नवरात्रि स्पेशल: वाद विवाद में पानी है विजय तो दुर्गा सप्तशती का यह उपाय जरूर करें

Update: 2017-09-20 08:19 GMT

सहारनपुर: दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में पढ़ने और अपनी शत्रु संबंधी समस्याओं के समाधान का उपाय बताया गया। इस आर्टिकल में हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि शारदीय नवरात्रि में आप दुर्गा सप्तशती के माध्यम से बेकार के वाद विवाद से कैसे बच सकते हैं और घर व भूमि आदि पर कब्जा करने वाले शत्रुओं से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?

यह भी पढ़ें: ये पोटली इस नवरात्रि खोलेगी आपकी किस्मत, बस मनोरथ के अनुसार करें रंगों का चयन

सहारनपुर के श्री बालाजी धाम के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी महाराज ने बताया कि दुर्गा सप्तशती का दूसरा अध्याय भी उतना ही महत्व है, जितना कि पहला अध्याय। इस अध्याय में बताया गया कि देवताओं के तेज से देवी का प्रादुर्भाव कैसे होता है। देवताओं और असुरों में पूरे 100 साल तक घोर युद्ध हुआ था। असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवराज इंद्र देवताओं के नायक थे। इस युद्ध देवताओं की सेना परास्त हो गई थी। देवताओं की परास्त की बात सुनकर भगवान विष्णु और शंकर जी को दैत्यों पर गुस्सा आया।

यह भी पढ़ें: नवरात्रि: चाहिए सुंदर पत्नी और धन तो यह अध्याय आपके लिए है जरूरी

गुस्से से भरे विष्णु के मुख से एक बडा भारी तेज निकला। इसी प्रकार शंकर जी और ब्रह्मा जी व दूसरे देवताओं के मुख से भी तेज प्रकट हुआ। सभी देवताओं के तेज से देवी के अलग अलग अंग बने और देवी का प्रादुभाव हुआ। देवी के इस रूप ने महिषासुर की सेना कई महादैत्यों का नाश किया था। सप्तशती का यह अध्याय हमें शिक्षा देता कि भारी से भारी विपत्ति आने पर भी हमें अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए।

यह भी पढ़ें: नवरात्रि स्पेशल: देवी दुर्गा के स्वागत में सजा 10 करोड़ का भव्य बाहुबली पंडाल

इस अध्याय को करने से मानव वाद विवाद में विजय प्राप्त करता है। यदि आपके घर अथवा भूमि पर किसी शत्रु ने कब्जा कर लिया है तो आपके लिए यह अध्याय बेहद ही महत्वपूर्ण है। इस अध्याय का पाठ करने से मानव भूमि अथवा घर पर कब्जा करने वाले शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के साथ ही अपने भूमि भवन पर फिर से अधिकार प्राप्त करता है।

Tags:    

Similar News