Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 में कब है?, जानिए पूजा विधि,महत्व और शुभ मुहूर्त

Jyeshtha Purnima Date and Time: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर वट सावित्री का व्रत भी किया जाता है।

Update: 2024-06-20 07:45 GMT

Jyeshth Purnima 2024 Shubh Muhurat: ज्येष्ठ माह ( में आने वाली पूर्णिमा का धर्मानुसार बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन को वट पूर्णिमा भी कहते हैं। इस बार यह पर्व 21 जून को है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान-पुण्य व व्रत से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है।  साथ ही इस दिन दान करने से पितरों का भी भला होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन ख़ास तौर पर महिलाओं को व्रत कर विशेष रूप से भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये।

भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत पूजा करने से से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है। महिलाएं पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी उम्र की कामना से वट वृक्ष यानी बरगद की पूजा और व्रत करती हैं। वट पूर्णिमा का व्रत वट सावित्री के व्रत की तरह ही रखा जाता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त (Jyeshth Purnima Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 21 जून 2024 को प्रातः 06 .01 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 22 जून 2024 को प्रातः 05 .07 मिनट पर होगा। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी

पूर्णिमा तिथि शुरू : 21 जून 2024 को प्रातः 06 .01 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 22 जून 2024 को प्रातः 05 .07 मिनट पर होगा

अभिजीत मुहूर्त - 12:01 PM से 12:55 PM

अमृत काल - 09:27 AM से 11:03 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:10 AM से 04:58 AM

विजय मुहूर्त 02:17 AM से 03:12 AM

गोधूलि मुहूर्त 06:50 PM से 07:11 PM

सायाह्न संध्या मुहूर्त 06:51 PM से 07:53 PM

निशिता मुहूर्त 11:39 PM से 12:21 AM, जून 22

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व (Jyeshth Purnima Importance)

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हिंदू धर्मावलंबी गंगा जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिये निकलते हैं। जब धरती पर प्रचंड गर्मी रहती है और कई नदी व तालाब सूख जाते हैं या उनका जल स्तर कम हो जाता है। इसलिए इस महीने में जल का महत्व अन्य महीनों की तुलना में ज्यादा रहता है।इसीलिए ऋषि-मुनियों ने ज्येष्ठ माह में आने वाले इन त्योहारों जैसे- गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी के माध्यम से संदेश दिया है कि जल के महत्व को पहचानें और इसका सदुपयोग करें।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए. किसी ब्राह्मण को चंद्रमा से जुड़ी चीज जैसे सफेद वस्त्र, चीनी, चावल, दही, चांदी का दान करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के दौरान उन्हें 11 कौड़ियां अर्पित करनी चाहिए. साथ ही तिलक और हल्दी लगानी चाहिए. इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर धन वाले स्थान पर रखना चाहिए. ऐसा करने से मान्यता है कि धन संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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