Maa Kushmanda beej Mantra: चमत्कारी है ये मंत्र,नवरात्रि के चौथे दिन इनके जाप से जीवन होगा खुशहाल

Maa Kushmanda beej Mantra: शारदीय नवरात्रि का चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा किसी की शादी की तो किसी का व्यापार , किसी को मनचाहा साथी या नौकरी नहीं मिलता है। जीवन में चल रही इन परेशानियों से जल्द छुटकारा पाने के लिए देवी कूष्मांडा की पूजा से निदान मिलता है।

Update:2024-10-05 14:45 IST

Sharadiya Navratri 2024 Fourth day शारदीय नवरात्रि का चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा

शारदीय नवरात्रि में चौथे दिन दुर्गा देवी के स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। जिस व्यक्ति पर माता रानी की कृपा होती है उसके जीवन से सभी दुख दूर होते हैं। ​निरोगी काया पाने के लिए भी मां कृष्मांडा की पूजा की जाती है। साथ ही इनका पूजन करने से जातक को लंबी आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। देवी कुष्मांडा अपने भक्तों के हर तरह के रोग, शोक और दोष को दूर करती हैं।

मां कूष्मांडा की कथा

ब्रह्मांड को जन्म देने के कारण इस देवी को कूष्मांडा (maa kushmanda) कहा जाता है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति भी कहा गया है।कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। देवी की 8 भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा भी कहलाती हैं। इनके 7 हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं। 8 वें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं। इसलिए देवी को कूष्मांडा कहा जाता है।

देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। कुष्मांडा देवी की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है..

बीज मंत्र: कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम: पूजा मंत्र: ऊं कुष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में॥

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें स्वच्छ वस्त्र पहनें। इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनने से मां प्रसन्न होती हैं क्योंकि सफेद उनका पसंदीदा रंग है। अगर आपने पूरे नवरात्रि का व्रत रखा है तो माता रानी का ध्यान करें और पूजन आरंभ करें। सबसे पहले मंदिर में स्थापित कलश का पूजन करें और फिर मां दुर्गा की मूर्ति का पूजन करें। फिर मां कुष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।

चतुर्थी के दिन मालपुएं का प्रसाद देवी को अर्पित किया जाए और फिर उसे योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए तो इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना से मनुष्य को व्याधियों से मुक्ति मिलती है। मनुष्य अपने जीवन के परेशानियों से दूर होकर सुख और समृद्धि की तरफ बढ़ता है। देवी सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही देवी कृपा का अनुभव होने लगता है।

देवी कुष्मांडा रोग-संताप दूर कर आरोग्यता का वरदान देती हैं। मां की पूजा से आयु, यश और बल भी प्राप्त होता है। देवी कुष्माण्डा की पूजा गृहस्थ जीवन में रहने वालों को जरूर करना चाहिए। मां की आराधना से संतान और दांपत्य सुख का भी वरदान मिलता है। मां कुष्माण्डा की पूजा से सभी प्रकार के कष्टों का अंत होता है। देवी कूष्मांडा सूर्य को भी दिशा और ऊर्जा प्रदान करने का काम करती हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें देवी कूष्मांडा की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए।

 नवरात्रि के चौथे करें ये उपाय

हर काम करने के बाद भी जीवन में कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। किसी की शादी की तो किसी का व्यापार किसी को मनचाहा साथी या नौकरी नहीं मिलता है। जीवन में चल रही इन परेशानियों से जल्द छुटकारा पाने के लिए देवी मां के इस मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है-

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्। जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ किसी भी परीक्षा में अच्छे रिजल्ट के लिये बुद्धि के विकास के लिए देवी दुर्गा के इस रूप की विद्या प्राप्ति मंत्र का 5 बार जप करना चाहिए । मंत्र है-

'या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र है-

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥सुख-शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिये मंत्र का 21 बार जाप करें।

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥आज गुलाब के फूल में कपूर रखकर माता कुष्मांडा के सामने रखे। फिर माता लक्ष्मी के मन्त्र का 6 माला जप करें। मंत्र है-

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:शाम के समय फूल में से कपूर लेकर जला दें, और फूल देवी को चढ़ा दें।

हर तरह की समृद्धि, संतान के लिएसर्वबाधा विनिर्मुक्तो, धन-धान्य सुतावन्ति।मनुष्यमत् प्रसादेन, भविष्यति न संशय।। का जाप 108 बार करने से इच्छा पूरी होती है।

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