Kharmas 2025 Start Date: बंद हो जाएंगे सारे शुभ काम, जानिए कब से लग रहा है खरमास

Kharmas 2025 Kab Hai: खरमास का माह 15 मार्च से 13 अप्रैल तक का समय खरमास रहेगा। जानते है इस माह में शुभ काम वर्जित है। जानते है कब स कब तक रहेगा...;

Update:2025-03-03 13:57 IST

Kharmas 2025 Start Date 

Kharmas 2025:खरमास को को धर्मशास्त्रों में अनिष्टकारी और अशुभ माना जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ और दान करना चाहिए। यह समय धर्म और आत्मा के कल्याण के लिए अच्छा माना जाता है। हिन्दू पंचांग में एक ऐसा विशेष समय है, जब शुभ कार्यों को स्थगित कर दिया जाता है। यह अवधि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से मकर राशि में आने तक रहती है, आमतौर पर यह समय एक माह का होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती। इसे आत्मचिंतन, तपस्या और साधना के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। बता दें कि अभी सूर्य कुंभ राशि में विराजमान है और वह जल्द मीन में प्रवेश करेंगे।जानते हैं कि साल 2025 का पहला खरमास कब से शुरू होने वाला है।

खरमास  धार्मिक  कारण

हिन्दू धर्म में खरमास के दौरान ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती, जिससे विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं।   खरमास सूर्य के कुंभ से मीन राशि में आने से होता  है। इसे अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान लोग उपवास रखते हैं, भक्ति और ध्यान में समय व्यतीत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय की गई साधना अधिक फलदायी होती है और व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि में सहायक होती है।

खरमास कब से कब तक रहेगा

भगवान सूर्य कुंभ राशि में स्थित है और वह 13 मार्च तक भी इसी राशि में रहेंगे। ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्यदेव 14 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में 14 मार्च 2025 से ही खरमास की शुरुआत होगी।सूर्य14 अप्रैल 2025 को  मीन राशि से मेष में आएँगे। तो 14 अप्रैल को खरमास समाप्त होगा। मान्यता है कि खरमास समाप्त होने के बाद एक बार फिर घरों में शादी-विवाह, गृह प्रवेश व अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।

खरमास का  प्रभाव

  1. इस समय विवाह जैसे बड़े आयोजन नहीं किए जाते, इसलिए परिवार के सदस्य अधिक समय एक-दूसरे के साथ बिताते हैं और धार्मिक क्रियाकलापों में भाग लेते हैं।
  2. तंत्र विद्या और विशेष साधनाओं के लिए खरमास को शुभ माना जाता है। कई साधक इस समय विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और अपनी ऊर्जा को पुनः संचित करते हैं।
  3. यह समय आत्मविश्लेषण और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए उत्तम होता है। व्यक्ति इस दौरान अपनी पुरानी गलतियों पर विचार कर सकता है और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकता है।
  4. खरमास केवल एक निषेधात्मक समय नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के आत्मिक और मानसिक विकास का काल है। यह समय हमें भौतिक सुखों से अलग होकर, आत्ममंथन और आध्यात्मिक साधना की ओर प्रेरित करता है। इसलिए, इसे नकारात्मक दृष्टि से देखने के बजाय एक सकारात्मक और आत्मविकास के अवसर के रूप में अपनाना चाहिए।

साल में दो बार खरमास

खरमास साल में दो बार आता है। एक बार 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहता है, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है।दूसरी बार 15 मार्च से 13 अप्रैल तक रहता है, जब सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करता है। ऐसे में साल में दो महीने ऐसे आते हैं, जब शुभ कार्यों पर पूरी तरह से रोक लगी रहती है।

खरमास के नियम

  1. खरमास के दौरान श्रीराम कथा, भागवत कथा और शिव पुराण का पाठ करने से पुण्य प्राप्त होता है। यह धार्मिक क्रियाएं आत्मा को शांति और आशीर्वाद देती हैं।
  2. खरमास के दौरान रोज अपने समय के अनुसार धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें। इससे मानसिक शांति, आशीर्वाद और पुण्य मिलता है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करता है।
  3. खरमास में प्रयास करें कि इस पूरे महीने में कम से कम एक धार्मिक ग्रंथ का पूरा पाठ करें। इससे आध्यात्मिक उन्नति होगी और पुण्य की प्राप्ति भी होगी।
  4. खरमास में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से न केवल धर्म लाभ मिलता है, बल्कि इससे जीवन में सुख-शांति और संतुलन बनाए रखने के सूत्र भी मिलते हैं।
  5. खरमास की अवधि में गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए. गृह प्रवेश एक घर की शुरुआत का शुभ दिन होता है।ऐसे में खरमास के दौरान गृह प्रवेश करने पर दोष लगता है और घर में रहने वाले लोगों का जीवन तनाव में गुजरता है।
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