Hartalika Teej Vrat Katha: आज का दिन है बहुत खास, हरतालिका तीज व्रत करके सुने कथा और जानें नियम, होगा कल्याण

Hartalika Teej Vrat Katha वैवाहिक और दांपत्य जीवन की समृद्धि के लिए हरतालिका तीज का व्रत कर मां पार्वती और शिव जी की पूजा की जाताी है । इस बार सोमवार को यह व्रत पड़ रहा है इससे इसकी महिमा और बढ़ जाती है। जानते है इसकी कथा...

Update:2023-09-17 06:30 IST

Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज (hartalika teej) पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत माना गया है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का नियम है। हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ना नही चाहिए और प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।  इस साल 18 सितंबर 2023 को हरतालिका तीज का व्रत है।

हरतालिका तीज व्रत कथा

हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार यह हरतालिका व्रत कथा भगवान शिव ने ही माता पार्वती को सुनाई थी। भगवान शिव ने इस कथा में मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था। उन्होंने सुनाया कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया और 108वीं बार पर्वतराज पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद उनकी यह मनोकामना पूर्ण हुई।

माता पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप कर रही थी। माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी इसलिए उनकी सखियां माता पार्वती का हरण कर उन्हें दूर जंगल में ले गई और फिर दोबारा वे कठिन तप में तल्लीन गई। इस व्रत को ‘हरितालिका’ (hartalika) इसलिये कहा जाता है क्योंकि माता पार्वती की सखियां उन्हें पिता और प्रदेश से हर कर जंगल में ले गयी थी। ‘हरित’ अर्थात हरण करना और ‘तालिका’ अर्थात सखी। इस प्रकार भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप व व्रत करने के बाद भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। पर्वतराज हिमालय ने भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न कराया।

यह भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी यानि यह हरतालिका तीज (hartalika teej) का दिन था और इस दिन माता पार्वती का उपवास पूरा हुआ। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस दिन सभी सुहागन महिलाओं को उनके पति की लंबी आयु होने का आशीर्वाद देते हैं। 

दूसरी  कथा

एक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही काटे और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा ही ग्रहण कर जीवन व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुःखी थे।

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के विवाह का प्रस्ताव लेकर माँ पार्वती के पिता के पास पहुँचे जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब बेटी पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वे बहुत दु:खी हो गईं और जोर-जोर से विलाप करने लगीं।

फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वे यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं, जबकि उनके पिता उनका विवाह श्री विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गईं और वहाँ एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं। माँ पार्वती के इस तपस्वनी रूप को नवरात्रि के दौरान माता शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है।

भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र मे माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वे अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करतीं हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बनाए रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है।

हरतालिका तीज पर व्रत के नियम

अगर आप हरतालिका तीज पर पहली बार निर्जला व्रत (Nirjala vrat) रखने जा रही हैं, तो आपको आजीवन इस व्रत का पालन करने का संकल्प लेना पड़ता है, वरना आपको इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.

हरतालिका तीज वाले दिन यदि आप निर्जला व्रत रखने का संकल्प ले रही हैं, तो आपको यह व्रत 24 घंटे तक रखना पड़ता है.

हरतालिका तीज वाले दिन आपको व्रत तृतीया तिथि से आरंभ करके चतुर्थी तिथि तक रखना पड़ता है, वरना यह अधूरा माना जाता है.

कहा जाता है जो भी महिला तालिका तीज वाले दिन निर्जल व्रत रखने के बावजूद अन्न या जल ग्रहण कर लेती है, उस महिला को अगला जन्म जानवर की योनि में मिलता है.

हरतालिका तीज पर यदि आप पहली बार व्रत रखने जा रहे हैं तो आपको आजीवन इसका पालन करना चाहिए. व्रत को बीच में समाप्त कराने पर आपको उद्यापन अवश्य करना चाहिए.

हरतालिका तीज वाले दिन आपको रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए, कई महिलाएं हरतालिका तीज वाले दिन निद्रा का त्याग कर देती है.

हरतालिका तीज वाले दिन आप व्रत रखें या नहीं, लेकिन आपको सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए.

हरतालिका तीज की कथा सुने बिना आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है, इस दिन आपको शिव-पार्वती की कथा अवश्य सुननी चाहिए.

हरतालिका तीज वाले दिन सुहाग की सामग्री का दान पुण्य अवश्य करना चाहिए और व्रत का पारण भी अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए, तब जाकर आपका व्रत पूर्ण और सफल माना जाता है.

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