दुर्गा मां किस पर आएगी 2021 October: किस वाहन से आएंगी मां दुर्गा, क्या पड़ेगा प्रभाव, यहां पढ़िए श्रीराम की भक्ति से जुड़ी कथा
Durga Maa Kis per aayengi 2021 October: शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरम्भ गुरुवार को चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग, तथा कन्या राशि के गोचर काल में हो रहा है। शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा की उपासना का पर्व है। हर साल श्राद्ध पक्ष के बाद शुरू हो जाता है।
दुर्गा मां किस पर आएगी 2021 October
हिंदू धर्म में नवरात्रि का ख़ास महत्व होता है। सालभर में वैसे तो 4 नवरात्रि होती है, जिसमें दो गुप्त और एक शारदीय और दूसरी चैत्र नवरात्रि है। इस बार शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरम्भ गुरुवार को चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग, तथा कन्या राशि के गोचर काल में हो रहा है। शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा की उपासना का पर्व है। हर साल श्राद्ध पक्ष के बाद शुरू हो जाता है। इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं और 15 अक्टूबर तक चलेगा। इस साल भी कोरोना का असर त्योहारों पर देखने को मिल रहा है।
नवरात्रों में मां दुर्गा के आने और जाने में उनकी सवारियों का ख़ास महत्त्व होता है। इसका प्रभाव हमारे जीवन पर सीधा देखने को मिलता है। नवरात्रि के पहले दिन घट की स्थापना की जाती है नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही मां की पूजा शुरू हो जाती है और हर पंडालों में मा दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर दी जाती है। हर साल होती मां की होती है अलग-अलग सवारी मान ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस बार आखिर कौन से सवारी पर सवार होकर मां पृथ्वी पर आ रही हैं और इसके क्या प्रभाव पड़गें।
बता दें कि इस बार माता की सवारी डोली है। जो अच्छा संकेत नहीं है। माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है। ऐसे माना जा रहा है कि मां डोली पर आकर हलचल का संदेश दे रही है। राजनीतिक या प्राकृतिक आपदा का संदेश है। कोई बड़ी घटना घट सकती है। वैसे ही मां दुर्गा हाथी पर जाना भी शुभ नहीं माना जा रहा है। इसलिए इस बार नवरात्रि में दुर्गा देवी की आराधना कर शांति की काम करें।
यहां जानिए मां के नवरात्र की कौन-कौन सी है सवारी
लेकिन शारदीय नवरात्र भगवती दुर्गाजी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नौ दिनों की नवरात्रि को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और इसकी मान्यताएं हैं।ज्योतिषशास्त्र और देवीभागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में हमें सीधा संकेत देता है और चेताता है। देवीभाग्वत पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है की देवी मां के आगमन का अलग-अलग वाहन है। माना जाता है कि अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो रही है तो इसका मतलब है कि वो हाथी पर आएंगी। वहीं अगर शनिवार या फिर मंगलवार को कलश स्थापना हो रही है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ होता है तो माता डोली पर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन मां नाव को अपनी सवारी बनाती हैं।
नवरात्रि और मां दुर्गा से जुड़ी कथा
पहली पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्माजी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान मिला था कि उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनों लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है
श्रीराम की भक्ति से प्रसन्न हुई मां दुर्गा
भगवान राम ने की शक्ति की देवी मां भगवती की पूजा दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के साथ होने वाले युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी मां भगवतीजी की पूजा आराधना की थी। रामेश्वरम में श्री रामचन्द्र ने नौ दिनों तक माता की पूजा की। रावण से युद्ध करने से पहले भगवान राम, मां दुर्गा का आर्शीवाद पाना चाहते थे, ताकि वह लंका पर विजय पा सकें और अपनी पत्नी सीता को रावण से मुक्त करा सकें, लेकिन इसके लिए वह और 6 महीने प्रतीक्षा नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने देवी दुर्गा की पूजा कर दी।
इस पूजा में भगवान राम ने देवी दुर्गा को 108 कमल फूल अर्पित किया था और 108 दीये जलाए थे। कहा जाता है कि इस पूजा के दौरान एक दानव ने उन 108 फूलों में से एक फूल को चोरी कर लिया था, तो भगवान ने पूजा पूरी करने के लिए अपनी एक आंख को चढ़ाने का संकल्प किया। लेकिन इससे पहले ही देवी दुर्गा प्रकट हो गई और उन्होंने भगवान राम को विजय का वरदान दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त किया था।इस तरह आश्विन माह की नवरात्रि पूजा शुरू हुई।
नवरात्रि में मां दुर्गा के के नवरुपों से मिलते हैं ये वरदान
- पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा जिन्हें पार्वती भी कहा जाती है। शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति व तपस्वी बनने की प्रेरणा मिलती है।
- दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना करने से दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है।
- तीसरा दिन चंद्रघंटा देवी जो चंद्रमा को सिर पर धारण करती है। माता की आराधना करने से माता व भगवान शिव प्रसन्न होते है।
- चौथा दिन कूष्मांडा देवी की पूजा करने से धन-धान्य और फसलों के उत्पादन में काफी वृद्धि होती है। पांचवा दिन स्कंदमाता आराधना से पुत्र की प्राप्ति होती है साथ ही वे दीर्घायु होते है।
- छठा दिन कात्यायनि देवी भगवती महालक्ष्मी का रुप है। आराधना करने से धन धान्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सातवां दिन कालरात्रि देवी की आराधना करने से संकट से मुक्ति मिलती है साथ ही इस दिन निशा पूजा भी की जाती है।
- आठवां दिन महागौरी देवी की पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है। नौवां दिन सिद्धिरात्रि देवी सभी प्रकार के मनवांक्षित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्तों को सिद्धि की प्राप्ति भी होती है।
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