Hanuman Jayanti Special: हनुमान जी के हृदय में थे श्रीराम, मिले थे कई वरदान, जानिए उनसे जुड़े रहस्य
Hanuman Jayanti Special: रामनवमी से पांचवे दिन भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार हनुमान जी के रूप में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को अवतरित हुए थे।इसलिए भक्त हनुमान की जयंती पर ब्रह्मचर्यपूर्वक राम, सीता, हनुमान का जाप करते हुए हनुमान जी के चरित्र का गुणगान व कीर्तन करना चाहिए।
Hanuman Jayanti Special
हनुमान जयंती स्पेशल
श्रीराम के भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव 16 अप्रैल को है। भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। जिस दिन हनुमान जी ने जन्म लिया, उस दिन मंगलवार ( था। इस वजह से प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की आराधना की जाती है। हनुमान जी को भय का नाश करने वाले माने देवता माना जाता हैं। ।
धार्मिर मान्यता के अनुसार,भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ। इसके पांच दिन बाद उनकी सेवा के लिए भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार हनुमान जी के रूप में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को अवतरित हुआ।इसलिए भक्त हनुमान की जयंती पर ब्रह्मचर्यपूर्वक राम, सीता, हनुमान का जाप करते हुए हनुमान जी के चरित्र का गुणगान व कीर्तन करना चाहिए।
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने के पीछे रहस्य
एक बार हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा। उन्होंने माता सीता से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह प्रभु श्रीराम को प्रसन्न रखने के लिए सिंदूर लगाती हैं। यह सुनकर हनुमान जी ने सोचा कि जब एक चुटकी सिंदूर से प्रभु का स्नेह है तो क्यों न हम उनके ह्दय में बसने के लिए सारा सिंदूर ही अपने शरीर में लगा लें यह सोचकर स्वयं के ऊपर पूर सिंदूर उड़ेल लिया। जब श्री राम ने उनको इस तरह देखा तो हनुमान जी ने कहा कि प्रभु मैंने आपकी प्रसन्नता के लिए ये किया है। तब हनुमान जी को सिंदूर चढाने का चलन शुरू हो गया।
सरसों के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा। अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती पर गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है। एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मंदिर में चढा आएं।धन लाभ होगा।
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं और पीछे मुडकर न देखें। धन लाभ होगा। हनुमान जयंती के दिन 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चंदन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मंदिर में चढा आएं तथा वहां प्रसाद बांटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें।
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई हनुमान जयंती के बाद इसका लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। आश्चर्यजनक धन लाभ होगा। हनुमान जयंती का विशेष टोटका बजरंगबली चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। हनुमान जयंती पर उनका ये टोटका विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जाता है।
हनुमान जी को मिले थे इतने वरदान
भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा, जिससे यह अच्छा वक्ता होगा और शास्त्रज्ञान में इसकी समानता करने वाला कोई नहीं होगा। धर्मराज यम ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।
कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।भगवान शंकर ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा।देव शिल्पी विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा।
देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।जलदेवता वरुण ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।
परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा जा सकेगा। इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी।
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 16 अप्रैल को हनुमान जयंती दोपहर 2.25 बजे से शुरू होगी और 17 अप्रैल को दोपहर 12.24 बजे खत्म होगी। इस बार हनुमान जयंती की खास बात यह है, कि इस दिन रवि और हर्षना योग के साथ ही हस्त और चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। हनुमान जयंती के दिन सुबह 5.55 से 8.40 बजे तक रवि योग बन रहा है। इस योग में हनुमान जी की पूजा करने से कई गुना फल मिलता है। साथ ही इस योग में अगर आप कोई नया कार्य शुरू करते हैं तो उस कार्य में सफलता मिलेगी।
हनुमान जयंती तिथि प्रारम्भ : 16अप्रैल से 02:25 AM से 12:24 AM 17 अप्रैल तक
अभिजीत मुहूर्त - 12:01 PM – 12:51 PM
अमृत काल – 01:15 AM – 02:45 AM
ब्रह्म मुहूर्त – 04:33 AM – 05:21 AM
विजय मुहूर्त- 02:06 PM से 02:57 PM
गोधूलि बेला- 06:08 PM से 06:32 PM
रवि योग- 05:35 AM से 08:40 AM
हनुमान जयंती के दिन चैत्र पूर्णिमा होने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। इस साल हनुमान जयंती रवि योग बन रहा है। शास्त्रों में रवि योग को शुभ योगों में गिना जाता है। इस योग के दौरान मांगलिक कार्यों को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु,शिव व हनुमान जी की पूजा व व्रत रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इससे जीवन की समस्याएं दूर होकर घर में सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है।
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