Hartalika Teej 2021 Date & Time : कब है हरतालिका तीज का व्रत, जानिए इस दिन पड़ने वाले शुभ योग और मुहूर्त की पूरी जानकारी

Hartalika Teej 2021: अमर सुहाग का प्रतीक हरतालिका तीज का व्रत इस साल 9 सितंबर को हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग में मनाई जाएगी। इस दिन रवियोग में निर्जला व्रत रखकर महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती से अपने सुहाग और पति के लंबी उम्र की कामना करेंगी। शिवपुराण में इस व्रत का उल्लेख मिलता है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-06-28 11:16 IST

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

 हरतालिका तीज ( Hartalika Teej 2021) कब है?

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां मनाती है और पति के दीर्घायु और अच्छे वर की कामना करती है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 9 सितंबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। इस व्रत को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्ति के लिए किया था। हजारों हजार साल के कठोर तप के बाद मां पार्वती को भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी।

हरतालिका तीज का व्रत शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Vrat Shubh Muhurat)

हरितालिका तीज 9 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन बृहस्पतिवार है, हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग में हरितालिका तीज की पूजा होगी। साथ में चन्द्रमा कन्या उपरांत तुला राशि में रहेंगे। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त श्रावण तृतीया की तिथि 9 सितंबर को सुबह 2.33 am से शुरू होगी और 10 सितंबर को 12.18 am तक रहेगी। इस लिए हरितालिका तीज 9 सितंबर को ही मनाई जाएगी। 

सुबह मुहूर्त-06.03 AM से 08.33 AM तक

प्रदोष काल का मुहूर्त- 06.33 PM से 08.51 PM तक

 हरितालिका तीज के  दिन का शुभ योग और निशिता काल

अभिजीत मुहूर्त – 11.30 AM से 12.20 PM

अमृत काल – 08.52 AM से 10.22 AM

ब्रह्म मुहूर्त – 04.09 AM से 05.56 AM

विजय मुहूर्त- 02.00 PM से 02.49 PM

गोधूलि बेला- 05.56 PM से 06.20 PM

निशिता काल- 11.32 PM से 12.18 AM, 10 सितंबर

रवि योग- 02.31 PM से 05.42 AM 10 सितंबर

पारणा- 10 सितंबर 05.09 AM से 08.56 AM

हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए निर्जला रहकर व्रत रखती हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं। मिट्टी बालू से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर व्रत रखती है। सखियों द्वारा हरित मां पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था, इस व्रत के फलस्वरुप ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाया था।

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