Karva Chauth Astro Tips : यहां जानिए करवा चौथ से जुड़ी हर बात, बस न करें इस दिन ये काम
Karva Chauth Astro Tips : इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। व्रत में महिलाएं पति के लिए लंब्री उम्र की कामना करती हैं। साथ ही अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाती हैं। करवा चौथ के व्रत और पूजन को पूरे विधि- विधान से किया जाना चाहिए।
Karwa Chauth 2021
हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत का बहुत महत्व है। करवा चौथ का त्योहार दीपावली से 12 दिन पहले मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को होता है। इस बार करवा चौथ का व्रत गुरुवार 24 अक्टूबर को है। करवा चौथ के अवसर पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं और चांद का दीदार करने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं जो सुबह सूर्योदय के साथ शुरू होता है और देर रात को चन्द्रोदय के बाद खत्म होता है।
इसमें करवा माता के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है और चंद्र दर्शन किया जाता है। इस दिन परंपरा के अनुसारर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ हरियाणा और पंजाब की महिलाएं सरगी के साथ व्रत की शुरुआत करती है और सोलह श्रृंगार करती है।
करवा चौथ 2021 में 24 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। करवा चौथ मुर्हूत वह सटीक समय होता है जिसके भीतर ही पूजा करनी होती है। 24 अक्टूबर को करवा चौथ पूजा के लिए पूरी अवधि 1 घंटे और 17 मिनट है।
करवा चौथ पूजा-शुभ-मुहूर्त
- करवा चौथ का आरंभ
- 24 अक्टूबर करवा चौथ पूजा का समय शाम 5:43 pm पर शुरू
- शाम 6:59 pm पर करवा चौथ पूजा करने का समय खत्म होगा ।
- करवा चौथ पूजा की अवधि- 1 घंटे 7 मिनट
- करवा चौथ 2021 को चंद्रोदय का समय- शाम 8:07 pm ।
- नक्षत्र- रोहिणी
- अमृत काल मुहूर्त - 09:25 PM से 11:13 PM
- अभिजीत मुहूर्त 11:19 AM से 12:05 PM
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:20 AM, 25 अक्टूबर से 05:11 AM, 25 अक्टूबर
- वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, करवा चौथ, रोहिणी व्रत
- करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय- शाम 8:07 pm
करवा चौथ के व्रत में करें इन मंत्रों का जाप (Karwa Chauth Vrat Me Mantra Jaap)
इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। व्रत में महिलाएं पति के लिए लंब्री उम्र की कामना करती हैं। साथ ही अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाती हैं। करवा चौथ के व्रत और पूजन को पूरे विधि- विधान से किया जाना चाहिए। विधि से व्रत करने से व्रत का 100 गुना फल मिलता है। मां पार्वती की स्तुति के साथ कथा पढ़ी जाती है। साथ ही एक अचूक शक्तिशाली मंत्र का भी जाप किया जाना चाहिए। पति की दीर्घायु की कामना कर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र
- 'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।' - पार्वतीजी का मंत्र - ॐ शिवायै नमः ।
- शिव का मंत्र - ॐ नमः शिवाय ।
- स्वामी कार्तिकेय का मंत्र - ॐ षण्मुखाय नमः ।
- श्रीगणेश का मंत्र - ॐ गणेशाय नमः ।
- चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः।
करवा चौथ के व्रत की पूजा विधि
भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं। धर्म पुराणों में स्त्री को शक्ति का रूप माना जाता है। हालांकि करवाचौथ का व्रत सिर्फ पतियों तक सीमित नहीं है यह व्रत महिलाएं पति, पुत्र आदि के लिए भी कर सकती हैं। पर खासतौर पर यह व्रत पति के लिए ही किया जाता है। हमारी पौराणिक कथाओं में सावित्री अपने पति को यमराज से वापस ले आती है यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है। इसीलिए महिलाएं करवा चौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए भूखी-प्यासी रहकर तप करती हैं। व्रत में महिलाएं स्नान आदि कर सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद वह सारा दिन निराहार रहती हैं। उपवास के बाद महिलाएं शाम में पार्वती माता की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
व्रती महिलाएं करवाचौथ में गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पति की लंबी आयु का कामना के बाद दूसरी महिलाओं को भी करवाचौथ की बधाई दें। साथ ही बड़े-बुजुर्गों से सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त करें।
करवा चौथ पर भूल कर भी न करें ये 8 काम
- करवा चौथ के व्रत के दिन किसी भी धारदार वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन कैंची, सुई, चाकू जैसी चीजों का इस्तेमाल करने से बचें।
