इनकी दोस्ती की दास्तां जब-जब वक्त सुनाएगा, हर शख्स इनके जैसा दोस्त बनना चाहेगा
दोस्ती की दास्तां जब वक्त सुनाएगा, तुम्हें भी वो शख्स याद आएगा, भूल जाओगे जिंदगी के गमों को जब दोस्तों के साथ गुजरा वक्त याद आएगा। वैसे तो फ्रेंडशिप आज का ट्रेंड है पर हम आपको बता दें भारत में शुरू से ही दोस्तों को महत्व दिया जाता रहा है। राम -कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने कृष्ण-सुदामा ने भी अच्छे दोस्त है
जयपुर: दोस्ती की दास्तां जब वक्त सुनाएगा, तुम्हें भी वो शख्स याद आएगा, भूल जाओगे जिंदगी के गमों को जब दोस्तों के साथ गुजरा वक्त याद आएगा। वैसे तो फ्रेंडशिप आज का ट्रेंड है पर हम आपको बता दें भारत में शुरू से ही दोस्तों को महत्व दिया जाता रहा है। राम -कृष्ण ने, हनुमान-सुग्रीव ने कृष्ण-सुदामा ने भी अच्छे दोस्त बनकर समाज को अच्छा मैसेज दिया है। आज भी दोस्त का जिक्र होने पर इनकी दोस्ती की बात की जाती है।
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मित्रता की जितनी भी बात की जाए वो कम है और इस अनमोल रिश्ते के लिए एक दिन नहीं , बल्कि साल के 365 दिन भी कम है। आज आपको फोटोज से दिखा रहे है कि कैसी थी हमारे भगवान की दोस्ती।
हनुमान- सुग्रीव
दोस्ती की बात हो बजरंगबली हनुमान का जिक्र ना हो तो सब अधूरा है। इनकी दोस्ती सुग्रीव से थी,जिन्होंने पूरी तरह हर परिस्थिति में हनुमान जी का साथ दिया था और सीता जी को रावण के कैद से छुड़ाने में भी मदद की थी।
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कृष्ण-सुदामा
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के बिना सबकुछ अधूरा है। दोस्त वो है, जो बिना कहे अपने दोस्त की हर मुश्किल आसान कर दें। कुछ ऐसा ही भगवान कृष्ण ने किया था। वो अपने गरीब मित्र की मित्रता का भी मान रखा और उनकी गरीबी को भी हर लिया था।
कृष्ण- अर्जुन
कृष्ण-अर्जुन के एक अच्छे मित्र और मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने अर्जुन को उस वक्त संभाला जब वो परिस्थितियों के भंवर में फंसकर युद्ध छोड़कर जा रहे थे। तब कृष्ण ने अर्जुन को मार्ग दिखाया और अर्जुन ने भी मित्र की बातों का मान रखा। इतिहास और धर्मशास्त्र गवाह है कि भारत मित्रता के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। यहां की मित्रता जन्म-जनमांतर की होती है।
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