Kundli Me Grahan Yog Ke Upay: ग्रहण योग के घातक प्रभाव जातक को कर देंगे बर्बाद, जानिए इससे बचने के प्रभावकारी सरल उपाय
Kundli Me Grahan Yog Ke Upay: कुंडली में ग्रहण योग बनने पर जातक के सभी कार्य रुक जाते हैं और कई बार कार्य पूरा होते होते अचानक बाधा पहुंचता है। ऐसी स्थिति में ग्रहण योग बनता है। जब कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु और केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनाते हैं।
Kundli Me Grahan Yog Ke Upay
कुंडली में ग्रहण योग के उपाय : कुंडली में जब किसी जातक के 12 भावों में से किसी भी भाव में सूर्य और चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई भी एक पाप ग्रह विराजमान हो तो 'ग्रहण योग' ( Grahan Yog) kyaबनता है। इसे घातक अशुभ योगों में से एक मानते है। चंद्रमा ( Moon) और राहु ( Rahu) का योग बनने पर व्यक्ति की नींद की समस्या आती है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली उसके भूत-भविष्य का लेखा-जोखा है। कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु और केतु बैठे हों तो यह 'ग्रहण योग' बनाते हैं। इसके साथ अगर सूर्य भी हों तो यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस योग के कारण जीवन में स्थिरता नहीं होती।
ग्रहण योग क्या है
ग्रहण योग राहु के साथ सूर्य और चंद्रमा की युति होने पर बनता है। जब कुंडली में सूर्य और राहु एकसाथ हों या चंद्रमा और राहु एकसाथ हों तो यह ग्रहण बनता है। ग्रहण योग विपरीत परिणाम देने वाला योग होता है।इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भाव में सूर्य के साथ राहु भी हो तब सूर्य ग्रहण दोष लगता है। सूर्य किसी भी भाव में स्थित हो और सूर्य पर राहु की छाया पड़ रही हो तो भी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग बनता है।इस योग के निर्माण से जातक को जीवन में असफलता मिलती है और आर्थिक तंगी बनी रहती है।
ग्रहण योग के घातक प्रभाव
- कुंडली में ग्रहण योग बनने पर जातक के सभी कार्य रुक जाते हैं और कई बार कार्य पूरा होते होते अचानक बाधा पहुंचता है। ऐसी स्थिति में ग्रहण योग बनता है। कुंडली में ग्रहण योग निर्माण से गर्भधारण करने में समस्याएं आती हैं और इस योग में पैदा हुआ जातक हमेशा बीमार ही रहता है। इस योग की वजह से आपके घर या व्यापार में अचानक बाधा होती है।
- ग्रहण योग के कारण व्यक्ति को सही करियर चुनने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुरानी बीमारियाँ व्यक्ति को घेर लेती हैं, निराशा और अवसाद व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर देते हैं।
- यदि ग्रहण योग सातवें घर में बनता है तो यह जीवनसाथी के साथ मतभेद की स्थिति पैदा करता है। ग्रहण योग से जातक को समाज में अपयश और बेइज्जती का सामना करना पड़ सकता है।
- यदि कुंडली में ग्रहण योग है तो जिस भाव में यह योग बना हुआ है उस भाव को पीड़ित करके उस भव से संबंधित वस्तुत या सुखों में कमी आती है। ग्रहण योग जिस ग्रह से बनता है वह ग्रह भी स्वयं पीड़ित हो जाता है क्योंकि राहु, चंद्रमा और सूर्य दोनों परम शत्रु हैं। ऐसे में राहु सूर्य और चंद्रमा दोनों को पीड़ित करता है।
- जब सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग बनता है तो व्यक्ति को जीवन में यश नहीं मिलता। प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि नहीं मिल पाती। ऐसा व्यक्ति भले ही कितना भी अच्छा काम करे उसे प्रशंसा मिल ही नहीं पाती। इस ग्रहण से पीड़ित व्यक्ति को पिता के सुख की भी कमी रहती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्यांए भी जीवन में बनी रहती हैं।
- चंद्रमा और राहु के योग से बनने वाले ग्रहण योग से से व्यक्ति को मानसिक रूप से अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को मानसिक शांति नहीं मिल पाती। ऐसे व्यक्ति पर नकारात्मक सोच हावी रहती है। ये लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर बहुत परेशान रहते हैं।
सूर्य से ग्रहण योग बनने पर उपाय
सूर्य से बने ग्रहण दोष में या कुण्डली में सूर्य देव के कमजोर होने पर हमे सूर्य देवता को प्रीतिदिन अर्घ्य देना चाहिए उसमे थोड़ा गुड, कुमकुम तथा कनेर के पुष्प या कोई भी लाल रंग पुष्प डाले तथा सूर्य भगवान को यह मंत्र "ॐ घृणि सूर्याय नमः" या "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" जप ते हुए अर्घ्य दे। इसके अलावा प्राचीन और सर्वमान्य आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ सूर्य देवता की पूजा करने से यह दोष दूर होता है। इसलिए रोज एक माला ऊं घृणि सूर्याय नम: का जाप करें।
चंद्रमा से ग्रहण योग पर उपाय
चन्द्रमा और राहु या केतु से बनने वाले चन्द्र ग्रहण दोष के लिए सबसे अच्छा उपाय शिव जी भगवन की पूजा उनका प्रीतिदिन जल से कच्चे दूध से अभिषेक करना अति लाभदायक सिध्द होता है क्योंकि चन्द्रमा शिव जी भगवान की जटाओं में विराजमान है तथा शिव जी भगवन की पूजा से अति प्रस्सन होता है। इसके अलावा चन्द्रमा देवता के यन्त्र को घर में पूजा की जगह विराजित करे और अपनी पूजा के समय (सुबह और शाम) यन्त्र का भी धूप दीप से पूजन करे चन्द्रमा के मंत्र ॐ श्राम श्रीम् श्रोम सः चन्द्रमसे नमः का जाप करे ।
एक माला प्रतिदिन ऊं सोम सोमाय नम: का जाप करें। शिवलिंग पर प्रतिदिन अभिषेक करें। गरीब व्यक्ति को सोमवार को दूध का दान करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा और राहु का योग है तो नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करें। सुबह-शाम शिव के मंत्रों का जाप करें। सोमवार के दिन भगवान शिव को जल अर्पित करें। सोमवार के दिन भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के तौर पर इसे खुद ग्रहण करें।
इन उपायों को करके जातक ग्रहण योग के दुष्प्रभावों से बच सकता हैं। तो फिर देर किस बात किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली दिखाएं और ज्योतिष के उपायों से खुद खुशहाल बनाने का काम करें।
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