Kundali Dosh Ke Upay: कुंडली के ये दोष जातक को कर देते हैं परेशान, जानिए कैसा इनका निवारण, ताकी जीवन रहें खुशहाल
Kundali Dosh Nivaran Aur Upay: कुंडली दोष हमारे पूर्वजन्म के कर्मों का परिणाम होते हैं, और हमें इन्हें सुधारने या इनके प्रभाव को कम करने के लिए उपाय करने पड़ते हैं। यह प्रक्रिया हमें हमारे कर्मों के प्रति जागरूक बनाती है और सुधार का मार्ग दिखाती है।;
Kundali Dosh Nivaran Aur Upay: हमारे जीवन में जो भी सुख-दुख आते हैं, वे हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम होते हैं। यदि हमने अपने पूर्व जन्म में कोई गलत कार्य किया है, तो उसका प्रभाव हमारे वर्तमान जीवन में कुंडली दोष के रूप में प्रकट हो सकता है। कुंडली दोष जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं और हमें हमारे कर्मों का फल भोगने पर मजबूर करते हैं।
कुंडली के दोष की चर्चा की गई है, परंतु कुछ दोष ऐसे हैं जिस पर अधिक चर्चा होती है और जिसके निवारण पर जोर दिया जाता है। क्योंकि मान्यता के अनुसार इन दोषों के कारण जिंदगी लगभग बर्बाद हो जाती है। जानते हैं इन दोषों में कई दोष है जिनका कुंडली में होने से जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इन दोषों को दूर करने के लिए उपाय है...
कुंडली के घातक दोष के नाम और निवारण
कालसर्प दोष, मंगल दोष, पितृ दोष, गुरु चांडाल दोष, विष दोष और केन्द्राधिपति दोष जिनकी कुंडली में होते है वो जीवन भर परेशान रहेगा है..जानते है इन दोषों और उनके उपाय के बारे में...कालसर्प दोष और निवारण
जन्म के समय ग्रहों की दशा में जब राहु-केतु आमने-सामने होते हैं और सारे ग्रह एक तरफ रहते हैं, तो उस काल को सर्पयोग कहा जाता है। इस आधार पर कालसर्प के 12 प्रकार भी बताए गए हैं। कुछ ने तो 250 के लगभग प्रकार बताए हैं।
निवारण :खाना रसोईघर में बैठकर खाएं। दीवारों को साफ रखें।टॉयलेट व बाथरूम की सफाई रखें। ससुराल से संबंध अच्छे रखें। पागलों को खाने को दें।धर्मस्थान की सीढ़ियों पर 10 दिन तक पोंछा लगाएं।माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं।सरस्वती की आराधना करें। विशेषज्ञ से पूछकर मंगल या गुरु का उपाय करें।
मंगल दोष और निवारण
किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह 'मांगलिक दोष' कहलाता है।प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।सफेद सुरमा 43 दिन तक लगाना चाहिए।नीम के पेड़ की पूजा करना चाहिए।गुड़ खाना और खिलाना चाहिए।क्रोध पर काबू और चरित्र को उत्तम रखना चाहिए।मांस और मदिरा से दूर रहें।भाई-बहन और पत्नी से संबंध अच्छे रखें।पेट और खून को साफ रखें।मंगलनाथ उज्जैन में भात पूजा कराएं।विवाह नहीं हुआ है तो पहले कुंभ विवाह करें।मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करता है। यह दोष पति-पत्नी के बीच कलह का कारण बन सकता है और उनके जीवन के सुख को प्रभावित कर सकता है।
पितृ दोष और निवारण
कुंडली के नौवें में राहु, बुध या शुक्र है तो यह कुंडली पितृदोष की है। कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को शापित माना जाता है। गुरु का शापित होना पितृदोष का कारण है। सातवें घर में गुरु होने पर आंशिक पितृदोष माना जाता है। लग्न में राहु है तो सूर्य ग्रहण और पितृदोष, चंद्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर भी पितृदोष होता है। पंचम में राहु होने पर भी कुछ ज्योतिष पितृदोष मानते हैं। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है।
इसका सरल-सा निवारण है कि प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ना। पूर्वजों के धर्म में विश्वास रखना, कुलदेवी और कुलदेव की पूजा करना और श्राद्ध पक्ष के दिनों में तर्पण आदि कर्म करना और पूर्वजों के प्रति मन में श्रद्धा रखना। त्र्यंबकेश्वर में जाकर पितृदोष की शंति कराएं।
गुरु चांडाल दोष और निवारण
कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु बैठा है तो इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं। माथे पर नित्य केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं। सुबह तालाब जाकर मछलियों को काला साबुत मूंग या उड़द खिलाएं। प्रति गुरुवार को पूर्ण व्रत रखें। रात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें और पीले वस्त्र ही पहनें। गुरुवार को पड़ने वाले राहु के नक्षत्र में रात्रि में बृहस्पति और राहु के मंत्र का जाप करना चाहिए या शांति करवाएं। राहु के नक्षत्र हैं आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा।
विष दोष और निवारण
केन्द्राधिपति दोष और निवारण
केंद्र भाव पहला, चौथा, सातवां, और दसवां भाव होता है। मिथुन और कन्या लग्न की कुंडली में यदि बृहस्पति पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में हो, धनु और मीन लग्न की कुंडली में बुध पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में हो तो केन्द्राधिपति दोष का निर्माण होता है। दरअसल, बृहस्पति, बुध, शुक्र, और चंद्रमा के कारण यह दोष बनता है। नित्य भगवान शिव की पूजा करें। नित्य 21 बार ॐ नमो नारायण का जाप करें। नित्य 11 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। इसे सरल भाषा में 1100 शब्दों में लिख दे।