Hartalika Teej 2023 Puja Muhurat: 18 सितम्बर को मनाया जायेगा हरितालिका तीज, जाएं पूजा का शुभ मुहूर्त

Hartalika Teej 2023 Puja Muhurat: हरतालिका तीज मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों और परिवार की भलाई, दीर्घायु और खुशी के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष हरितालिका तीज व्रत 18 सितम्बर दिन सोमवार को मनाया जायेगा।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-09-17 09:02 IST

Hartalika Teej 2023 Puja Muhurat (Image: Social Media)

Hartalika Teej 2023 Puja Muhurat: हरतालिका तीज, जिसे तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से भारत और नेपाल के कई हिस्सों में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद के चंद्र माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन (तीज) को पड़ता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त या सितंबर से मेल खाता है।

हरतालिका तीज मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों और परिवार की भलाई, दीर्घायु और खुशी के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष हरितालिका तीज व्रत 18 सितम्बर दिन सोमवार को मनाया जायेगा।

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज व्रत कहते है। इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि दिवा 11:15 तक है पश्चात चतुर्थी प्रारम्भ हो जायेगी परन्तु उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत सोमवार को है,पूरे दिन व्रत रहकर सायःकाल श्रध्दा पूर्वक पूजन करें । इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सौभाग्य की रक्षा हेतु यह व्रत बड़े ही श्रद्धा से करती है ।

पूजा का कब है मुहूर्त

सौभाग्यवती महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत 18 सितम्बर सोमवार को रखा जाएगा। पूजन का विशेष मुहूर्त सायः 04:30 से 6:30 तक है। इस दिन महिलाएं निराहर रहकर साय: बेला में पूजन करती हैं। माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी। सुहाग की वस्तुएं देवी को चढ़ाने का विधान हरितालिका तीज व्रत में है। यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन स्त्रियों को अन्न और जल का त्याग करना पड़ता है।

हरतालिका तीज पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा बनाएं। पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें। चौकी पर केले के पत्ते रखकर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। सुहाग की वस्तुएं माता पार्वती को और महादेव को वस्त्र चढ़ाएं। पूजन के बाद कथा सुनें और आरती करें रात्रि में जागरण करें। जिससे सदैव सौभाग्यवती बनी रहती है ।

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