Garuda Purana in Hindi: दान-पुण्य से होगी वैतरणी पार, जानिए इस पर क्या कहता है गरुड़ पुराण
Garuda Purana in Hindi: जीवन में मोक्ष पाने के लिए कई कृत्य किये जाते हैं, इनमें एक है दान, जानिए क्या कहता है गरुड़ पुराण
Garuda Purana in Hindi मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक में कई संस्कार बांटे गए है सबसे अंतिम संस्कार दाह संस्कार होता है जो मृत्युपरांत होता है। धर्मानुसार सबके लिए दान-करना महत्वपूर्ण है। दान करने का पुण्य न सिर्फ व्यक्ति को इस जन्म में मिलता है बल्कि मृत्यु के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।इस संदर्भ में गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जीवनकाल में कुछ विशेष चीजों का दान करने से मरणोपरांत स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं और ऐसे लोगों को नरक की यातनाओं नहीं मिलती है।
गरुड़ पुराण में जीवन और मृत्यु से जुड़े रहस्यों के बारे में बताया गया है। इसमें मोक्ष प्राप्ति के मार्ग के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार मरने के बाद किसी व्यक्ति को नरक या स्वर्ग की प्राप्ति होगी, यह काफी हदतक व्यक्ति द्वारा जीवनकाल में किए कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें मृत्यु पश्चात मोक्ष नहीं मिलता है, उन्हें नरक में स्थानमिलता है या उनकी आत्माएं भटकती रहती है।
गरुड़ पुराण में नियमों का पालन करने से आत्मा को तृप्ति मिलती है। जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में तिल, नमक का दान करता है उसे मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। दान करना बहुत पुण्य का काम माना गया है। मान्यता है कि दान से पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और दान का फल आपको सिर्फ इसी जन्म में ही नहीं बल्कि कई जन्मों तक मिलता है, लेकिन खुद गरीब होते हुए दान करना आपको भारी पड़ सकता है। इसलिए दान तभी करना चाहिए जब आप आर्थिक रूप से दान देने योग्य हों। जानते हैं दान करने के नियम...
गरुड़ पुराण दान करने के नियम
गरुड़ पुराण में दिए गए इस श्लोक का अर्थ है कि इंसान को हमेशा अपने सामर्थ्य के अनुसार ही दान करना चाहिए। साथ ही दान इस तरह कभी नहीं करना चाहिए जिसके कि दरिद्रता की स्थिति आ जाए। गरुड़ पुराण के उक्त श्लोक के मुताबिक, आमदनी कम होने के बावजूद भी बिना सोच-विचारकर दान करने वाले हमेशा दुखी ही रहते हैं। ऐसे में दान करने से पहले खुद की आर्थिक परिस्थिति का आकलन जरूर कर लेना चाहिए।
गरुड़ पुराण के मुताबिक, इंसान को कभी भी दिखावे के लिए दान नहीं करना चाहिए। दरअसल दिखावे का दान किसी भी स्थिति में शुभ फल नहीं देता। इसके अलावा इस प्रकार के दान से वास्तव में सच्चे दान की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे में दान करने वाले को इसका कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। ऐसे में हमेशा दिखावे के दान से दूर रहना चाहिए।
गरुड़ पुराण में बताए गया है कि किसी भी व्यक्ति को तभी दान करना चाहिए जब वह आर्थिक रूप से दान करने योग्य हो। दरिद्र होकर दाता बनने से आप कंगाल हो सकते हैं। इसके अलावा, दिखावे के लिए दान करने से बचना चाहिए। दान हमेशा उतना ही करना चाहिए जितना आपके सामर्थ्य में हो।अर्जिन धन या कमाई का दशांश यानी दस प्रतिशत ही दान करना चाहिए।हमेशा ऐसे व्यक्ति को दान करें जिसे जरुरत हो।
गरुड़ पुराण की इन बातों को जरुर अपनाएं
धन होने पर कभी कंजूस नहीं बनना चाहिए।आप सामर्थ्य हैं तो गरीब व जरूरतमंदों की मदद जरूर करें।अपनी संतान को हमेशा संस्कारी बनाने की कोशिश करें।स्वयं के लाभ के लिए दूसरों का नुकसान कभी नहीं करना चाहिए।
गरुण पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका सब कुछ धरती पर धरा का धरा रह जाता है। केवल उसके कर्म ही उसके साथ जाते हैं। इसलिए जीवन में पुण्य कर्म और दान करते रहें।
गरुड़ पुराण में व्यक्ति को अपने जीवन काल में मृत्यु से पहले तिल, स्वर्ण (सोना), नमक, जलपात्र, लोहा, रुई, भूमि, पादुका और 7 तरह के अनाजों का दान करने की बात कही गई है. मान्यता है कि इन वस्तुओं के दान का पुण्य व्यक्ति को यम मार्ग में मरने के बाद प्राप्त होती है और उसकी आत्मा को किसी प्रकार का कष्ट नहीं मिलता है।