Ganga Dussehra Vrat Katha: ब्रह्म मुहूर्त में करें इस मंत्र का जाप, राजा सगर-भगीरथ की ये कथा खोलेगी स्वर्ग के द्वार

Ganga Dussehra Vrat Katha:गंगा दशहरा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान या घर पर ही गंगा की कुछ बुंद डालकर गंगा स्नान करने से मां गंगा का आशीर्वाद बना रहता है। साथ में स्नान के समय और बाद में इस दिन मंत्र से मां गंगा का आहवान करना चाहिए।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-06-18 11:43 IST

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)ग

गंगा दशहरा व्रत कथा : मनुष्य की मुक्ति के लिए स्वर्ग से धरती पर आई गंगा का स्वरुप तो विकराल है, लेकिन शिवजी की जटाओँ में समाहित होने के बाद गंगा पतित पावनी है। गंगा स्नान से मनुष्य के हर पाप धूलते है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 20 जून को मनाया जाएगा। पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत ये खास दिन होता है।

इस बार गंगा दशहरा के दिन चित्रा नक्षत्र और परिघ योग लग रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार गंगा दशहरा पर रवि योग में किया गया काम फलित होगा। इस बार कोरोना के कारण गंगा घाटों पर जाने की मनाही है। लेकिन घर पर ही गंगा के अवतरण की कथा सुन और मंत्रों के जाप से ही अपना कल्याण कर सकते है। 

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान या घर पर ही गंगा की कुछ बुंद डालकर गंगा स्नान करने से मां गंगा का आशीर्वाद बना रहता है। साथ में स्नान के समय और बाद में इस दिन इस मंत्र से मां गंगा का आहवान करना चाहिए।

गंगा च यमुने चेव, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदे सिंधू कावेरी, जलोस्मिन सन्निधि कुरू।

उसके बाद पूजन करते समय ॐ नमः शिवाय नारायणे दशहराय गंगाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। धर्मशास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन ही गायत्री मंत्र का आविर्भाव हुआ था।

इसलिए गंगा पूजन के साथ गायत्री मंत्र का जप और पूजन करने से सारे बुरे कर्म खत्म हो जाते हैं।

गंगा दशहरा-गंगा के अवतरण की कथा

स्कंदपुराण, पद्मपुराण, शिवपुराण और भविष्यपुराण में वर्णित कथानुसार गंगा के धरती पर आने की कथा मनुष्य को सुननी और सुनानी चाहिए। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा के उद्गम की कथा....

अयोध्या में सगर नाम के एक दानशील, प्रतापी और दयालू राजा हुआ करते थे। जिनकी कीर्ति तीनों लोक में विद्यमान थी। राजा सगर की 2 रानियां थी। एक रानी से राजा के 60 हजार पुत्र और दूसरी रानी से एक पुत्र थे।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

राजा सगर ने राज्य के विस्तार और तीनों लोकों में कीर्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ किया और यज्ञ पूर्ति के लिए एक घोड़ा छोड़ा। इंद्र ने उस यज्ञ को भंग करने के लिए अश्व का अपहरण कर लिया और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध आए।

राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को अश्व की खोज के लिए भेजा। आखिरी में घोड़ा महर्षि कपिल के आश्रम के पास दिखा तो सगर के पुत्रों ने चोर-चोर कह कपुल मुनि की तपस्या भंग कर दीं और महर्षि कपिल की समाधि टूट गई। उसके बाद जब महर्षि कपिल ने आंखे खोली तो सब जलकर भस्म हो गए। जब इसका पता राजा सगर को चला तो उन्होंने मृत पुत्रों के उद्धार के लिए देवऋषि नारद से मार्ग पुछा। इसके बाद राजा सगर पौत्र भगीरथ ने कठोर तप किया था। उस तप से प्रसन्न होकर ब्रम्हा ने उनसे वर मांगने को कहा तो भगीरथ ने गंगा की मांग की। इस पर ब्रह्मा ने कहा कि गंगा का वेग धरती सहन नहीं कर सकती है इसके लिए भगवान शिव को प्रसन्न कर मार्ग मांगों। वहीं गंगा के वेग को अपनी जटाओँ में बांधकर शांत और सौम्य गंगा प्रवाहित कर सकते हैं।

सके बाद भगीरथ नें कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और फिर शिवजी की जटाओं में समाहित गंगा हिमालय की घाटियों से भारत के मैदानी इलाकों में निकली और भगीरथी कहलाई है। गंगा सदियों से लोगों के कष्टों निवारण करती आ रही है। जो भी इस महात्मय को सुनता है और सुनाता है इसके हर कष्ट दूर हो जाते हैं। मोक्ष मिलता है। इस दिन गंगा स्नान और दीपदान का बहुत महत्व है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त 

दशमी तिथि आरंभ: 19 जून 2021 को शाम 06.50 PM

दशमी तिथि समापन: 20 जून 2021 को शाम 04.25 PM तक रहेगा।

गंगा दशहरा के दिन सच्चे मन से जो भी साधक पूजा-व्रत करता है। उसकी हर इच्छा मां गंगा पूरा करती है और मनुष्य के मन को अपने निर्मल जल की तरह बहने का संदेश देती है।

गंगा दशहरा की पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi)

  • इस दिन सूर्योदय से पहले सुबह उठकर साफ-सफाई करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें, अगर संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल से स्नान करें और घर में भी गंगाजल छिड़के।
  • उसके बाद गंगाजल मिलाकर सूर्य को जल चढ़ाए, साथ में गंगाजल से ही शिव का अभिषेक करें।
  • ध्यान पूजा व्रत और मंत्र जाप से मां गंगा का ध्यान करें और मोक्ष की कामना करें।
  • उसके बाद जरूरतमंदों को दान में वस्त्र जूता चप्पल, मिट्टी का मटका और छाता , सत्तू दान करें।
  • घर में माता-पिता और बुजुर्गों को सम्मान दें साथ में पितरों को जल चढ़ाए।
  • आसपास सरोवर, तलाब या गंगा नदी में दीपदान करें ।
  • इस दिन बुराई चोरी झूठ फरेब से बचना चाहिए।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

  • गंगा दशहरा का महत्व

  • गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण का दिन या कहे धरती पर मां गंगा का जन्मदिवस गंगा जयंती । इस दिन अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भगीरथ ने स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाए थे। मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है।

    स्कंदपुराण, भविष्यपुराण, शिवपुराण आदि ग्रंथों में मां गंगा की महिमा का बखान है और बताया गया है कि कैसा कालो काल से मां गंगा पतित पावन धरती को पवित्र कर रही है। साथ में शिव भगवान कैसे मां गंगा को अपनी जटा में धारण करते हैंं। महर्षि व्यास ने गंगा की जलधारा और उसके रहस्य का बखान पद्मपुराण में किया है। गंगाजल से लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव है। सालों साल गंगा जल को रख लिया जाए तब भी उसमें कीड़े नहीं पड़ते हैं।

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