Jaya Ekadashi 2022 Date : फरवरी 2022 में जया एकादशी व्रत कब है?,जानिए मुहूर्त , शुभ योग और पारण का समय
Jaya Ekadashi 2022 Date : 2022 में जया एकादशी व्रत 12 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने , पूजा करने से परमपद की प्राप्ति और वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
Jaya Ekadashi 2022 Date :
2022 जया एकादशी व्रत (Jaya Ekadashi 2022) कब है?
एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।हर महीने दो एकादशी दो पक्ष में पड़ती है। हर एकादशी की अपनी महिमा है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी को अजा और भीष्म एकादशी भी कहते हैं। इस साल 2022 में जया एकादशी व्रत 12 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने , पूजा करने से परमपद की प्राप्ति और वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
फरवरी में जया एकादशी कब है 2022
- 12 फरवरी 2022, शनिवार माघ माह, शुक्ल एकादशी
- जया एकादशी आरंभ - 13:52 PM,11 फ़रवरी
- जया एकादशी समाप्त - 16:27PM, फ़रवरी 12
जया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
- माघ मास की जया एकादशी
- एकादशी तिथि प्रारम्भ : 13:52 PM,11 फ़रवरी
- एकादशी तिथि समाप्त :16:27 PM, फ़रवरी 12
- अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM से 12:35 PM
- अमृत काल – 10:17 PM से 12:04 AM, 13 फ़रवरी
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:52 AM से 05:43 AM
- विजय मुहूर्त- 02:05 PM से 02:50 PM
- गोधूलि बेला- 05:38 PM से 06:02 PM
- रवि योग – 06:35 AM से 06:38 AM
- जया एकादशी 2022 पारण समय- 13 फरवरी, रविवार प्रात: 07: 01 मिनट से प्रातः 09: 15 मिनट के मध्य तक
पद्मपुराण और भागवतपुराण के अनुसार इस विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए । क्योंकि मान्यता है कि भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और फलाहार से इस दिन परमार्थ का प्राप्ति होती है। जया एकादशी व्रत के लिए साधक को व्रत से पूर्व दशमी के दिन एक ही समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रती को संयमित और ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करके भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करनी चाहिए। रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करना चाहिए। द्वादशी के दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
इस दिन सुबह उठकर मिटटी के लेप और कुशा से स्नान करना चाहिए। उसके बाद जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण, व गीता के अनुसार जया एकादशी करने समस्त भय और पापों से मुक्ति और मधुसुधन की कृपा बरसती है।
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