Kundli Me Rajniti Rajyoga : कुंडली के इस योग से बनते हैं सफल राजनेता, यहां जानिए राजनीतिक सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय
Kundli Me Rajniti Rajyoga : कुंडली में शनि दशम भाव में हो या दशम भाव के स्वामी से संबध बनाए और दशम भाव में मंगल भी हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हित में काम करता है और राजनीति में सफल होता है। राहु, शनि, सूर्य व मंगल की युति दशम या एकादश भाव हो या दृष्टि संबंध हो तो राजनेता बनने के गुण प्रदान करता है।
Kundli Me Rajniti Rajyoga
कुंडली में राजनीति राजयोग : यूपी चुनाव (UP Election) की तारीख (Date) सामने आने के बाद सियासी गतिविधियां तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में राजनेताओँ (Politicians) की हलचल बढ़ गई है। चुनाव आते ही कई पार्टिया और नेता ऊभर कर सामने आते हैं। आए भी क्यों नहीं? आज के समय में राजनेताओं का वही महत्व है जो प्राचीन समय में राजा का होता था। किसी भी देश या राज्य की उन्नति और समृद्धि उसके राजनैतिक नेताओं की कार्यकुशलता निर्भर करती है।एक सफल राजनेता वही है जिसमें अच्छी बौद्धिक कुशलता, वाक्शक्ति, अच्छी निर्णय–शक्ति आदि का गुण हो।
कुंडली के इस भाव से बनते हैं सफल राजनेता
ज्योतिष सरकारी कार्य और राजनीति के लिए सूर्य को ही कारक मानते है। "शनि" जनता और जनता से मिलने वाली सपोर्ट का कारक है इसी तरह कुंडली का "चतुर्थ भाव" भी जनता की सपोर्ट को दिखाता है इसके आलावा कुंडली का छठा भाव प्रतिस्पर्धा और विरोधियों तथा तीसरा भाव अपनी शक्ति और पराक्रम का कारक होने से राजनीती में अपनी सहायक भूमिका निभाते हैं।राजनीति के क्षेत्र में सफलता के लिए सूर्य ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि सूर्य को ही सरकार और सत्ता का कारक माना गया है इसके अलावा शासन की कुशलता, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा, इच्छाशक्ति और यश का का कारक भी सूर्य ही होता है और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रसिद्धि , प्रतिष्ठा का होना बहुत आवश्यक है इसलिए भी राजनीतिक में सफलता पाने के लिए कुंडली में सूर्य का बलि होना बहुत आवश्यक है।
शनि को जनता और जनता से मिलने वाली सपोर्ट का कारक माना गया है और सक्रिय राजनीति में सफलहोने के लिए जनता का साथ मिलना बहुत आवश्यक है अतः कुंडली में बलवान शनि जनता का सहयोग दिलाकरव्यक्ति को सफल राजनेता बनाता है। कुंडली का चौथा भाव भी जनता का कारक है अतः राजनीति में सफलता के लिए कुंडली के चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का बलि होना भी बहुत आवश्यक है।
कुंडली का छठा और तीसरा भाव प्रतिस्पर्धा की क्षमता और विरोधियों पर विजय को दर्शाता है अतः कुंडली में इन दोनों भावों का बलि होना भी राजनीति में सहायक होता है तथा विरोधियों पर विजय दिलाकर प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है।
राजनीति में सफलता के ज्योतिषीय योग
राजनीतिक सफलता के लिए मुख्य घटक सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव ही होते हैं सूर्य सीधे-सीधे सत्ता और राजनीति का कारक है ही तथा शनि व् चतुर्थ भाव जनता का सहयोग दिलाते हैं अतः निष्कर्षतः राजनैतिक सफलता के लिए कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव का अच्छी स्थिति में होना बहुत आवश्यक है।इसके अतिरिक्त राहु कूटनीति का ग्रह होने से बली या शुभ स्थिति में स्थित राहु की भी यहां सहायक भूमिका होती है। अब यहाँ एक महत्वपूर्ण बात और है राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के भी दो मार्ग हैं एक सक्रिय चुनावी राजनीति और दूसरी संगठन की राजनीति, आप राजनीति के क्षेत्र में किसी भी प्रकार जुड़े हों सफलता के लिए कुंडली में सूर्य का अच्छा होना तो आवश्यक है ही परन्तु सक्रिय चुनावी राजनीति में सफल होने के लिए शनि और चतुर्थ भाव का बलि होना बहुत आवश्यक है। जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित होता है उन लोगों को जनता का सहयोग न मिल पाने के कारण वे चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाते अतः कमजोर शनि वाले लोगों को चुनावी राजनीति में ना जाकर संगठन में रहकर कार्य करना चाहिये।
कुंडली में विशेष योग दिलाते हैं राजनीतिक सफलता
यदि सूर्य स्व या उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावों में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। सूर्य दशम भाव में हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है। शनि यदि स्व, उच्च राशि (मकर , कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीति में अच्छी सफलता मिलती है।
यदि चतुर्थेश चौथे भाव में बैठा हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जन समर्थन मिलता है। चतुर्थेश का स्व या उच्च राशि में होकर शुभ स्थान में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता है। बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है। दशमेश और चतुर्थेश का योग हो या दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीति में सफलता दिलाता है। सूर्य और बृहस्पति का योग केंद्र ,त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता है। बुध-आदित्य योग (सूर्य + बुध) यदि दशम भाव में बने और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव बलि होने के बाद व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी। यह उसकी पूरी कुंडली की शक्ति और अन्य ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है।जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु से पीड़ित हो अष्टम भाव में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती या बहुत संघर्ष बना रहता है। शनि पीड़ित या कमजोर होने से ऐसा व्यक्ति चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाता, कमजोर शनि वाले व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य बलि हो तो संगठन में रहकर सफलता मिलती है।
ऐसे योग बनाते है प्रसिद्ध राजनेता
कुंडली में शनि दशम भाव में हो या दशम भाव के स्वामी से संबध बनाए और दशम भाव में मंगल भी हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हित में काम करता है और राजनीति में सफल होता है। राहु, शनि, सूर्य व मंगल की युति दशम या एकादश भाव हो या दृष्टि संबंध हो तो राजनेता बनने के गुण प्रदान करता है।
राजनीतिक सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय –
- राजनीति में जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को सूर्य उपासना जरूर करनी चाहिये।
- आदित्य हृदय स्तोत्र का रोज पाठ करें। सूर्य को रोज जल अर्पित करें। ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें।
- नौवें और दसवें भाव वाले ग्रहों की स्थितियों को सही कर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जाता है। इसके लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मंत्र हैः-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखं,
धनं देहि, रूपम देहि यशो देहि द्विषो जहि।
इस मंत्र का जाप 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार प्रातः ईष्टदेव की पूजा के बाद करने से आंतरिक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होगा। यह मंत्र सुख और ऐश्वर्य बढ़ाने वाला है।
- राजनीति में सफलता पाने के लिए लाल कपड़े में 21 चूड़ियां, सिंदूर, दो जोड़ी चांदी की बिछिया, पांच उडहुल के फूल, 42 लौंग, 7 कपूर की टिकिया और सुगंध की शीशी बांधकर देवी के चरणों में अर्पित करें। यह मनोवांछित राजनीतिज्ञ के तौर पर लाभ के लिए सटीक उपाय है।