Janmashtami Kab Hai 2023 Me Shubh Muhurat जन्माष्टमी कब है 2023 में: जानिए शुभ मुहूर्त तिथि और महत्व

Janmashtami Kab Hai 2023 Me Shubh Muhurat जन्माष्टमी कब है 2023 में:हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। भाद्रपद के अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन को जन्माष्टमी कहते हैं। इस साल कब है जन्माष्टमी जानते हैं...

Update:2023-07-22 17:42 IST
सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया

Janmashtami Kab Hai 2023 Me Shubh Muhurat जन्माष्टमी कब है 2023 में: भगवान श्री कृष्ण का जन्म का जश्न 6-7 सितंबर को पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा। इस साल भी लोग कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर उलझन में हैं। यह उत्सव आमतौर पर दो दिन का होता है, जो एक शाम को कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के साथ शुरू होता है और उसके बाद अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है।हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाया जाएगा।

जन्माष्टमी कब हैं

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 6 सितंबर 2023 दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर 2023, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था, इस वजह से कुछ लोग जन्माष्टमी का व्रत 6
सितंबर
को रखेंगे। कुछ लोग जन्माष्टमी का व्रत 7 सितंबरको रखेंगे और जन्माष्टमी का उत्सव मनाएंगे।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के दिन मध्य रात्रि में हुआ था। 6 सितंबर 2023 दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। 06 सितंबर को रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत सुबह 09 बजकर 20 मिनट से हो रही है। अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। वहीं जन्माष्टमी व्रत का पारण 7 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट या शाम 04 बजकर 14 मिनट के बाद किया जा सकेगा।6 सितंबर 2023 को गृहस्थ जीवन वाले लोग और 7 सितंबर 2023 को वैष्णव संप्रदाय के लोग कान्हा का जन्मोत्सव मना सकते हैं।

जन्माष्टमी की पूजा विधि

जन्माष्टमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए भक्त उपवास और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्र पहना कर, धूप-दीप से चढ़ाते हैं। भगवान को पुष्प अर्पित करें, चंदन लगाते हैं। भगवान कृष्ण को दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं, ऐसे में इसका प्रसाद बनाकरऔर भगवान को अर्पित करते है फिर सभी को वही प्रसाद देते हैं। मंदिरों में विशेष सजावट करके जन्माष्टमी को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। कुछ स्थानों में दही-हांडी का भी उत्सव रखा जाता है। मध्यरात्रि के समय भगवान के जन्मोत्सव के समय सभी लोग मंदिरों में एकत्रित होकर विशेष पूजा करते हैं।

जन्माष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए इस दिन लोग उपवास रखने के साथ विधि-विधान से पूजा और भजन करते हैं। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। दरअसल मान्यता है कि एक भविष्यवाणी के कारण कंस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया था। कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भाद्र मास की अष्टमी तिथि को कंस की बहन देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तभी से प्रत्येक साल भाद्र मास की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

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