Hartalika Teej 2022 Date & Muhurat: दीर्घायु और अच्छे पति की कामना के लिए किया जाने वाला हरतालिका तीज कब है, जानिए इसकी कथा-मुहूर्त

Hartalika Teej 2022 Kab Hai Date : मां पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत कर पति रुप में शिव जी को पाया था। और जन्म-जन्मांतर तक भगवान शिव को ही पति रुप में पाया था। तभी से अमर सुहाग का प्रतीक हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करने लगी है। इस साल भी 30 अगस्त को हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग में हरतालिका तीज मनाई जाएगी। शिवपुराण में इस व्रत का उल्लेख मिलता है।

Update: 2022-08-15 05:39 GMT

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

हरतालिका तीज 2022  कब है?

 Hartalika Teej 2022 Kab Hai Date 

सुहाग की अमरता और शिव के जैसा पति की कामना के उद्देश्य से तीज का व्रत करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस व्रत को मां पार्वती ने किया था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां करती है और पति की दीर्घायु और अच्छे वर की कामना करती है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इस व्रत को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्ति के लिए किया था। हजारों हजार साल के कठोर तप के बाद मां पार्वती को भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी।

हरतालिका तीज का व्रत शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Vrat Shubh Muhurat)

हरितालिका तीज 30 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार है, इस दिन  हस्त 11:49 PM तक और चित्रा नक्षत्र और शुभ योग 12:04 AM तक, उसके बाद शुक्ल योग में हरितालिका तीज की पूजा होगी।  चन्द्रमा कन्या उपरांत तुला राशि में रहेंगे। 

  • हरतालिका तीज व्रत - 30 अगस्त 2022
  • भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ-  29 अगस्त 2022 सोमवार, दोपहर 03.20 बजे से
  • भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समापन-  30 अगस्त 2022 मंगलवार,दोपहर 03.33 बजे तक
  • सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक
  • प्रदोष काल मुहूर्त - 30 अगस्त 2022, शाम 06.33 रात 08.51 रहेगा
  • हरितालिका तीज के दिन का शुभ योग और निशिता काल
  • गोधूलि बेला- 06:07 PM से 06:31 PM
  • निशिता काल- 11.32 PM से 12.18 AM, 31 अगस्त
  • रवि योग- 05:38 AM से 11:50 PM, 03:31 AM, Aug 31 से 05:38 AM, Aug 31
  • पारणा- 31 अगस्त 05.09 AM से 08.56 AM

हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए निर्जला रहकर व्रत रखती हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं। मिट्टी बालू से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर व्रत रखती है। सखियों द्वारा हरित मां पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था, इस व्रत के फलस्वरुप ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाया था।हरतालिका तीज पर स्त्रियां निरजला व्रत रख घर की सुख शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. इस दिन सुबह की पूजा के बाद महिलाएं सोलह ऋंगार कर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं। 

इस दिन सुबह स्नादि  के बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की नियमित रूप से पूजा कर निर्जला व्रत का संकल्प लें। सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की बालू या काली मिट्‌टी से प्रतिमा बनाएं। पूजा की चौकी या पूजा की बड़ी थाल में भगवान गणेश जी की पूजा करें। भगवान शिव और मां पार्वती का षोडशोपचार विधि से पूजन करें। भगवान शिव को वस्त्र और देवी पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं अर्पित करें। पूजा के बाद इन वस्तुओं को ब्राह्मण को दान कर दें।

हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें और आरती कर रात्रि जागरण करें। इस दौरान पूरी रात जाग कर देवी-देवताओं के भजन कीर्तन करना चाहिए। अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है।हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।

हर तालिका तीज की कथा

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए। एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

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