Sawan 2024: भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं बेल पत्र, सावन में इन वस्तुओं का श्रृंगार और अर्पण देता है एक करोड़ कन्यादान का पुण्यफल...
Sawan 2024: पं. रवि प्रकाश मिश्र बताते हैं कि इसका जवाब कई पंडित और विद्वान देते हैं। पंडितों का कहना है कि भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता है, इसलिए भगवान का श्रृंगार प्राकृतिक वस्तुओं से होता है। सावन में बेल पत्र, धतुरा, फूल आदि अर्पित करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Sawan 2024: सोमवार से भगवान शिव का प्रिय महीना 'सावन' शुरू हो गया है। इस दौरान भक्त भगवान भोलेनाथ को कई प्राकृतिक चीजें चढ़ाते हैं और प्राकृतिक चीजों से उन का शिवालयों में श्रृंगार करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि महादेव को प्राकृतिक चीजें ही क्यों चढ़ाते हैं और इसकी कथा क्या है...
सावन में पांच सोमवार का संयोग
एलयू के शोध छात्र व ज्योतिषाचार्य पं. रवि प्रकाश मिश्र ने बताया कि भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष फलदायी माने जाने वाले सावन माह की सोमवार से शुरुआत हो गई है। वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि सावन माह की शुरुआत सोमवार से और समापन भी सोमवार को होगा। खास बात यह है कि सावन में पांच सोमवार का संयोग भी रहेगा। इससे इस महीने प्राकृतिक वस्तुओं से पूजा अर्चना करने पर भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को क्यों प्राकृतिक चीजें चढ़ाते हैं!
भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता
पं. रवि प्रकाश मिश्र बताते हैं कि इसका जवाब कई पंडित और विद्वान देते हैं। पंडितों का कहना है कि भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता है, इसलिए भगवान का श्रृंगार प्राकृतिक वस्तुओं से होता है। सावन में बेल पत्र, धतुरा, फूल आदि अर्पित करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूरे सावन माह में श्रद्धा भक्ति का नजारा दिखाई देगा। इस दौरान अनेक आयोजन होंगे। पहले सावन सोमवार पर भी शिवालयों में पूजा के साथ विशेष शृंगार किया जाएगा।
भगवान भोलेनाथ को यह अर्पित करें
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बेल पत्र, धतूरा, दूध-दही, शहद, मदार, गंगाजल, फल-फूल, भांग, शमीपत्र और भस्म आदि भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
बेलपत्र में किसका वास
शोध छात्र के मुताबिक मान्यता है कि बेलपत्र की पेड़ की जड़ में गिरिजा, तनों में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में मां पार्वती के रूप का वास होता है। माता पार्वती का प्रतिबिंब होने की वजह से बेलपत्र को भगवान शिव पर चढ़ाते हैं।
बेलपत्र से शिव का मस्तिष्क शीतल
पं. रवि की मानें तो शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। बेलपत्र और जल से भगवान शिव का मस्तिष्क शीतल रहता है।
शिवलिंग पर क्यों अर्पित करते हैं बेलपत्र
ज्योतिषाचार्य पं. रवि मिश्रा ने कहा कि बेलपत्र का आध्यात्मिक, प्राकृतिक और वैज्ञानिक महत्व है। बेलपत्र विटामिन से भरपूर होता है और इससे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। पौराणिक मान्यता है कि एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई। उससे बेल का पेड़ निकल आया। इसलिए इस पेड़ पर वह कई स्वरूपों में रहती हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन में हलाहल विष का पान भगवान शिव ने विश्वकल्याण के लिए किया है। विष के प्रभाव कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें बेलपत्र, जल अर्पित किया था।
बेलपत्र का औषधीय महत्व
एलयू शोधार्थी के अनुसार इसके अलावा बेलपत्र के पेड़ की छाल, जड़, फल और पत्ते विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयुक्त होते हैं। बेलपत्र से मसूड़ों से खून आना, अस्थमा, पीलिया, पेचिश, एनीमिया आदि रोगों का उपचार होता है। बेल के फल में विटामिन ए, सी, बी1, बी6, बी12, कैल्शियम, पोटैशियम, राइबोलेविन और फाइबर मिलता है। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं।