Kundli Me Chandrma: कुंडली में चंद्र की ऐसी स्थिति संबंधों में लाता है खटास , जानिए इस दोष से बचने के ज्योतिषीय उपाय

Kundli Me Chandrma: अगर बात जातक की कुंडली में शीतल चंद्रमा की करें तो मन का कारक चंद्रमा का कुंडली के हर भाव में अपना महत्व है। पहले से लेकर 12 भाव तक चंद्रमा व्यक्ति कुंडली पर अच्छा बुरा प्रभाव डालता है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2022-05-13 14:50 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Kundli Me Chandrma

 कुंडली में चंद्रमा

जन्म कुंडली में नवग्रहों ( Nine Planets ) की स्थिति जातक को प्रभावित करती है।  उसका जीवन पर असर पड़ता हैं। अगर शुभ ग्रह  अपनी अच्छी स्थिति में हैं तो इसका फल भी जातक को मिलता है और अशुभ ग्रह अच्छी स्थिति में हैं तो इसका नकारात्मक परिणाम भी भुगतना पड़ता है। कई बार किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देता है, ऐसे में उसकी शांति आवश्यक होती है। इनमें चंद्र, सूर्य, बुध. मंगल समेत सभी ग्रहों में जो ग्रह जैसा हो वैसा प्रभाव पड़ता है। अगर बात जातक की कुंडली में शीतल चंद्रमा की करें तो मन का कारक चंद्रमा ( Moon)  का कुंडली के हर भाव में अपना महत्व है। पहले से लेकर 12 भाव तक चंद्रमा व्यक्ति कुंडली पर अच्छा बुरा प्रभाव डालता है।

कुंडली के 12 भावों में चंद्रमा अच्छी स्थिति में हो तो जातक बलवान, ऐश्वर्यशाली, सुखी, व्यवसायी, गायन में पारंगत, मधुरभाषी, सुंदर, भोगी, परदेशवासी, सहनशील एवं शांति प्रिय होता है। पराक्रम से धन प्राप्ति, धार्मिक, यशस्वी, प्रसन्न, आस्तिक एवं मधुरभाषी होता है। जातक दानी, मानी, सुखी, उदार, रोगरहित, विवाह के पश्चात कन्या संततिवान, सदाचारी, सट्टे से धन कमाने वाला एवं क्षमाशील होता है। शुद्ध बुद्धि, चंचल, सदाचारी, क्षमावान तथा शौकीन होता है। जातक सभ्य, धैर्यवान, नेता, विचारक, प्रवासी, जलयात्रा करने वाला, अभिमानी, व्यापारी, वकील एवं स्फूर्तिवान होता है। लेकिन इसके विपरीत जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या दुष्ट ग्रहों से दूषित हो तो उनका जीवन दुखदायी होता है। इसलिए ऐसे जातक को चंद्र शांति के उपाय अपनाने चाहिए।

चन्द्र का कुंडली पहले भाव में फल

अगर जातक की कुण्डली का पहला घर मंगल और सूर्य के प्रभाव में  आता है। जब चंद्रमा यहां स्थित हो तो यह भाव मंगल, सूर्य और चंद्रमा के संयुक्त प्रभाव में होगा। ये तीनों आपस में मित्र हैं।  सूर्य और मंगल इस भाव में स्थित चंद्रमा को पूर्ण सहयोग देंगे। ऐसा जातक नाजुक दिल होगा और उसके भीतर उसकी मां के सभी लक्षण और गुण मौजूद होंगे। उसे हर प्रकार से समृद्धि मिलती है।बुध से सम्बंधित चीजें और रिश्तेदार चंद्रमा के लिए हानिकाक है, जातक के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव देते है। दूध से खोया बनाना या लाभ के लिए दूध बेचना आदि कृत्य पहले भाव में स्थित चंद्रमा को कमजोर करते हैं इसका मतलब यदि जातक स्वयं भी इस प्रकार के काम करता है तो जातक का जीवन और सम्पत्ति नष्ट होने लगती है। साथ ही इसके विपरीत इनका दान करता है तो  ऐसा करने से जातक  दीर्घायु होता है और उसे सरकार से सम्मान मिलती है।

कुंडली के पहले भाव में चंद्र दोष से बचने के उपाय

24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य शादी नहीं करनी चाहिए, या तो 24 साल के पहले अथवा 27 साल के बाद ही शादी करनी चाहिए। 24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य अपनी कमाई से घर का निर्माण नहीं करना चाहिए। हरे रंग और पत्नी की बहन अर्थात शाली से दूर रहना चाहिए। घर में टोटी के साथ एक चांदी के बर्तन या केतली न रखें।  बरगद की जड़ में पानी डालें।चारपाई के चारों पायों में तांबें की कीलें ठोके। अपने बच्चों के कल्याण के लिए जब भी एक नदी पार करें, हमेशा उसमें एक सिक्का डालें। हमेशा अपने घर में चांदी की एक थाली रखें। पानी या दूध पीने के लिए हमेशा चांदी के बर्तन का प्रयोग करें, कांच के बने बर्तन के उपयोग से बचें।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

चन्द्र शांति के कुछ उपाय

  • यदि कुंडली में चंद्रमा केतु के साथ विराजित हो तब जीविकोपार्जन में बाधा डालता है अतः ऐसे जातको को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
  • श्वेत व गोल मोती चांदी की अंगूठी में रोहिणी ,हस्त ,श्रवण नक्षत्रों में जड़वा कर सोमवार या पूर्णिमा तिथि में पुरुष दायें हाथ की और स्त्री बाएं हाथ की अनामिका या कनिष्टिका अंगुली में धारण करें।
  • धारण करने से पहले ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः मन्त्र के 108 उच्चारण से इस में ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप ,पुष्प ,अक्षत आदि से पूजन कर लें।
  • चंद्रमा की स्थिति को संतुलित करना हो या फिर उसकी ताकत को बढ़ाना हो, दोनों ही मामलों में रत्न उपयोगी सिद्ध होते हैं। अगर कुंडली में चंद्रमा असंतुलित है तो कम से कम 10 रत्ती का मोती धारण करना चाहिए।
  • अगर किसी कारणवश मोती नहीं खरीद पा रहे हैं तो मोती के उपरत्न मून स्टोन को भी पहन सकते हैं। इसे चांदी की अंगूठी में डालकर पहन भी सकते हैं और चांदी का लॉकेट बनवाकर गले में भी पहन सकते हैं।
  • चारपाई के चारों पायों में चांदी की कील गाड़ना चाहिए। घर की छत के नीचे कुआ या हैंडपंप न लगाना चाहिए। चन्द्र नीच का हो तो चन्द्र की चीज़ो का दान करें।
  • चंद्रमा जनित कष्ट दूर करने के लिए पूर्णमासी का व्रत करना चाहिए और सत्यनारायण भगवान की कथा सुननी चाहिए एवं चन्द्र मंत्र अनुष्ठान का आयोजन विधि पूर्वक करना उचित रहता है।
  • रात को सोते समय थोडा सा दूध एक छोटे लोटे में अपने बिस्तर के सिरहाने रख कर सोये और सवेरे उठ कर वो दूध कीकर के पेड़ या यगीवृक्ष में सींच दे तो चन्द्र दशा शांत होती है।
  • सफेद और स्लेटी रंग चंद्रमा का प्रतीक होते हैं इसके अलावा चमकीला नीला, हरा और गुलाबी रंग, आसमानी रंग भी लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें काले और लाल रंग से परहेज रखना चाहिए।

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