सोच-समझकर रखें अपने बच्चे का नाम, जुड़े उसमें उनके भविष्य के राज

Update: 2018-12-11 07:43 GMT

जयपुर: हमारे धर्म शास्त्रों जीवन से जुड़ें हर विषय के बारे में वर्णन मिलता है जैसे कि संतान का नाम कैसा होना चाहिए। मनुस्मृति में ऐसा उल्लेख मिलता है कि बेटी-बेटे के नाम का प्रभाव उसके जीवनशैली पर अवश्य पड़ता है। इसलिए सार्थक नामों का जिक्र भी मिलता है। यही वजह है कि हिन्दू परिवारों में बच्चों का नाम बहुत सोच-समझकर औरपूरे रीति-रिवाज पूरे करने के बाद ही रखा जाता है।नाम करण संस्कार के महत्व को इसी बात से समझा जाता है कि जिस दिन घर में बच्चे का नाम रखा जाना होता है तो पूरा परिवार एकसाथ होता है, घर में एक तरह के जश्न और उल्लास का माहौल होता है।

किसी के नाम का अर्थ क्या है, वह स्वभाव और आपके व्यक्तित्व को बहुत हद तक प्रभावित करता है। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि बच्चे का नाम हमेशा सोच विचारने के बाद ही रखना चाहिए। मनु स्मृति में भी इससे संबंधित कुछ नियमों का जिक्र है। मनु स्मृति के अनुसार किसी भी माता-पिता को अपनी बेटी का नाम रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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मनु स्मृति के अनुसार सबसे पहली और सबसे जरूरी बात यह है कि जब भी आप अपनी बेटी का नाम रख रहे हों तो ध्यान रखें कि वह नाम सरल हो। आपको ऐसा नाम रखना चाहिए जिसका अर्थ समझने या जिसका उच्चारण करने में परेशानी ना हो। काजल, सपना, ममता आदि।

लड़कियों के नाम का अर्थ बहुत कोमल और दिल को हल्का करने वाला ही होना चाहिए। जैसे खुशबू, कोमल, सुगंधा, रितु आदि।आपको अपनी बेटी का नाम शुभ अर्थ के साथ रहना चाहिए। कहने का अर्थ है आपको अपनी बेटी का नाम ऐसा रखना चाहिए जिसका अर्थ शुभ हो। जया, गौरी, सिया आदि।

लड़कियों के नाम रखते समय एक और बात ध्यान रखनी चाहिए। नाम ऐसा हो जिसके अंत में बड़ी मात्रा हो, छोटी मात्रा वाले नाम बिल्कुल ना रखें। अपर्णा, राधिका, नैना, आदि।अगर आपकी बेटी का नाम आशीर्वाद सूचक है तो ये और भी अच्छा है। शारदा, दिव्या, सुषमा आदि।

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