Navratri 2022: जानें नवरात्रि में कलश के पास जौ बोने का सही तरीका, जाने कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2022: अगले हफ्ते से यानी 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। जिसको लेकर अभी से बाजारों में खूब चहल पहल है। मार्केट में लोगों की खूब भीड़ उमड़ रही है।

Report :  Anupma Raj
Update: 2022-09-25 12:23 GMT

How to grow Jawara at home in Shardiya Navratri (Image: Social Media)

Shardiya Navratri 2022: अगले हफ्ते से यानी 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। जिसको लेकर अभी से बाजारों में खूब चहल पहल है। मार्केट में लोगों की खूब भीड़ उमड़ रही है। बता दे हिंदू धर्म में नवरात्रि तिथि का विशेष महत्व होता है। दरअसल साल में 4 नवरात्रि तिथियां होती हैं, लेकिन इनमें से दो बार नवरात्रि की बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। 

नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विशेष मायने होता है और जौ बोने की भी परंपरा रही है। इसे घरों में सुख समृद्धि आती है। जौ को पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के पास मिट्टी के प्याले में बोया जाता है और यह 9 दिनों में हरे भरे होकर घर की समृद्धि का संकेत देते हैं। दरअसल मान्यतानुसार नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ जौ इसलिए बोए जाते हैं क्योंकि हिन्दू धर्म ग्रंथों में सृष्टि की शुरूआत के बाद पहली फसल जौ ही मानी जाती है। इसलिए जब भी देवी देवताओं का पूजन होता है तब जौ को बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में कलश के पास जौ बोने का नियम और तरीका क्या है। तो आइए जानते हैं जौ बोने का तरीका क्या है: 

नवरात्रि में जौ उगाने के नियम इस प्रकार है: 

अगर आप नवरात्रि के दौरान घर में जौ उगा रही हैं, तो ध्यान में रखें कि प्याला मिट्टी का ही बना होना चाहिए क्योंकि मिट्टी को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। 

ध्यान रखें जो भी ज्वारे उगाए उसे स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करने चाहिए तभी ज्वारे उगाने चाहिए। 

यह भी ध्यान रखें महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ज्वारे नहीं उगाने चाहिए, क्योंकि उस समय शरीर को अपवित्र माना जाता है। 

जानकारी के लिए बता दें जिस स्थान की मिट्टी का इस्तेमाल करें वो साफ़ होनी चाहिए। 

नवरात्रि में जौ उगाने का तरीका

दरअसल शारदीय नवरात्रि के दौरान घर में जौ उगाने के लिए मिट्टी का एक साफ़ प्याला लें और इसे पानी से धो लें।

अब इस प्याले में कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और इसमें मिट्टी और गोबर की सूखी खाद डाल दें। 

फिर इसमें पानी का छिड़काव करें और मिट्टी को थोड़ा सा गीला होने दें। 

अब एक मुट्ठी में जौ के उतने दाने लें जो आपके प्याले की क्षमता के अनुरूप हों। 

फिर जौ के दाने मिट्टी में डालें और हल्के हाथों से फैला दें। 

ये है कलश स्थापना का समय और शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri Kalash Sthapana Shubh Muhurat)

दरअसल ज्‍योतिषाचार्य के मुताबिक आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03:23 बजे शुरू होगी और 27 सितंबर को सुबह 03:08 बजे तक रहेगी। ऐसे में बता दे नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर से होगा। वहीं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 11 मिनट से लेकर 07 बजकर 51 मिनट तक का है। साथ ही सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक चौघड़िया का अमृत्त सर्वोत्तम मुहूर्त है। इसके अलावा बता दे कि अभिजीत मुहूर्त को भी कलश स्‍थापना के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्‍थापना कर सकते हैं।  

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