चढ़ाते हैं भगवान शिव को हल्दी और खाते हैं शिवलिंग का प्रसाद, तो जान लें ये बात..

सावन का महीना शुरू हो चुका है। सावन माह भगवान शंकर अति प्रिय महीना है। इस महीने  में की गई अराधना से भगवान शंकर बेहद ही प्रसन्न होते हैं। इस दौरान जो भी मांगा जाए, वह भगवान शंकर देते हैं। हम आपको एक खास बात यहां बताना चाहते हैं कि कुछ महिलाएं और पुरुष जब मंदिर में जाते हैं

Update: 2020-07-07 01:40 GMT

लखनऊ: सावन का महीना शुरू हो चुका है। सावन माह भगवान शंकर अति प्रिय महीना है। इस महीने में की गई अराधना से भगवान शंकर बेहद ही प्रसन्न होते हैं। इस दौरान जो भी मांगा जाए, वह भगवान शंकर देते हैं। हम आपको एक खास बात यहां बताना चाहते हैं कि कुछ महिलाएं और पुरुष जब मंदिर में जाते हैं तो भगवान शंकर को हल्दी का तिलक लगाते हैं। भगवान शंकर को हल्दी कदापि भी अर्पित नहीं करनी चाहिए।इसके अलावाा भी शिव पूजा में इन सबका ध्यान रखें...

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ज्योतिषाचार्य अदिति शर्मा बताती हैं कि मंदिरों में अक्सर देखने को मिलता है, विशेषकर गुरुवार के दिन। गुरुवार के दिन महिलाएं और पुरुष गुरु बृहस्पति की पूजा अर्चना करने के लिए जाती है। गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए केले के पेड़ के पास बैठकर पूजा भी करती है और हल्दी भी अर्पित करती है। यही हल्दी वह शिवलिंग पर भी अर्पित कर देती है। इसी तरह से पुरुष श्रद्धालु भी भगवान शंकर को हल्दी अर्पित कर देते हैं।

शिवलिंग का प्रसाद ना खाएं

जिस शिवलिंग का निर्माण साधारण पत्थर, मिट्टी एवं चीनी मिट्टी से होता उन शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इन शिवलिंगों पर चढ़ा प्रसाद किसी नदी अथवा जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए।शिवपुराण में कहा गया है कि शिव जी का प्रसाद सभी प्रकार के पापों को दूर करने वाला है। जो शिव जी के प्रसाद के दर्शन भी कर लेता है उसके असंख्य पाप नष्ट हो जाते हैं

फिर प्रसाद ग्रहण करने के पुण्य का तो अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता है। शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का भाग होता है। चण्डेश्वर का अंश यानी प्रसाद ग्रहण करना भूत-प्रेतों का अंश ग्रहण करना माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

 

क्यों नहीं चढ़ानी चाहिए हल्दी

हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती। शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है।

शंख

शंख भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं लेकिन शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है। नारियल पानी से भगवान श‌िव का अभ‌िषेक नहीं करना चाह‌िए क्योंक‌ि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसल‌िए सभी शुभ कार्य में नारियल का प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है, लेक‌िन श‌िव पर अर्प‌ित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है।

तुलसी का पत्ता

तुलसी का पत्ता भी भगवान श‌िव को नहीं चढ़ाना चाह‌िए। इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है ज‌िसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी। श‌िव जी ने जलंधर का वध क‌िया था इसल‌िए वृंदा ने भगवान श‌िव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी।

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शिव पूजन में चढ़ने वाली चीजें

जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, ईत्र, चंदन, केसर, भांग. इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को स्नान कराने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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