कार्तिक मास आज से लग रहा Kartik Maas 2022 Aaj se Lag Raha Hai: क्या करें, जानिए इस माह की महिमा और पर्व-त्योहार
Kartik Maas 2022 Kab se Lag Raha Hai :चातुर्मास का आखिरी माह कार्तिक मास की शुरुआत बस कुछ दिनों में होने वाली है। इस पवित्र मास में जप-तप और दान का अपना महत्व है।आप अगर अपनी गलतियों के प्रायश्चित करना चाहते हैं तो इस माह धार्मिक कृत्य कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। जानते है कब से शुरू रहा कार्तिक का महीना और उसमें आने वाले त्योहार....
Kartik Maas 2022 Kab se Lag Raha Hai
कार्तिक मास कब से लग रहा है
कार्तिक मास में सुबह सुबह स्नान और सूर्योदय से पहले दीपदान का महत्व है। इस माह में पवित्र नदियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता हैं। इसी मास से चातुर्मास का समापन होता है। इस माह की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा के बाद उठते हैं और उसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।
कार्तिक मास 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और 8 नवंबर को खत्म हो रहा है। इस पवित्र मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस मास में समस्त देवताओं की पूजा का विधान है। साथ ही सूर्योदय से पहले उठकर कार्तिक मास में पीपल आंवला, सूर्य और तुलसी की पूजा की जाती है।
कार्तिक मास का महत्व
हिंदू धर्म में पौराणिक और प्राचीन ग्रंथों का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस पूरे कार्तिक मास में व्रत व तप का विशेष महत्व है। उसके अनुसार, जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा है कि भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है। इस बार 10 अक्टूबर 2022 से कार्तिक माह शुरू हो रहा है।
पंचाग के अनुसार आठवां मास कार्तिक मास है जो पापों के नाश का मास और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाला है, यह भगवान विष्णु को अति प्रिय है। कार्तिक मास की शुरुआत के साथ ही धार्मिक कामों की महत्ता बढ़ जाती है। पुराणों में भी कार्तिक मास की चर्चा मासोत्तम मास के रूप में है। कार्तिक मास के समान कोई दूसरा मास नहीं है और सतयुग के समान कोई युग नहीं है। वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नदी नहीं है। इसी तरह सभी देवताओं में भगवान विष्णु,तीर्थों में बद्रीनारायण को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए इस पवित्र मास का महत्व बढ़ जाता है।
इस महीने तप एवम पूजा पाठ उपवास का महत्व होता है, जिसके फलस्वरूप जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है। इस माह में तप के फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। इस माह के श्रद्धा से पालन करने पर दीन दुखियों का उद्धार होता है, जिसका महत्त्व स्वयम विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा था। इस माह के प्रताप से रोगियों के रोग दूर होते हैं जीवन विलासिता से मुक्ति मिलती हैं।
कार्तिक मास में तुलसी ,दीप दान का महत्व और विधि
कार्तिक माह में दीप दान और दान भी करना जरूरी होता है। इस मास के अक्षय नवमी, तुलसी विवाह, एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस मास पवित्र नदियों में, मंदिरों में आंवला के पेड़ के नीचे दीप दान किया जाता है। जो शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक होता है। इससे घर में धन आता हैं। कार्तिक में मां लक्ष्मी को दीप जलाकर जीवन के अंधकार को दूर कर प्रकाश देने की कामना की जाती है।इस मास दिवाली, दूज, छठ, देव दीपावली और पूर्णिमा जैसे कई पर्व आते है।
