाना चाहिए।
कुबेर पूजन विधिकुबेर पूजन करने के लिए प्रदोष काल या सायंकाल उचित होता है। शुभ समय में कुबेर पूजन करना लाभकारी होता है। कुबेर पूजन करने के लिए सबसे पहले तिजोरी अथवा धन रखने के संदूक पर स्वस्तिक चिन्ह बनायें और कुबेर का आह्वान करें। आह्वान के लिए यह मंत्रोच्चारण करें- आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु। कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।। आह्वान करने के बाद ऊँ कुबेराय नम: इस मंत्र को 108 बार बोलते हुए तिजोरी, संदूक का गंध, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए।
Diwali Par Diya Kaha Rakhe, दिवाली पर दिया कहां रखें दीपक, Diwali Ki Puja Samgri, दिवाली की पूजा की सामग्री,दिवाली पर कैसे करें पूजन की तैयारी,Diwali Par Pujan KI Tayari दिवाली पर बही-खाता पूजन,दिवाली पर लक्ष्मी पूजन विधि, Diwali Par Lakshmi pujan Vidhi