Hartalika Teej Special: हरतालिका तीज का व्रत करते हैं आप तो इन नियमों को जरूर जानिए, तभी मिलेगा मां पार्वती और शिवजी का आशीर्वाद

Hartalika Teej Special: हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है। इस व्रत के नियमों का पालन करना जरूरी होता है...जानिए क्यों

Update: 2023-09-13 00:30 GMT

Hartalika Teej Special:  अखंड सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां दोनों करती है। यह व्रत मां पार्वती ने शिव को पति रुप में पाने के लिए किया था। शास्त्रों में कहा गया है कि इस पवित्र व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से अच्छा जीवनसाथी मिलता है। इस पावन व्रत में भगवान शिव, माता गौरी, एवं श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा अराधना की जाती है। यह व्रत निराहार एवं निर्जला रहकर किया जाता है। भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत पड़ता है। 

 हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी से बनी मूर्तियों की पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।  हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर दिन सोमवार को है। इस व्रत को बहुत कठिन माना गया है, क्योंकि इस दिन व्रत के दौरान अन्न जल का सेवन नहीं किया जाता है।

हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि 

हरतालिका व्रत के दिन सुबह स्नानादि के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें। व्रत से एक दिन पहले बिना लहसुन प्याज के भोजन करें। व्रत के बाद निर्जल रहकर 24 घंटे व्रत रखें। दूसरे दिन चतुर्थी में पारण का विधान है। उससे पहले व्रत वाले दिन पूजा विधि कैसे करनी है जानते हैं....

शिव की पूजा प्रदोष काल में करने से उत्तम फल मिलता है। लेकिन इस दिन सुबह भी पूजा करें। सबसे पहले एक चौकी लें उस पर लाल वस्त्र का आसन दें फिर केले का पत्ता बिछायें।

केले के पत्ते पर मिट्टी से बने शिव-पार्वती की मूर्ति के विराजित करें। फिर अष्टदलकमल बनाकर उस पर पानी से भरा कलश रखें। कलश में सुपारी सिक्का और हल्दी डालें।

कलश के पर आम के पत्ते के साथ पान के 5 पत्ते, सुपारी चावल से भरी कटोरी रखें। मां पार्वती-गणेश जी को सिंदूर और चावल चढ़ाएं। शिव भगवान के जनेऊ और सफेद चंदन चढ़ा दें।

इसके बाद भगवान शिव को षोडशोपचार विधि से पूजा करें। भगवान शिव को श्रृंगार कर वस्त्र के रुप में मौली को पहनाएं और हार, जनेऊ, मालाएं, पगड़ी आदि पहनाएं। इत्र छिड़कर चंदन अर्पित करें, धूप, फूल, दीप, पान के पत्ते पर फल, मिठाई और मेवे आदि चढ़ा दें। शमीपत्री, बेलपत्र, 16 तरह की पत्तियां चढ़ाएं

हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। आरती करें। और मां पार्वती को सुहाग सामग्री अर्पित करें और सदा सुहागन रहने का वरदान मांग लें। कहते हैं कि मां पार्वती ने भगवान शिव के लिए 107 जन्म लिये थे। उसके बाद 108 वें जन्म में शिव की पत्नी बनी थी और जन्म-जन्मांतर तक रही।

हरितालिका तीज व्रत पूजा सामग्री

हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, वस्त्र के साथ भगवान शिव के लिए फूल धतूरा बेल पत्र चढ़ाया जाता है। जानते हैं हरितालिका तीज की षोड्षोपचार पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चढ़ाई जाती है।

शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल-फूल, आक का फूल, जनेऊ, नाड़ा, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा विशेष प्रकार की 16 पत्तियां, 2 सुहाग पिटारा के साथ इन मंत्रों से ॐ उमाये नमः। ॐ पार्वत्यै नमः। ॐ जगद्धात्रयै नमः। ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नमः। ॐ शांतिरूपिण्यै नमः। ॐ शिवाय नमः। ॐ हराय नमः। ॐ महेश्वराय नमः। ॐ शम्भवे नमः। ॐ शूलपाणये नमः। ॐ पिनाकवृषेनमः। ॐ पशुपतये नमः। पार्वती-शिव को प्रसन्न किया जाता है।

हरतालिका तीज के नियम

हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है। इस व्रत का नाम है निर्जला व्रत, इस व्रत में महिलाएं फलाहार भी नहीं कर सकती है। भूलवश अगर किसी महिला ने पानी पी लिया तो व्रत खंडित माना जाता है।

हरतालिका तीज का व्रत दिन और रात दोनों समय लगातार रखा जाता है। महिलाएं दिन के साथ रात को भी जागरण करती हैं। महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करती हैं। इस व्रत में सोना नहीं चाहिए। अगर आप सो गए तो आपका व्रत खंडित माना जाता है।

हरतालिका तीज व्रत के दिन महिलाओं को कलह-क्लेश नहीं करना चाहिए। इस दिन बड़े बुजुर्गों का भी अपमान नहीं करें। ऐसा करने से व्रत का लाभ नहीं मिलता है।

अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए।किसी से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। तीज के व्रत से एक दिन हाथों में मेंहदी इसलिए लगाई जाती है ताकि मन शांत और ठंडा रह सके।

हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने के बाद इसे हर साल करना होता है, इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता। अगर किसी वजह से ये व्रत न कर पाएं तो इसका उदयापन कर दें या फिर अपने परिवार में किसी दूसरी महिला को ये व्रत देना होता है।

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