Kartik Purnima Ka Mahatva: इस दिन करें कार्तिक पूर्णिमा का स्नान, जानिए कौन सा काम करें और कौन सा नहीं
Kartik Purnima 2023 Mahatva Snan: कार्तिक पूर्णिमा इस दिन मनाई जायेंगी, जानिए इस दिन का महत्व और नियम...
Kartik Purnima Ka Mahatva: कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं, कई गुना की फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो लोग कार्तिक माह में कल्प वास नहीं कर पाते, वह अगर पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदी में स्नान करें तो कई गुना फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन गंगा किनारे ही अन्य धन, वस्त्र, या फिर गर्म कपड़े का दान करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
धार्मिक मान्यतानुसार, कार्तिक की पूर्णिमा के दिन न भगवान विष्णु ने जल प्रलय से बचने के लिए मत्स्य का अवतार भी लिया था।
कार्तिक पूर्णिमा की तारीख को लेकर नहीं हो कनफ्यूज
इस बार कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर दोपहर 3:53 से शुरू होगी, जोकि अगले दिन 27 नवंबर दोपहर 2:45 पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन पूर्णिमा व्रत सत्यनारायण भगवान की पूजा और कार्तिक गंगा स्नान दान करना उत्तम रहेगा. साथ ही बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:30 से 10:49 तक है. इसके साथ ही प्रदोष काल में दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5:24 से रात्रि 7:05 तक है. जबकि पूर्णिमा तिथि के दिन सुबह 5:05 से सुबह 5:58 तक स्नान करना बेहद शुभ रहेगा.
कार्तिक माह के 5 खास दिन
तुलसी विवाह
भीष्म पंचक
बैकुंठ चतुर्दशी
देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन से कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ज्यादातर लोग, भगवान शालिग्राम के साथ देवी तुलसी के विवाह की रस्में पूरी करते हैं।
भीष्म पंचक एकादशी से शुरू होता है, और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। वैष्णव संस्कृति के अनुसार, कार्तिक माह के अंतिम पांच दिनों के दौरान भीष्म पंचक उपवास बहुत महत्व रखता है। इसे विष्णु पंचक भी कहा जाता है।
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले की जाती है। भगवान विष्णु के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। , भगवान विष्णु शुक्ल पक्ष के दौरान वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा करते थे, और उन्हें एक हजार कमल के फूल चढ़ाते थे। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा होती है जहां भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान करते हैं। इससे निसंतान को संतान मिलता है।
देव दिवाली पर देवताओं की दीवाली होती है जिसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसलिए सभी मंदिरों में और गंगा नदी के तट पर इस दिन मिट्टी के दीये जलाकर कार्तिक पूर्णिमा को दिवाली की तरह मनाया गया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें
- वैसे तो पूरे कार्तिक माह का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। पूरे मास स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु को ये मास बहुत प्रिय है। इस मास के आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सारी तिथियों में अधिक है। 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है।इस दिन गंगा स्नान और दीपदान करना चाहिए। । जानते हैं इस दिन कौन से काम करने से पूण्य मिलता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। लेकिन अगर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे तो घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिला कर स्नान करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गाय का दान, दूध का दान, केले का दान, खजूर का दान, अमरूद का दान, चावल का दान, तिल और आवंले का दान अवश्य करना चाहिए।इस दिन ब्राह्मण को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन जल में दूध, शहद मिलाकर पीपल के वृक्ष पर अवश्य चढ़ाना चाहिए और दीपक भी जलाना चाहिए। क्योंकि पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास मानते है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुने और घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं। इस दिन घर पर कोई भिखारी आए तो उसे भोजन अवश्य कराएं। इस दिन तुलसी पूजन अवश्य करें और तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या न करें
- धर्मशास्त्रों में पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत से मार्ग बताए गए है लेकिन कुछ ऐसे काम है जिन्हें कार्तिक पूर्णिमा को नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन न करें। इस दिन शारीरीक संबंध न बनाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको चंद्रमा के दुष्प्रभाव पड़ेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें।
- इस दिन गरीब और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- इस दिन किसी जानवर को न मारें। क्योंकि ऐसा करने से इस दिन पाप के भागीदार बनते हैं।
- इस दिन किसी भी बुजुर्ग का अपमान बिल्कुल भी न करें। क्योंकि इस दिन देवता किसी भी रूप में आपके पास आ सकते हैं।