Ganesh Lakshmi Puja: गणेश लक्ष्मी साथ क्यों पूजे जाते हैं

Ganesh Lakshmi Puja Kyo Hoti Hai: भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे। तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसलिए इसका नाम दीपावली है। इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है।

Newstrack :  Network
Update: 2023-12-04 12:05 GMT

गणेश लक्ष्मी साथ क्यों पूजे जाते हैं: Photo- Social Media

Ganesh Lakshmi: बहुत पुरानी बात है दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी। तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली किसी कॉलेज में आई। उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया। उन्होंने पूछा,” जब दीपावली भगवान राम के चौदह वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उत्साह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"

प्रश्न पर सन्नाटा छा गया, क्यों कि उस समय कोई सोशियल मीडिया तो था नहीं, स्मार्ट फोन भी नहीं थे! किसी को कुछ नहीं पता! तब, सन्नाटा चीरते हुए, एक हाथ, प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा। उसने बताया कि "दीपावली उत्सव दो युग "सतयुग" और "त्रेता युग" से जुड़ा हुआ है!" “सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए "लक्ष्मी पूजन" होता है।

भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे। तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसलिए इसका नाम दीपावली है। इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है। उसके उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा, क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था। यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं। खैर कुछ देर बीद। सभीने खूब तालियां बजाई।

एक और प्रश्न भी था, कि लक्ष्मी और। श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है। और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?

सही उत्तर है :-

लक्ष्मी जी जब सागर मंथन में मिलीं और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया। कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे। वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी।

उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि "तुम मैनेजर बदल लो। माँ लक्ष्मी बोली, "यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा।”तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को "धन का डिस्ट्रीब्यूटर" बनने को कहा।

श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, "माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना। कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी। अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे। कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए।

माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को दिया आशीर्वाद

गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।

दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं। वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है । शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को। इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है।

(लेखक- पंडित संकठा द्विवेदी 'प्रख्यात धर्म विद् हैं।')

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