9 दिन का व्रत नहीं कर पाए, तो ये 2 दिन हैं खास, जरूर करें पूजा-उपवास
चैत्र नवरात्रि में सप्तमी 19 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू है।
लखनऊ आदिशक्ति की भक्ति के लिए चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri2021)13 अप्रैल से शुरू हो चुका है। देवी भगवती अश्व पर सवार होकर आई है। आज देवी के तीसरे स्वरुप चंद्रघंटा मां की पूजा हो रही है। वैसे तो नवरात्रि के 9 खास होते हैं, लेकिन अष्टमी औन नवमी के दिन नवरात्रि के बहुत तिथि में से एक है। इस दिन मां की आराधना से और अधिक कल्याण होता है।
चैत्र नवरात्रि में सप्तमी तिथि 19 अप्रैल 2021 दिन सोमवार (Monday) को मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) शुरू हो जायेगी। जो कि 20 अप्रैल को पूरे दिन रहेगी। अष्टमी तिथि 21 अप्रैल को मध्यरात्रि (MidNight) 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ होता ह। इसलिए अष्टमी व नवमी दोनों ही दिन नवरात्रि व्रत का पारण और कन्या पूजन कर सकते हैं। वे बहुत आराम से कन्या का पूजन कर अपने व्रत को पूरा कर व्रत का पारण करें।
अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 21अप्रैल को सुबह 04:11 amसे अप्रैल 21 04:55 amतक, अभिजित मुहूर्त- 11:42 amसे 12:33 pm तक, गोधूलि मुहूर्त- 06:22 pm से 06:46pm तक, अमृत काल- 01:17am, अप्रैल 21 से 02:58am, अप्रैल 21 तक, विजय मुहूर्त- 02:17 pm से 03:08 pm तक
गौर वर्ण वाली देवी
महागौरी( MahaGauri) को देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप मानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए ही, महागौरी स्वरूप में जन्म लिया था। इस दौरान उन्हें वर्षो कठोर तप करना पड़ा था और वर्षों तक किये गए अपने कड़े तप के कारण, मां पार्वती का रंग काला पड़ था। जिसके पश्चात भगवान शिव माता पार्वती की श्रद्धा से प्रसन्न हुए और उन्होंने गंगा के पवित्र जल से उन्हें स्नान कराया, जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। उसी दिन से देवी पार्वती महागौरी के नाम से विख्यात हुआ। मां दुर्गा का ये रूप बेहद शांत एवं निर्मल होता है, जिनका वाहन वृषभ है।
रामनवमी -21 अप्रैल शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:10 am, अप्रैल 22 से 04:54 am, अप्रैल 22 तक, रवि योग- 07:59 am से 05:39 am, अप्रैल 22 तक, विजय मुहूर्त- 02:17 pm से 03:09 पीएम तक, गोधूलि मुहूर्त- 6:22 pm से 06:46 pm तक, निशिता मुहूर्त- 11:45 pm से 12:29 am, अप्रैल 22 तक।
मां सिद्धिदात्री की पूजा
जैसा नाम से ही ज्ञात होता है कि,मां सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है सिद्धि देने वाली। देवी दुर्गा का ये नौवां स्वरूप है, जो बेहद सुंदर और मनमोहक होता है। अपने इस स्वरूप में मां लाल साड़ी पहने हुए है और सिंह की सवारी करती हैं।
अष्टमी और रामनवमी का महत्व
अष्टमी और नवमी तिथि, घटस्थापना तिथि की तरह ही नवरात्रि के दो विशेष दिन होते हैं। इसलिए मां के भक्त इन दोनों ही दिन, बड़े हर्षोल्लास के साथ देवी दुर्गा की उपासना करते हैं। इस दिन भक्त मां दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए, कन्या पूजन करते हैं।
नवमी तिथि, रामनवमी के रूप में भी मनाई जाती है। क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही वो तिथि थी जब भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। यही मुख्य कारण है कि चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को, रामनवमी भी कहा जाता है। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के इस जन्मदिवस को दुनियाभर के राम भक्त, बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।