- करवा व्रत के दिन काले रंग और सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें। हिंदू धर्म में काले रंग और सफेद रंग को शुभ नहीं माना जाता है। इस दिन लाल कलर के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग सुहाग का रंग होता है।
- इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं दोपहर के समय बिल्कुल भी नींद न लें। अगर घर का कोई सदस्य सो रहा है तो उसे उठाने की कोशिश न करें। हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से उठाना शुभ नहीं माना जाता है।
- महिलाएं घर में किसी बड़े का अपमान न करें। अगर ऐसा करती हैं तो उनका व्रत रखना व्यर्थ हो जाता है।
- व्रत के दिन महिलाएं पति से झगड़ा न करें, ऐसा करने पर आपको फल नहीं मिलेगा।
- महिलाएं शाम को समय कथा सुनने के बाद चांद को अध्र्य देने तक भजन कीर्तन जरूर करें।
- करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने श्रंगार का सामान न किसी को दान में दें और न ही किसी से दान में लें।
करवा चौथ पर छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व
करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा की जाती है और छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि चांद को दीर्घायु प्रदान करने वाला कारक माना गया है, इसके साथ ही चांद प्रेम और सुन्दरता का भी प्रतिबिम्ब है इसलिए करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं छलनी से अपने चांद के साथ साथ पति के दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामनाएं करती हैं।
पौराणिक कथानुसार जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस समय उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी उनका वह सिर चंद्रलोक में है। प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है, इसलिए उनका सिर चंद्रलोक में होने के कारण चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है। मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था। ऐसे में मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए उपवास रखती हैं कुछ अन्य कारण भी है उपनिषद् में इसका उल्लेख है। चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप हैं। इनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
मान्यता के अनुसार भगवान शिव के द्वारा चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद प्रेम और प्रसिद्धि का प्रतीक होता है यही वजह है कि सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करती हैं ताकि उनके आशीर्वाद से सारे गुण उनके पति के अन्दर आ जाए। चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करते समय मनोवैज्ञानिक कारण बताए थे कि चांद में जो काली छाया पड़ती है दरअसल वह विष है जो उनके भाई की है।समुद्र मंथन में चांद और विष दोनो निकले थे। चांद ने विष को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जिसके कारण चांद में दाग दिखता है। यह चांद की विशेषता है जिसके कारण इनकी पूजा की जाती है। यदि किसी कारण से पति-पत्नी दूर हो जाते हैं तो चंद्रमा की विष से भरी हुए किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। यही कारण है करवा चौथ के दिन महिलाएं पूजा करती हैं ताकि उन्हें अपनी पति से वियोग सहन न करना पड़े।
इन गुणों के कारण पूज्य *चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है, शिवजी ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण किया। उन्हें लंबी आयु का वरदान मिला है। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर यह सभी गुण अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं। * कुंडली में चंद्रमा अगर ठीक स्थान पर ना हों तो मानसिक और शारीरिक पीड़ा मिलती है। ऐसे में चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति मिलती है और सेहत अच्छी रहती है। महिलाएं इस दिन चंद्रमा की पूजा कर अपने पति के लिए सेहत और दीर्घायु का वरदान मांगती हैं। संबंधों की मजबूती के लिए इस व्रत का समापन चंद्रदर्शन के साथ होता है।
करवा चौथ पर सरगी का महत्व
करवाचौथ व्रत को शुरू करने से पहले महिलाएं सुबह-सुबह सबसे पहले सरगी लेती हैं। इसके बाद ही व्रत की शुरुआत होती है। आमतौर पर सरगी सास के हाथों ली जाती है। जिन महिलाओं की सास नहीं होती वे अपनी बड़ी ननद या जेठानी से सरगी लेती हैं। इसके बाद पूरा दिन का निर्जल उपवास रखा जाता है और चांद निकलने पर ही पानी लिया जाता है। सरगी लेने का सही समय करवा चौथ के दिन सूरज निकलने से पहले सुबह तीन से चार बजे के आस-पास महिलाएं सरगी लेती हैं।
सुबह-सुबह हल्की सरगी के बाद पूरा दिन अगर आपको भूखा ही नहीं प्यासा भी रखना होता है इसलिए सरगी में ...
