Guru Purnima 2023: आज गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे बड़ा नजर आएगा चाँद, जानिए इस दिन का महत्त्व, समय, पूजा की विधि व अनुष्ठान

Guru Purnima 2023: आज हम आपको इसके महत्त्व, समय और पूजा की विधि व अनुष्ठान के बारे में बताने जा रहे हैं।

Update:2023-07-01 16:57 IST
Guru Purnima 2023 (Image Credit-Social Media)

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है, ये पर्व महाभारत के लेखक वेद व्यास की जयंती का प्रतीक है। ये शुभ हिंदू त्योहार शिक्षकों के सम्मान और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए समर्पित है। ये हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष, गुरु पूर्णिमा 2 जुलाई को है। हिंदू धर्म में, उल्लेखनीय गुरुओं में आदि शंकराचार्य, श्री रामानुजाचार्य और श्री माधवाचार्य शामिल हैं। आज हम आपको इसके महत्त्व, समय और पूजा की विधि व अनुष्ठान के बारे में बताने जा रहे हैं।

गुरु पूर्णिमा का महत्त्व, समय, पूजा की विधि व अनुष्ठान

गुरु पूर्णिमा का समय

द्रिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 2 जुलाई को रात 8:21 बजे शुरू होने की संभावना है, जबकि यह 3 जुलाई को शाम 5:08 बजे समाप्त होने की संभावना है। पूजा और उत्सव पूरे दिन जारी रहेगा, जिसमें भक्त विशेष समारोहों में भाग लेंगे। वहीँ आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा का शुभ समय चंद्र कैलेंडर और विशिष्ट स्थान के आधार पर अलग-अलग होता है। भक्त आमतौर पर सुबह जल्दी उठकर अपने अनुष्ठान करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं।

अनुष्ठान

गुरु पूर्णिमा गुरुओं के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का दिन है। इस शुभ त्योहार के दौरान मनाए जाने वाले कुछ सामान्य अनुष्ठान इस प्रकार हैं-

गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करना

भक्त आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों, आध्यात्मिक केंद्रों या अपने गुरुओं के घरों पर जाते हैं। वे सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में फूल, फल, धूप और अन्य प्रतीकात्मक वस्तुएँ चढ़ाते हैं।

गुरु पूजा

गुरु पूर्णिमा पर विशेष पूजा (अनुष्ठान पूजा) समारोह आयोजित किए जाते हैं। भक्त अपने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए इन अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

जप और भजन

गुरुओं की प्रशंसा में भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं। इस दिन गुरु गीता जैसे पवित्र ग्रंथों और धर्मग्रंथों का जाप करना भी एक आम बात है।

प्रवचन और शिक्षाएँ

कई आध्यात्मिक नेता और विद्वान गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रवचन देते हैं, और अपने शिष्यों के जीवन को आकार देने में शिक्षकों की भूमिका पर जोर देते हैं।

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