Hariyali Amavasya Upay: इस दिन है हरियाली अमावस्या पर किया गया छोटा सा उपाय आपके जीवन में लाएगा बड़ा बदलाव

Hariyali Amavasya Upay: सावन हरियाली अमावस्या साल की 12 अमावस्या की तरह ही इस दिन जल पितरों को तर्पण और पिंड दान किया जाता है।

Update:2024-08-02 18:10 IST

Hariyali Amavasya Upay 

Hariyali Amawasya 2024 हरियाली अमावस्या (4 अगस्त 2024 ): 

हरियाली अमावस्या सावन माह में पड़ती है। हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षों का पूजन और वृक्षारोपण करने का बहुत महत्व होता है। अमावस्या की तरह श्रावणी अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है।सावन माह में हरियाली अमावस्या 4 अगस्त को है। इस माह का हर दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसमें अमावस्या भी शामिल है। सावन मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व होता है। सावन में पड़ने की वजह से इस अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहते हैं। सावन में हर तरफ हरियाली छा जाती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है।

हरियाली अमावस्या पर पूजा-विधि

हरियाली अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होगी। सावन अमावस्या के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस दिन शिवलिंग में गंगाजल, जल, दूध, दही, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, आक का फूल, भस्म, कनेर का फूल आदि चढ़ाने के साथ मौसमी फल के साथ भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर शिव चालीसा , शिव मंत्र  के बाद शिव आरती  कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। फिर प्रसाद का वितरण कर दें। इसके साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक के साथ हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या की तिथि शुरू:03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03. 50 मिनट

अमावस्या की तिथि समाप्त :4 अगस्त, 2024 को दोपहर 04.42 मिनट पर समाप्त होगी

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:00 से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा

प्रदोष काल- शाम 6:00 बजे से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक

हरियाली अमावस्या के बहुत खास योग

 हरियाली अमावस्या के दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर 1 .26 मिनट तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि पुष्य योग कहा जाएगा। इसके साथ ही सुबह 10. 38 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। इसके साथ ही सुबह 6.2 मिनट से दोपहर 1 . 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

सावन हरियाली अमावस्या के दिन नदी, तालाब और सरोवर में स्नान का बहुत महत्व है।साल की 12 अमावस्या की तरह ही इस दिन जल पितरों को तर्पण और पिंड दान किया जाता है।इस दिन पितरों के नाम पर दान का महत्व है। वट वृक्ष , पीपल ,केला और नींबू का पौधा लगाने से पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही शिव भगवान के साथ हनुमान जी की भी पूजा करना जरुरी होता है।
मान्यता है कि सावन माह में पड़ने वाली हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधे लगाना बेहद शुभ होता है। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी और आंवला जैसे पेड़-पौधे लगाने का धार्मिक महत्व है। क्योंकि इन वृक्षों पर देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इस दिन इन पेड़-पौधों को लगाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी उत्तम माना जाता है।

हरियाली अमावस्या के उपाय

हरियाली अमावस्या पर अन्न दान से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है. इस दिन किसी जरूरतमंदों को चावल, गेहूं, ज्वार की धानि का दान करना चाहिए। साथ ही किसी ब्राह्रणों को भोजन कराएं।

परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए हरियाली अमावस्या पर किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं, चीटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं। सावन माह में चींटियों और मछलियों जैसे जीवों को कुछ खिलाना अच्छा रहता है।

सावन की अमावस्या के दिन किसी हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए साथ ही हनुमान जी को सिंदूर का चोला और चमेली का तेल चढ़ाए। ऐसा करने से परेशानियों से मुक्ति मिलती है

हरियाली अमावस्या की संध्या को घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्वलित करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और दरिद्रता नष्ट होती है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए रात में पूजा करते समय थाली में ऊं या स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें।

हरियाली अमावस्या पर दीपदान करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है. घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन शनिदेव के समक्ष दीपक लगाकर उनकी आराधना करें। साथ ही आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करें. इससे जीवन से अंधकार मिटते हैं और खुशियों का आगमन होता है।

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