काशी में मां अन्नपूर्णा का ऐसा दरबार, जहां धनतेरस को लुटाया जाता है खजाना

Update: 2017-10-17 10:00 GMT
यूं तो लोग मंदिर में भगवान को चढ़ावा चढ़ाने की परंपरा है। अपनी मुराद पूरी होने पर कोई अपने इष्टदेव के दरबार में रूपए पैसे चढ़ाता है

वाराणसी: यूं तो लोग मंदिर में भगवान को चढ़ावा चढ़ाने की परंपरा है। अपनी मुराद पूरी होने पर कोई अपने इष्टदेव के दरबार में रूपए पैसे चढ़ाता है तो कोई सोने और चांदी भेंट करता है। लेकिन काशी में धनतेरस के दिन ये परंपरा जरा उल्टी है।

यहां मां अन्नपूर्णा देवी का एक ऐसा मंदिर है, धनतेरस के दिन भक्त चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं बल्कि मां अपने भक्तों के लिए मंदिर का खजाना खोलती हैं। मंगलवार को अलसुबह षोडशोपचार पूजन और मंगला आरती के बाद मां का दरबार भक्तों के दर्शन के लिए खोला गया। इसके बाद मंदिर में पहुंचे भक्तों को श्री समृद्घि प्रसाद स्वरूप अन्न-धन्न (धान का लावा और सिक्का) वितरित किया गया।

अगले चार दिन तक होगा माता का दर्शन

धनतेरस से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला अगले चार दिनों तक चलेगा। मां का दर्शन और प्रसाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचे हुए थे। आलम ये था कि सोमवार की रात से गोदौलिया चौराहे से लेकर मंदिर परिसर तक लाइन लग गई थी। दर्शन में किसी तरह की असुविधा ना हो इसके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। बुजुर्गों और विकलांगों के लिए दर्शन के लिए मंदिर प्रबंधन की ओर विशेष व्यवस्था की गई थी। मंदिर के कार्यपाल खुद नजर बनाए हुए थे। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पूरे परिसर में लगभग दो दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।

अनूठी प्रतिमा, दिव्य दरबार

देवाधिदेव महादेव के आंगन में सजे मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार की प्रतिष्ठा का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि इसमें बाबा भोले शंकर स्वयं याचक रूप में खड़े हैं। मान्यता है कि बाबा अपनी नगरी के पोषण के लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं। मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी के अनुसार साल 1601 में तत्कालीन महंत केशव पुरी के समय भी देवी के इस विग्रह के पूजन का प्रमाण उपलब्ध है।

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