होलाष्टक : धर्म एवं ज्योतिषशास्त्र में मंगल कार्यों के लिए उत्तम नहीं ये समय
भारतीय मुहूर्त विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त तय कर उस हिसाब से ही उसे करने की अनुमति देता है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। शुभ मुहूर्त का मतलब ऐसे समय से है जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो।
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता के मुताबिक ज्योतिषशास्त्र में प्रत्येक शुभ कार्य के लिए समय निर्धारित किया गया है। इस शुभकाल में प्रारंभ किया गया कार्य अवश्य ही पुण्य फलदायी एवं शुभकारी बताया गया है, किंतु इसी काल में ऐसा भी समय होता है जब शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। एक ऐसा ही काल होता है होलाष्टक जो भारतीय धर्म एवं ज्योतिषशास्त्र में मंगल कार्यों के लिए उत्तम नहीं माना गया है।
होलाष्टक 23 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है, जो कि 1 मार्च होलिका दहन के साथ समाप्त होगा अर्थात इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करना वर्जित होगा। ज्योतिशास्त्र के अनुसार होलाष्टक के दौरान किया गया कार्य विपरीत परिणाम लेकर आ सकता है और ये पीड़ादायी एवं कष्टकारी बन सकता है। होलाष्टक के आठ दिन किसी भी ऐसे कार्य करने के लिए पूर्णत अशुभ माने जाते हैं, जो आपके जीवन में मंगलकारी माने गए हैं।
ये कार्य ना करें
होलिका दहन की परंपरा
राजा के आदेश पर सैनिकों ने भक्त प्रहलाद को अनेक यातनाएं दीं। उसे मरने के लिए जंगली जानवरों के बीच छोड़ा, नदी में डुबो दिया, ऊंचे पर्वत से भी फेंका गया। हर सजा देने पर भी भक्त प्रहलाद भगवान की कृपा से बच गया। अंत में राजा ने अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर प्रहलाद को जिंदा जला डालने का हुक्म दिया। राजा की बहन होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में भी भस्म नहीं होगी। प्रभु कृपा से प्रहलाद तो बच गया मगर होलिका जल गई। उस दिन से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
घर के चारों तरफ छिडक़ें राख
ऐसा करने से आपके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है। अगर आपके ऊपर किसी ने टोने-टोटके कर रखे हैं तो गाय के गोबर में जौ,अरसी मिलाकर उपला बनाएं। इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका देने से सारी नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है। होलिका दहन के बाद अगली सुबह उसकी राख का माथे पर टीका जरूर लगाना चाहिए। इससे 27 देवता प्रसन्न होते हैं।