कार्तिक में तुलसी की पूजा की जाती हैं और तुलसी के पत्ते खाये जाते हैं। इससे शरीर निरोग बनता हैं। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य देवता एवम तुलसी के पौधे को जल चढ़ाया जाता हैं। कार्तिक में तुलसी के पौधे का दान दिया जाता हैं। इन दिनों में तुलसी दान, अन्न दान, गाय दान एवम आँवले के पौधे के दान का महत्व सर्वाधिक बताया जाता हैं ।कार्तिक में पशुओं को भी हरा चारा खिलाने का महत्व होता हैं।
घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करवायें।
कार्तिक मास में त्योहार
- 13 अक्टूबर गुरुवार करवा चौथ , संकष्टी गणेश चतुर्थी
- 14 अक्टूबर शुक्रवार हिणी व्रत
- 17 अक्टूबर सोमवार अहोई अष्टमी , तुला संक्रांति , कालाष्टमी
- 21 अक्टूबर शुक्रवार रामा एकादशी , गोवत्स द्वादशी , वैष्णव रामा एकादशी
- 23 अक्टूबर रविवार धनतेरस , मास शिवरात्रि , काली चौदस , प्रदोष व्रत
- 24 अक्टूबर सोमवार नरक चतुर्दशी , दिवाली
- 25 अक्टूबर मंगलवार भौमवती अमावस्या , अमावस्या , गोवर्धन पूजा
- 26 अक्टूबर बुधवार चंद्र दर्शन , अन्नकूट , भाई दूज
- 28 अक्टूबर शुक्रवार वरद चतुर्थी
- 29 अक्टूबर शनिवार लाभ पंचमी
- 30 अक्टूबर रविवार षष्टी , छठ पूजा
- 31 अक्टूबर सोमवार व्रत
- 01 अक्टूबर मंगलवार गोपाष्टमी , दुर्गाष्टमी व्रत
- 02 अक्टूबर बुधवार अक्षय नवमी
- 03 अक्टूबर गुरुवार कंस वध
- 04 अक्टूबर शुक्रवार प्रबोधिनी एकादशी
- 05 अक्टूबर शनिवार तुलसी विवाह , प्रदोष व्रत
- 06 अक्टूबर रविवार विश्वेश्वर व्रत
- 07 अक्टूबर सोमवार मणिकर्णिका स्नान , देव दिवाली
- 08 अक्टूबर मंगलवार कार्तिक स्नान समाप्त , सत्य व्रत , सत्य व्रत , पूर्णिमा , कार्तिक पूर्णिमा , पूर्णिमा व्रत
कार्तिक माह में क्या करें
कार्तिक मास में सुबह सुबह मेन दरवाजे पर पानी से धोये और दीप दान करें। इस मास में बेटी, बहन और ब्रह्मण को दान दे। कार्तिक मास में जो लोग संकल्प लेकर हर दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी तीर्थ स्थान, किसी नदी या तालाब पर जाकर स्नान करते हैं या घर में ही गंगाजल युक्त जल से स्नान करते हुए भगवान का ध्यान करते हैं, उस पर भगवान की कृपा अपार होती है। स्नान के बाद पहले भगवान विष्णु और बाद में सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए,फिर पितरों को याद करना चाहिए।
स्नान के बाद नए और साफ कपड़े पहने और भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प और मौसम के फलों के साथ विधिवत सच्चे मन से पूजन करें, भगवान को मस्तक झुकाकर बारंबार प्रणाम करते हुए किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।
कार्तिक मास की कथा स्वयं सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। कुछ लोग कार्तिक मास में व्रत करने का भी संकल्प करते हैं और केवल फलाहार पर रहते हैं जबकि कुछ लोग पूरा मास एक समय भोजन करके कार्तिक मास के नियम का पालन करते हैं। इस मास में श्रीमद्भागवत कथा, श्री रामायण, श्रीमद्भगवदगीता, श्री विष्णुसहस्रनाम आदि स्रोत्रों का पाठ करना उत्तम है।धर्म शास्त्रों के अनुसार,कार्तिक मास में सबसे पहला काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में तुलसी पूजन करने और सेवन करने का विशेष महत्व है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
कार्तिक माह में क्या न करें
भूमि पर सोना कार्तिक मास का महत्वपूर्ण काम है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है। इस महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है। इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
पूरे माह मांस, मदिरा आदि व्यसन का त्याग किया जाता हैं। कई लोग प्याज, लहसुन, बैंगन आदि का सेवन भी निषेध मानते हैं।
इस मास दूसरों की चुगली न करें और झगड़ा से बचें।