नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सबसे महत्वपूर्व व्रतों में से एक माना जाता है। करवा चौथ का त्योहार दीपावली से नौ दिन पहले मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को आता है। इस बार करवा चौथ का व्रत गुरुवार 17 अक्टूबर को है। करवा चौथ के अवसर पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं और चांद का दीदार करने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है, इस व्रत में पानी पीने की भी मनाही होती है।
करवा चौथ 17 अक्टूबर 2019 (गुरुवार) को सुबह 06.48 से
पूजा का शुभ मुहूर्त : 05.46 बजे से शाम 07.02 तक
विशेष शुभ संयोग
करवाचौथ के अवसर पर 70 साल बाद इस बार रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने के कारण मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। इस कारण इस बार का करवाचौथ पूजन विशेष शुभ माना जा रहा है। रोहिणी नक्षत्र के साथ वृष उच्च राशि में चन्द्रमा का योग होने के कारण करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है। करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। यह योग चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था।
भूल कर भी न करें ये 8 काम
करवा चौथ के व्रत के दिन किसी भी धारदार वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन कैंची, सुई, चाकू जैसी चीजों का इस्तेमाल करने से बचें।
व्रत के दिन काले रंग और सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें। हिंदू धर्म में काले रंग और सफेद रंग को शुभ नहीं माना जाता है। इस दिन लाल कलर के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग सुहाग का रंग होता है।
व्रत रखने वाली महिलाएं दोपहर के समय बिल्कुल भी नींद न लें। अगर घर का कोई सदस्य सो रहा है तो उसे उठाने की कोशिश न करें। हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से उठाना शुभ नहीं माना जाता है।
महिलाएं घर में किसी बड़े का अपमान न करें। अगर ऐसा करती हैं तो उनका व्रत रखना व्यर्थ हो जाता है।
व्रत के दिन महिलाएं पति से झगड़ा न करें, ऐसा करने पर आपको फल नहीं मिलेगा।
महिलाएं शाम को समय कथा सुनने के बाद चांद को अध्र्य देने तक भजन कीर्तन जरूर करें।
करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने श्रंगार का सामान न किसी को दान में दें और न ही किसी से दान में लें।
छलनी से चंद्रमा को अघ्र्य
करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा की जाती है और छलनी द्वारा चंद्रमा को अघ्र्य दिया जाता है। दरअसल, चांद को दीर्घायु प्रदान करने वाला कारक माना गया है, इसके साथ ही चांद प्रेम और सुन्दरता का भी प्रतिबिम्ब है इसलिए करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं छलनी से अपने चांद के साथ साथ पति के दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामनाएं करती हैं। छलनी का इस्तेमाल अक्सर आटा और खाने की वस्तुओं को छानने के लिए किया जाता है। किसी भी वस्तु को छानने पर उसका शुद्ध रूप हमें प्राप्त हो जाता है और उसमें जो भी मिलावटी तत्व होते हैं वह छलनी में ही रह जाते हैं। छलनी एक का कार्य अशुद्धियों को अलग करना है। करवा चौथ व्रत में नई छलनी को खरीदकर उसका पूजन किया जाता है और उससे चांद को देखा जाता है। छलनी से चांद को देखकर पति की दीधार्यु और सौभाग्य में वृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक वीरवती नाम की स्त्री ने अपने विवाह के बाद पहले करवा चौथ का व्रत रखा था। लेकिन भूख और प्यास के कारण उसकी स्थिति बिगड़ रही थी। वीरवती की भाईयों से उसकी यह दयनीय स्थिति देखी नहीं जा रही थी और उन्होंने एक पेड़ की आड़ में छलनी के पीछे दीया रख दिया और बोला कि बहन चांद निकल आया है आकर व्रत खोल लो। वीरवती ने अपने भाईयों की बात पर विश्वास करके अपना व्रत खोल लिया। वीरवती के व्रत खोलते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। जब वीरवती के पति की मृत्यु हो गई तब उसे अपने भाईयों के इस छल के बारे में पता चला। इसके बाद उसने अपने पति के शव को अपने पास सुरक्षित रखा और अगले साल नियम पूर्वक करवा चौथ का व्रत किया। जिसके बाद चौथ माता ने प्रसन्न होकर वीरवती के मरे हुए पति को जीवित कर दिया। सुहागन स्त्रियां छल को हमेशा के लिए याद रखें। इसलिए इस व्रत में चंद्र देव के दर्शन छलनी के द्वारा बताया गया है। जीवन में पति और पत्नि का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा रहता है। जीवन में जब- जब अविश्वास और शक जैसी अशुद्धियां आपके रिश्ते तोडऩे की कोशिश करें। उस समय आपको छलनी रूपी विश्वास का प्रयोग करना चाहिए और सभी अशुद्धियों को पृथक कर देना चाहिए। इस कथा के अनुसार पति पत्नि को कभी भी किसी तीसरे व्यक्ति के छल में आकर अपने रिश्ते पर शक नहीं करना चाहिए और दोनों को ईमानदारी सच्चाई और आस्था से गृहस्थ के प्रति दायित्वों का पालन करना चाहिए।
जानें सरगी के बारे में
करवाचौथ व्रत को शुरू करने से पहले महिलाएं सुबह-सुबह सबसे पहले सरगी लेती हैं। इसके बाद ही व्रत की शुरुआत होती है। आमतौर पर सरगी सास के हाथों ली जाती है। जिन महिलाओं की सास नहीं होती वे अपनी बड़ी ननद या जेठानी से सरगी लेती हैं। इसके बाद पूरा दिन का निर्जल उपवास रखा जाता है और चांद निकलने पर ही पानी लिया जाता है। सरगी लेने का सही समय करवा चौथ के दिन सूरज निकलने से पहले सुबह तीन से चार बजे के आस-पास महिलाएं सरगी लेती हैं।
सुबह-सुबह हल्की सरगी के बाद पूरा दिन अगर आपको भूखा ही नहीं प्यासा भी रहना है, तो यह जरूरी हो जाता है कि आप सरगी में कुछ ऐसे हेल्दी फूड शामिल करें जो आपको पूरे दिन के लिए ऊर्जा देने में मदद करें।
दूध और फेनिया : सरगी का एक जरूरी हिस्सा है दूध और फेनिया। यह रीति-रिवाज के लिहाज से ही नहीं सेहत के लिहाज से भी बहुत अहम है। फेनिया गेहूं के आटे से तैयार होती है और इसे दूध में बनाया जाता है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा मेल है। इसे खाने से आप दिन भर एनर्जी से भरपूर रह सकती हैं।
फल जरूर खाएं : फलों में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है जो निर्जला व्रत के दौरान आपको हाइड्रेट रखने में मदद करता है। सरगी में फलों को खास जगह दें। ऐसे फल लें जो पचने में समय लगाएं और फाइबर से भरपूर हों।
फल और मेवे : इस दौरान कुछ ड्राई फ्रूट्स भी ले लेती हैं तो यह पूरा दिन आपकी मदद करेंगे। ड्राई फ्रूट्स खाने से शरीर को भरपूर विटामिन और मिनरल्स मिलेंगे।
नारियल पानी : सरगी के समय नारियल गिरी और नारियल पानी लें। यह तासीर में ठंड़ा होता है और शरीर को पूरा दिन हाइड्रेट रख सकता है।