Kamika Ekadashi 2021 Date & Time: इस साल सावन माह में कब है कामिका एकादशी, जानिए मुहूर्त, उपवास का दिन और पारण का समय

Kamika Ekadashi 2021 Date & Time: सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रीविष्णु का पूजा के साथ गंधर्व, नागों और शिव की पूजा करने से हर मनोरथ पूर्ण होते हैं।साथ में मुक्ति का मार्ग खुलता है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-06-05 15:23 IST

सांकेतिक तस्वीर( सौ. से सोशल मीडिया) 

कामिका एकादशी 2021

सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी व्रत कहते हैं। इस बार कामिका एकादशी 4 अगस्त को बुधवार के दिन पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। हर माह के दो पक्षों की एकादशी की पूजा और उपासना करने से मुक्ति का मार्ग खुलता है। साल 24 एकादशियों में सावन की कामिका एकादशी का अपना महत्व है। इस एकादशी से भूत, प्रेत और डर का नाश होता है।

सावन की कामिका एकादशी के दिन श्रीविष्णु की पूजा के साथ श्रीगणेश और शिव और गंधर्व-नागों की पूजा भी विधि-विधान से करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं।

पुराणों में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिलती है। साथ ही भौतिक जीवन में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।

कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त

इस बार कामिका एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल है। इसके बाद चौघड़िया तिथि देखकर पूजा आराधना कर सकते हैं।

  • कामिका एकादशी की तिथि
  • कामिका एकादशी का आरंभ: 03 अगस्त 2021 को दोपहर 12:59 बजे
  • कामिका एकादशी का समापन: 04 अगस्त 2021 को दोपहर 03:17 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त : 04:26 AM – 05:14 AM
  • अमृत काल : 06:38 PM – 08:25 PM
  • अभिजित मुहूर्त: नहीं
  • पारना: सुबह 05.57 AM से 08:20 AM तक
  • सवार्थ सिद्धि योग-Aug 04 06:02 AM - Aug 05 04:25 AM ( मृगशिरा)

कामिका एकादशी महत्व

कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण,पद्म पुराण व भागवद् के अनुसार कामिका एकादशी समस्त भय और पापों का नाश करने वाली संसार के मोह माया में डूबे हुए प्राणियों को पार लगाने वाली नाव के समान बताया गया है। इस व्रत के करने संतान सुख, अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है।

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