Jyotirlingas: जानिए, 12 ज्योतिर्लिंग और 12 राशियों के बीच सम्बन्ध

Jyotirlingas: 12 ज्योतिर्लिंग की प्रसिद्धि अधिक है। यह सभी ज्योतिर्लिंग उस स्थान पर बने हैं या स्थित हैं जिस स्थान का कोई न कोई ज्योतिष और खगोलीय महत्व है। जैसे महाकाल ज्योतिर्लिंग कर्क रेखा पर स्थित है। यहां से संपूर्ण धरती का समय निर्धारित होता है।

Update:2023-05-10 03:51 IST
12 jyotirlingas (Pic: Social Media)

Jyotirlingas: भगवान शिव के यूं तो कई ज्योतिर्लिंग हैं। लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग की प्रसिद्धि अधिक है। यह सभी ज्योतिर्लिंग उस स्थान पर बने हैं या स्थित हैं जिस स्थान का कोई न कोई ज्योतिष और खगोलीय महत्व है। जैसे महाकाल ज्योतिर्लिंग कर्क रेखा पर स्थित है। यहां से संपूर्ण धरती का समय निर्धारित होता है। इस प्रकार 12 ज्योतिर्लिंग का 12 राशियों से भी गहरा संबंध है। आइए जानते हैं।

12 ज्योतिर्लिंग और 12 राशियों के बीच सम्बन्ध

1. मेष- इस राशि का संबंध रामेश्वर ज्योतिर्लिंग से है। मेष राशि सूर्य की उच्च राशि है और सौरमास का प्रथम माह भी है। रामेश्वर को सूर्य का उच्च स्थान माना जाता है। सूर्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना त्रेतायुग में सूर्यवंशी भगवान श्रीराम ने की थी। सूर्य हमारी आत्मा, यश, मान सम्मान, पद और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है।

2. वृष- इस राशि का संबंध सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से है। वृषभ राशि चंद्र की राशि है। चंद्र को सोम भी कहते हैं। यहां पर चंद्र अपनी उच्च अवस्था में होता है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण सतयुग में चंद्रदेव ने किया था। चंद्र हमारे मन और अच्छी सेहत का प्रतीक है।

3.मिथुन- इस राशि का संबंध नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से है, जो गुजरात के द्वारिका में स्थित है। नागेश्‍वर को नागों का राजा कहा गया है। यह राशि कन्या और राहु की राशि है। इस इस राशी को राहु के लिए उच्च माना जाता है। राहु रहस्य, शक्ति और पराक्रम बढ़ाता है।

4.कर्क- इस राशि का संबंध ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा तट पर मन्धाता व शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। कर्क चंद्र की राशि है। यह राशी बृहस्पति का उच्च स्थान है। ये ज्योतिर्लिंग ॐ के नाद से उत्पन्न हैं। बृहस्पति हमारे जीवन में आयु, ज्ञान और सौभाग्य देता है।

5. सिंह- इस राशि का संबंध औरंगाबाद स्थित गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग से है। इन्हें धुशनेश्वर भी कहते हैं। इसकी पूजा से पापों का नाश होता है। ये तपस्वियों के राजा के नाम पर है। यह सूर्य का स्थान है।

6. कन्या- इस राशि का संबंध मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है, जो आन्ध्र प्रदेश में है। यह बुध ग्रह का उच्च स्थान है। बुध ग्रह हमारे जीवन में नौकरी और व्यापार के साथ ही बुद्धि एवं वाणी को भी संचालित करता है।

7.तुला- इस राशि का संबंध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से है, जो अवंतिका उज्जैन में स्थित है। यह स्थान शनिदेव का उच्च स्थान है, जो समय का संचालन करते हैं। यहां हमें न्याय और ज्ञान के साथ ही वैराग्य प्राप्त होता है। यहां पर देवता भी काल के वश में रहते हैं।

8.वृश्चिक- इस राशि का संबंध बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से है, जो झरखंड में स्थित है। यहां आकर शारीरिक और मानसिक रोगों का निदान होता है। कुण्डलिनी के उत्थान के लिए इस ज्योतिर्लिंग की आराधना आवश्यक है।

9. धनु- इस राशि का संबंध काशी विश्‍वनाथ ज्योतिर्लिंग से है। यह केतु का उच्च स्थान है जहां आत्मा को मुक्ति मिलती है। यहां आकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

10. मकर- इस राशि का संबंध भीमाशंकर या मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग से है, जो पुणे के पास स्थित है। यह मंगल का उच्च स्थान है। मंगल हमारे जीवन में पराक्रम, शौर्य और अभय प्रदान करते हैं और साथ ही जीवन को मंगलमय बनाते हैं।

11. कुम्भ- इस राशि का संबंध केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से है। यह राहु और शनि का स्थान है, जो जीवन से अंधकार को दूर कर दुविधा का अंत करते हैं। गलत कर्म करो तो जीवन को अंधकारमय बना देते हैं।

12. मीन- इस राशि का संबंध त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग से है। यह शुक्र का उच्च स्थान है। यहां पर सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और जातक जन्म एवं मरण के चक्र से छूट जाता है। मृत्युंजय मंत्र इस ज्योतिर्लिंग से सम्बंधित है।

उल्लेखनीय है कि कुछ विद्वानों के अनुसार मेष के सोमनाथ, वृषभ के मल्लिकार्जुन, मिथुन के महाकालेश्वर, कर्क के ओंकारेश्वर, सिंह के वैद्यनाथ, कन्या के भीमाशंकर, तुला के रामेश्वर, वृश्चिक के नागेश्वर, धनु के काशी विश्‍वनाथ, मकर के त्रयंबकेश्वर, कुंभ के केदारनाथ और मीन के घुष्मेश्वर या गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग को मानते हैं।

(कंचन सिंह)

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