Guru Purnima 2024 July: जुलाई माह में कब है गुरु पूर्णिमा, जानिए इस दिन की महिमा और विधि

Guru Purnima 2024 July : गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने का दिन है गुरू पूर्णिमा। इस दिन का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। जानते है आषाढ़ माह में कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा

Update:2024-07-19 12:45 IST

Guru Purnima 2024 : (Pic:Social Media)

 Guru Purnima 2024 Date Aur Muhuratगुरु पूर्णिमा 2024 कब है हिंदू पंचांग में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन को गुरु की पूजा की जाती है। इस साल 21 जुलाई 2024 को आषाढ़ी पूर्णिमा है और इस दिन अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरुओं को सम्मान के साथ पूजा की जाती है।

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस साल 21 जुलाई 2024 को आषाढ़ी पूर्णिमा है और इसी दिन अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरुओं को सम्मान के साथ पूजा की जाती है।

गुरु साधक के अज्ञान को मिटाता है, ताकि वह अपने भीतर ही सृष्टि के स्रोत को अनुभव कर सके. ग्रीष्म संक्रांति के बाद अषाढ़ मास (जुलाई-अगस्त) में आने वाली पहली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता है कि इस पावन दिन पर शिव जी, जिन्हें आदियोगी या पहला योगी भी कहा जाता है अपने पहले सात शिष्यों, सप्तर्षियों को सर्वप्रथम योग का विज्ञान प्रदान किया था. साथ ही गुरु पूर्णिमा पर वैदिक ज्ञान निधि को एक सूत्र में पिरोने वाले सूत्रधार महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था.

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त( Guru Purnima shubh muhurat)

इस दिन पूर्णिमा तिथि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि शुरू से 20 जुलाई 2024, शाम 05.59

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त से 21 जुलाई 2024, दोपहर 03.46

पूजा मुहूर्त - सुबह 07.19 - दोपहर 12.27

अभिजीत मुहूर्त - 12:06 PM से 12:59 PM

अमृत काल - 06:14 PM से 07:44 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:21 AM से 05:09 AM

सर्वार्थसिद्धि योग - Jul 21 05:57 AM से Jul 22 12:14 AM

शुभ योग - गुरु पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा 07:27 AM तक धनु राशि उपरांत मकर राशि पर संचार करेगा

गुरु पूर्णिमा को कहते हैं व्यास पूर्णिमा

धर्मानुसार आषाढ़ के पूर्णिमा के दिन वेदों के ज्ञाता और महाकाव्य महाभारत के रचियेता वेदव्यास जी का प्राक्ट्य दिवस भी मानते है और उनकी जन्म दिवस को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं। व्यास ने 18 पुराणों को रचा थी उनको आदिगुरु माना जाता है।

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।

बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥ कबीर दास ने अपने दोहे से गुरु की महिमा का बखान किया थी।

गुरु-शिष्य की परपंरा अनादिकाल से चली आ रही है। वैसे तो हर धर्म में पथ प्रर्दशक गुरु को ऊंच स्थान मिला है, लेकिन हिंदू धर्म में भगवान से गुरु की तुलना की गई। कहते हैं कि गुरु के ज्ञान से भक्ति, मोक्ष और ज्ञान का भंडार मिलता है।

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

धर्म ग्रंथों मे गुरु की परब्रह्म माना गया है जिसकी महिमा उपरोक्त श्लोक से साफ झलकती है। इसलिए इस दिन को हम सभी को गुरु की पूजा करनी चाहिए।

गुरु पूर्णिमा की विधि

इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होने के बाद वेदव्यास जी पूजा 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाकरकरने के साथ हम सबको अपने गुरुओं का ध्यान करना चाहिए, जिससे हमने कुछ सीखा हो। साथ ही माता-पिता के भी चरण स्पर्श और पूजन करना चाहिए। जीवन में गुरु के सीखाएं मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए और मानवता को जिंदा रखना चाहिए। धार्मिक महापुराणों और महाकाव्यों की पूजा करना चाहिए। इस दिन गंगा यमुना या किसी भी पवित्र नदी स्नान और दान का महत्व है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह संभव नहीं हो पाया है। तो आप घर पर ही गंगा की कुछ बुंदे पानी में डालकर स्नान करें।

धर्मानुसार गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, लेकिन आपके जीवन में कोई गुरु नहीं तो आप इस दिन शिव जी या ब्रह्मा जी को गुरु मान कर आपना कल्याण कर सकते है। गुरु की कृपा से ज्ञान, विवेक, सहिष्णुता सुख, संपन्नता का समावेश होता है। गुरु अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जातक हमें ज्ञान देते है।

Tags:    

Similar News