Ganesh Chaturthi 2023: गणेशोत्सव में रखें इसका ख्याल, होगा शुभता का वास और वास्तु दोष का निवारण

Ganesh Chaturthi 2023 Utsav: गणेश चतुर्थी व्रत को करने से दुखों से छुटकारा पाने के लिए विधि-विधान से भगवान गणपति की पूजा करते हैं। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और सच्चे मन से भगवान की आराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

Update:2023-09-18 08:31 IST

Ganesh Chaturthi Utsav:  19 सितंबर से10 दिवसीय गणेशोत्सव की शुरू हने वाला है। इन दिनों हर कोई भगवान श्रीगणेश की मूर्ति घर-दुकान में स्थापित कर, उनकी पूजा-अर्चना करता है। भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना करते वक़्त कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश ( lord ganesha) को बुद्धि प्रदाता माना जाता है। उनको लड्डू, दुर्वा, मूसक और चतुर्थी तिथि अतिप्रिय है। सालभर में 24 चतुर्थी तिथि होती है। इसमें 12 कृष्ण पक्ष में और 12 शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होती है। और भाद्रपद में भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है जो इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। गणेश जी की कृपा पाने , धन-धान्य को लिए और संतान सुख मिले इसके लिए चतुर्थी का व्रत-पूजा करने से पार्वती नंदन अति प्रसन्न होते हैं।

इसलिए 19 सितंबर की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी हैं। क्योंकि भाद्रपद माह का शुक्ल पक्ष  है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा से सब कष्टों का निवारण होता है। इसका वर्णन पुराणों में भी है।  मतलब होता है संकट को हरने वाली । हर माह के गणेश चतुर्थी व्रत को करने से दुखों से छुटकारा पाने के लिए विधि-विधान से भगवान गणपति की पूजा करते हैं। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और सच्चे मन से भगवान की आराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

जानते है गणेश चतुर्थी पर विशेष बातें

 घर में भगवान गणेश की बैठी मुद्रा में और दुकान या ऑफिस में खड़े गणपति की मूर्ति या तस्वीर रखना बहुत ही शुभ माना जाता है।

घर या दुकान में गणेश मूर्ति रखते समय ध्यान रखें की उनके दोनों पैर ज़मीन का स्पर्श करते हुए हों। इससे कामों में स्थिरता और सफलता आती है।

सर्व मंगल की कामना करने वालों को सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है।

श्रीगणेश की मूर्ति या चित्र में इस बात का ध्यान रखें की उनकी सूंड बाएं हाथ की और घुमी हुई हो। दाएं हाथ की और घुमी हुई सूंड वाले गणेश जी हठी होते हैं।

घर में श्री गणेश का चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक और चूहा अवश्य हो। इससे घर में बरकत रहती है।

घर के मेन गेट पर गणपति की दो मूर्ति या चित्र लगाने चाहिए। उन्हें ऐसे लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे। ऐसा करने से सभी वास्तु दोष खत्म हो जाते है।

घर का जो हिस्सा वास्तु के अनुसार सही न हो, वहां घी मिश्रित सिंदूर से श्रीगणेश स्वरुप स्वास्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होने लगता है।

घर या दुकान में सुख-शांति, समृद्धि की इच्छा रखने वालों को सफ़ेद रंग के विनायक की मूर्ति या तस्वीर लगानी चाहिए।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि और मंत्र

गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक पुरना कहते हैं।उसके उपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं।उस कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती हैं। इसके साथ एक पान पर सवा रूपये रख पूजा की सुपारी रखी जाती हैं। कलश भी रखा जाता हैं एक लोटे पर नारियल को रख कर उस लौटे के मुख कर लाल धागा बांधा जाता हैं। यह कलश पुरे दस दिन तक ऐसे ही रखा जाता हैं. दसवे दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रशाद खाया जाता हैं। सबसे पहले कलश की पूजा की जाती हैं जिसमे जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित किये जाते हैं।कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती हैं. उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं फिर कुमकुम एवम चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किये जाते हैं।

गणेश जी को मुख्य रूप से दूबा चढ़ायी जाती हैं। इसके बाद भोग लगाया जाता हैं. गणेश जी को मोदक प्रिय होते हैं।फिर सभी परिवार जनो के साथ आरती की जाती हैं. इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता हैं। कहते हैं भगवान गणेश खाने के बेहद शौकीन है, उन्हें कई तरह की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़ और नारियल जैसी चीज़े प्रसाद या भोग में चढ़ाई जाती हैं। गणेश जी को मोदक काफी पंसद थे जिन्हें चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है।इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है।

अतंत:  पूजा के समय ऊं श्री गणेशाय नम: और ऊं गं गणपते नम: मंत्र का जाप करें। फिर चतुर्थी का व्रत करें। इसे करने से सभी तरह के दोष दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ओम् गं गणपतये नम का जाप करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। ओम् वक्रतुंडाय हुं इस मंत्र के जाप से भगवान गणेश की कृपा से काम में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। ओम् श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा इस मंत्र के का जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और व्यक्ति की रोजगार में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूूर्त

गणेश चतुर्थी 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12ः39 पर हो रही है,

जिसका समापन अगले दिन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01ः43 पर होगा।

गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। बप्पा की स्थापना का समय 19 सितंबर 2023 को सुबह 11ः07 से 01ः34 तक रहेगा। लोग 5 दिन, 7 दिन या 10 दिनों के लिए बप्पा की स्थापना करते हैं. इसके अनुसार ही विसर्जन करते हैं।

गणेश पूजन के लिए दोपहर मुहूर्त

11:01:23 से 13:28:15 त

अवधि :

2 घंटे 26 मिनट

चन्द्र दर्शन नहीं करना है

12:41:35 से 20:10:00 तक 18, सितंबर को

चन्द्र दर्शन नहीं करना है :

09:45:00 से 20:42:59 तक 19, सितंबर को

गणेश चतुर्थी विसर्जन - 28 सितंबर 

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