Krishna Sudama Story: मित्रता

Krishna Sudama Story: किस्मत की एक आदत है कि वो पलटती जरुर है और जब पलटती है, तब सब कुछ पलटकर रख देती है

Newstrack :  Network
Update:2024-05-03 16:58 IST

Krishna Sudama Story

Krishna Sudama Story: कृष्ण और सुदामा का प्रेम बहुत गहरा था। प्रेम भी इतना कि कृष्ण, सुदामा को रात दिन अपने साथ ही रखते थे।कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते।एक दिन दोनों वनसंचार के लिए गए और रास्ता भटकगए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक ही फल लगा था।कृष्ण ने घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा। कृष्ण ने फल के छह टुकड़ेकिए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा सुदामा को दिया।

सुदामा ने टुकड़ा खाया और बोला,'बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया। एक टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी सुदामा को मिल गया।सुदामा ने एक टुकड़ा और कृष्ण से मांग लिया। इसी तरह सुदामा ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए।जब सुदामा ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो कृष्ण नेकहा, 'यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं।मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते।' और कृष्ण ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया।

मुंह में रखते ही कृष्ण ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था। कृष्ण बोले, तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए? उस पर सुदामा का उत्तर था,जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं? सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि आपको पता न चले। दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो, आओ कुछ ऐसे रिश्ते रचे कुछ हम सीखें ,किस्मत की एक आदत है कि वो पलटती जरुर है और जब पलटती है, तब सब कुछ पलटकर रख देती है।इसलिए अच्छे दिनों मे अहंकार न करो और खराब समय में थोड़ा सब्र करो।.सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

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