Karwa Chauth Ka Chand: करवा चौथ का चांद छलनी से क्यों देखा जाता है, जानिए इसके पीछे का रहस्य

Karwa Chauth Ka Chand: करवा चौथ का चांद छलनी से क्यों देखा जाता है, जानिए इससे जुड़े रहस्य

Update:2024-10-18 07:49 IST

Karwa Chauth ka chandछ

अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ विवाहित महिलाएं पति की उन्नति और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन  निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती हैं। बता दें, इस व्रत में जितना महत्व करवा माता की पूजा का है, उतना ही चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करने का भी हैं। इस व्रत में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। 

करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा की जाती है और छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि चांद को दीर्घायु प्रदान करने वाला कारक माना गया है, इसके साथ ही चांद प्रेम और सुन्दरता का भी प्रतिबिम्ब है इसलिए करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं छलनी से अपने चांद के साथ साथ पति के दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामनाएं करती हैं।

करवा चौथ पर छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व

पौराणिक कथानुसार जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस समय उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी उनका वह सिर चंद्रलोक में है। प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है, इसलिए उनका सिर चंद्रलोक में होने के कारण चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है। मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था। ऐसे में मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए उपवास रखती हैं कुछ अन्य कारण भी है उपनिषद् में इसका उल्लेख है। चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप हैं। इनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

मान्यता के अनुसार भगवान शिव के द्वारा चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद प्रेम और प्रसिद्धि का प्रतीक होता है यही वजह है कि सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करती हैं ताकि उनके आशीर्वाद से सारे गुण उनके पति के अन्दर आ जाए। चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करते समय मनोवैज्ञानिक कारण बताए थे कि चांद में जो काली छाया पड़ती है दरअसल वह विष है जो उनके भाई की है।समुद्र मंथन में चांद और विष दोनो निकले थे। चांद ने विष को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जिसके कारण चांद में दाग दिखता है। यह चांद की विशेषता है जिसके कारण इनकी पूजा की जाती है। यदि किसी कारण से पति-पत्नी दूर हो जाते हैं तो चंद्रमा की विष से भरी हुए किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। यही कारण है करवा चौथ के दिन महिलाएं पूजा करती हैं ताकि उन्हें अपनी पति से वियोग सहन न करना पड़े।

इन गुणों के कारण पूज्य *चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है, शिवजी ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण किया। उन्हें लंबी आयु का वरदान मिला है। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर यह सभी गुण अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं। * कुंडली में चंद्रमा अगर ठीक स्थान पर ना हों तो मानसिक और शारीरिक पीड़ा मिलती है। ऐसे में चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति मिलती है और सेहत अच्छी रहती है। महिलाएं इस दिन चंद्रमा की पूजा कर अपने पति के लिए सेहत और दीर्घायु का वरदान मांगती हैं। संबंधों की मजबूती के लिए इस व्रत का समापन चंद्रदर्शन के साथ होता है।

करवा चौथ पर ऐसे बढ़ेगा अखंड सौभाग्य

करवा चौथ पर चंद्रमा का आशीर्वाद पाने के लिए नियम हैं। इन  नियमों का पालन करने से व्यक्ति को अखंड सौभाग्य  के साथ खुशहाली मिलती है।

यदि आप करवा चौथ में छलनी से चांद के दर्शन करती हैं तो आपको हमेशा ऐसी छलनी चुननी चाहिए जो कहीं से टूटी-फूटी न हो। यदि संभव हो तो चांदी की छलनी का इस्तेमाल करें।लेकिन  प्लास्टिक की छलनी का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

चंद्रदेव की पूजा पूर्व दिशा की ओर चंद्रमा के मंत्रों के साथ करें। मान्यताओं के अनुसार, मंत्रों की ध्वनि से पॉजिटिव एनर्जी निकलती है जिससे वातावरण भी शांत बनता है। यदि आप करवा चौथ के दौरान चांद की पूजा करती हैं तो  ध्यान देना चाहिए कि पूजा के स्थान पर ही जल से भरा एक बर्तन रखें और इसी बर्तन में रखे जल से चांद को अर्घ्य दें।

पानी पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। इसी वजह से पूजा के समय जल का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी होता है।इसके अलावा, एक विशेष बात का ध्यान रहे कि, चंद्रमा की पूजा करने से पहले आप उस स्थान को अच्छी तरह से साफ़ करें।

किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए पूजा के स्थान को नमक के पानी से साफ़ करें। ध्यान रखें कि आप जिस स्थान पर भी पूजा करने जा रहे हैं, वहां किसी भी तरह का कूड़ा -कचरा यानी गंदगी आदि न हो ।

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