- फल और मेवे इस दौरान कुछ ड्राई फ्रूट्स भी ले लेती हैं तो यह पूरा दिन आपकी मदद करेंगे। ड्राई फ्रूट्स खाने से शरीर को भरपूर विटामिन और मिनरल्स मिलेंगे।
- नारियल पानी सरगी के समय नारियल गिरी और नारियल पानी लें। यह तासीर में ठंड़ा होता है और शरीर को पूरा दिन हाइड्रेट रख सकता है।
- दूध और फेनिया सरगी का एक जरूरी हिस्सा है दूध और फेनिया। यह रीति-रिवाज के लिहाज से ही नहीं सेहत के लिहाज से भी बहुत अहम है। फेनिया गेहूं के आटे से तैयार होती है और इसे दूध में बनाया जाता है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा मेल है। इसे खाने से आप दिन भर एनर्जी से भरपूर रह सकती हैं।
- फल जरूर खाएं फलों में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है जो निर्जला व्रत के दौरान आपको हाइड्रेट रखने में मदद करता है। सरगी में फलों को खास जगह दें। ऐसे फल लें जो पचने में समय लगाएं और फाइबर से भरपूर हों।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक वीरवती नाम की स्त्री ने अपने विवाह के बाद पहले करवा चौथ का व्रत रखा था। लेकिन भूख और प्यास के कारण उसकी स्थिति बिगड़ रही थी। वीरवती की भाईयों से उसकी यह दयनीय स्थिति देखी नहीं जा रही थी और उन्होंने एक पेड़ की आड़ में छलनी के पीछे दीया रख दिया और बोला कि बहन चांद निकल आया है आकर व्रत खोल लो। वीरवती ने अपने भाईयों की बात पर विश्वास करके अपना व्रत खोल लिया। वीरवती के व्रत खोलते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। जब वीरवती के पति की मृत्यु हो गई तब उसे अपने भाईयों के इस छल के बारे में पता चला। इसके बाद उसने अपने पति के शव को अपने पास सुरक्षित रखा और अगले साल नियम पूर्वक करवा चौथ का व्रत किया। जिसके बाद चौथ माता ने प्रसन्न होकर वीरवती के मरे हुए पति को जीवित कर दिया। सुहागन स्त्रियां छल को हमेशा के लिए याद रखें। इसलिए इस व्रत में चंद्र देव के दर्शन छलनी के द्वारा बताया गया है। जीवन में पति और पत्नि का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा रहता है। जीवन में जब- जब अविश्वास और शक जैसी अशुद्धियां आपके रिश्ते तोडऩे की कोशिश करें। उस समय आपको छलनी रूपी विश्वास का प्रयोग करना चाहिए और सभी अशुद्धियों को पृथक कर देना चाहिए। इस कथा के अनुसार पति पत्नि को कभी भी किसी तीसरे व्यक्ति के छल में आकर अपने रिश्ते पर शक नहीं करना चाहिए और दोनों को ईमानदारी सच्चाई और आस्था से गृहस्थ के प्रति दायित्वों का पालन करना चाहिए।