Kundli Me Paisa Ka Yog: कुंडली की यह दशा तय करती है, कब होता कोई व्यक्ति धनवान, बरसता है खूब धन
Kundli Me Paisa Ka Yog: कोई व्यक्ति गरीब होगा या धनवान या उसके जीवन में अमीर होने की संभावना है ये उस व्यकित के ग्रह नक्षत्र तय करता है...जानते है कैसे
Kundli Me Paisa Ka Yog: धनवान बनने की इच्छा हर व्यक्ति किसी की होती है। सब चाहते हैं कि खूब धन-दौलत रहे और इसी चीज का अभाव न हो. इसके लिए व्यक्ति दिन-रात खूब मेहनत भी करता है।लेकिन धनवान बनने के लिए किस्मत का साथ तभी मिलता है जब आपकी कुंडली में भी धन योग हो, ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में कई योग है। इन्हीं में एक है ‘धन योग’ यह ऐसा योग होता है जो आपको करोड़पति बना सकता है जानते हैं कुंडली में कैसे और कब बनता है धन योग और धन योग के प्रभाव।
कुंडली में धन योग
किसी जातक की जन्मकुंडली के दूसरे घर को वित्त के घर के रूप में जाना जाता है। वहीं 11वें घर वित्तीय लाभ का घर होता है।इन दोनों घरों के संबंध से ही धन योग बनता है। लग्न कुंडली में दूसरे, 5वें, 9वें और एकादश भाव हो तो यह धन योग बनाता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में दूसरे भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादश भाव का स्वामी दूसरे भाव में हो तो ऐसे में भी धन योग बनता है।इसके अलावा गुरु और शुक्र जैसे ग्रहों की युति भी धन लाभ में बड़ी भूमिका अदा करते हैं. इसलिए कुंडली में इन दो ग्रहों की स्थितियां बहुत ही प्रभावशाली मानी जाती है।
क्या बनेंगे धनवान
अगर आपकी जन्म कुंडली में मंगल चौथे, सूर्य पांचवे और गुरु ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो इससे धनवान बनने के योग बनते है। ऐसे योग वाले लोग जिस काम से जुड़े होते हैं, उन्हें उससे खूब धनलाभ होता है।इसके अलावा जब सूर्य ग्यारहवें और दसवें भाव में हो, मंगल चौथे और पांचवे भाव में हो तब भी व्यक्ति धनवान बन सकता है। अगर आपकी कुंडली में शनि, बुध और शुक्र जैसे ग्रह एक साथ एक ही भाव में हैं तो इससे आपको व्यापार में खूब लाभ होगा और आप अपार संपत्ति के धनी बनेंगे।अगर आपकी जन्म कुंडली में दसवें भाव का स्वामी वृषभ या तुला राशि में हो, शुक्र या सातवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो भी व्यक्ति धनवान बनता है. लेकिन ऐसी स्थिति में व्यक्ति विवाह के पश्चात धनवान बनता है।
अगर आपकी कुंडली में शनि तुला, मकर या कुंभ राशि में हो तो ऐसे लोग भी जीवन में अमीर बनते हैं।जन्म कुंडली के सातवें भाव में मंगल या फिर शनि मौजूद हो और ग्यारहवें भाव में शनि, मंगल या राहु में बैठा हो तो ऐसे लोग शेयर बाजार, लॉटरी आदि के माध्यम से अचानक धनवान बनते हैं।
जातक के धनवान बनने के 11 योग
लक्ष्मी योग-लग्नेश बली हो और नवमेश उच्च या स्वराशि में होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है। अथवा लग्नेश एवं नवमेश की युति या परस्पर स्थान परिवर्तन हो तो भी यह योग होता है। अथवा नवमेश एवं शुक्र ग्रह उच्च या स्वराशि का होकर केन्द या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है। यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है।
महाधन योग-दशमेश एवं एकादशेश की युति दसवें भाव में हो तो यह योग होता है। यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है।
धनमालिका योग-दूसरे भाव से लगातर सूर्यादि सातों ग्रह सातों राशि में स्थित हों तो यह योग होता है। यह योग जातक को धनी बनाता है।
अति धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे स्थित हो, धनेश ग्याहरवें स्थित हो और एकादशेश लग्न में स्थित हो तो जातक कम प्रयासों में आसानी से बहुत धन अर्जित करता है।
बहु धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे भाव में और द्वितीयेश लग्न में स्थित हो या ये दोनों ग्रह शुभ भाव में एक साथ बैठे हों तो जातक बहुत धन अर्जित करता है।
आजीवन धनलाभ योग-एक से अधिक ग्रह दूसरे भाव में स्थित हों और द्वितीयेश एवं गुरु बली हो या उच्च या स्वराशि में हो तो जातक जीवनपर्यन्त धन अर्जित करता रहता है।
धन प्राप्ति योग-द्वितीयेश एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
विष्णु योग-नवमेश, दशमेश और नवांश कुण्डली का नवमेश दूसरे भाव में स्थित हो तो यह योग जातक को बहुत धन अर्जित कराता है।
वासुमति योग-गुरु, शुक्र, बुध व चन्द्र लग्न से तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में स्थित हों तो जातक अत्यधिक धनी होता है।
धनयोग-यदि चन्द्र व मंगल की युति शुभराशि में हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
शुभकर्तरी योग-शुभग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन्नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है।
यदि आपकी कुंडली में एक या एक से अधिक योग स्थित हों तो ये योगकारक ग्रहों की दशा में धनी बनाते हैं और सभी भौतिक सुख-साधनों को उपलब्ध कराकर धनलाभ कराते हैं।