Mahabharat Ki Kahani Kya Hai : युधिष्ठिर और अर्जुन नहाने के बाद कैसे बने थे औरत, जानिए महाभारत के रहस्यमयी सरोवर की कहानी
Mahabharat Mystery: जानते हैं महाभारत के दो सरोवर (तालाब) के बारे में जहां युधिष्ठिर और अर्जुन नहाने के बाद बन गए थे औरत जानिए इस कथा का रहस्य;
Mahabharat Mystery, Image-social media
Mahabharat Mystery महाभारत के शापित सरोवर: जब युधिष्ठिर और अर्जुन बने स्त्री:
महाभारत का युद्ध और उसकी राजनीति की गाथाओँ के अलावा भी इसमें अनेक रहस्यमयी बातों का जिक्र है। इन्ही में से एक सरोवर-तालाब के रहस्य की बात होती है कि इसमें जो भी स्नान करता है नारी के रुप में परिणत हो जाता है। इसका जिक्र महाभारत और शिव पुराण में भी वर्णन है।
ये दो तालाब ( सरोवर) ऐसे थे, जिनमें स्नान करने पर कोई भी पुरुष स्त्री में बदल जाता था। इनका नाम था – शंखोद्धार सरोवर और बहुला सरोवर। महाभारत के अनुसार, इन सरोवरों में स्नान युधिष्ठिर और अर्जुन ने किया, और वे स्त्री में में बदल गए थें। इस बारे में जानने से पहले जानते है -कि आखिर शंखोद्धार सरोवर का रहस्य क्या है। इसके पीछे की कथा क्या है।
शंखोद्धार सरोवर, जिसे शंख सरोवर भी कहा जाता है, पौराणिक ग्रंथों में एक दिव्य और रहस्यमयी तीर्थ स्थल के रूप में वर्णित है। यह सरोवर हिमालय क्षेत्र में स्थित माना जाता था, हालांकि इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति अज्ञात है। कहा जाता है कि यह सरोवर भगवान शिव से जुड़ा हुआ था और उन्होंने इसे एक शाप दिया था।
शंखोद्धार सरोवर में शिव का शाप
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती के साथ इस सरोवर के तट पर आराम कर रहे थे। तभी एक राक्षस, शंखासुर, वहां आ पहुंचा और उसने भगवान शिव और पार्वती को परेशान करना शुरू कर दिया। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उसका संहार किया। मारे जाने के बाद उसका शंख (कवच) इस सरोवर में गिर गया। शिवजी ने इस घटना से क्रोधित होकर सरोवर को शाप दिया कि जो भी पुरुष इसमें स्नान करेगा, वह स्त्री में परिवर्तित हो जाएगा।
महाभारत की कथा के अनुसार, जब पांडव अपने वनवास के दौरान शंखोद्धार सरोवर पहुंचे। कहते हैं कि युधिष्ठिर को इस सरोवर के शाप के बारे में जानकारी थी, फिर भी उन्होंने इसमें स्नान किया। उनका उद्देश्य अपने पापों से मुक्ति पाना और आत्मशुद्धि करना था। फिर उन्होंने स्नान किया, वे एक सुंदर स्त्री में बदल गए।
युधिष्ठिर ने कठोर तप से पाया पुन: पुरुष रुप
अपने स्त्री रूप को देखकर युधिष्ठिर स्तब्ध रह गए और उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया कि वे पुनः अपने पुरुष रूप में वापस आ सकते हैं। इस प्रकार युधिष्ठिर अपने मूल स्वरूप में लौट आए।
दूसरा सरोवर था बहुला सरोवर-इसमें अर्जुन बने थे औरत
दूसरा रहस्यमयी सरोवर के बारे में महाभारत के वनपर्व में जिक्र मिलता है। यह सरोवर काम्यक वन में स्थित बताया गया है, जो उस समय का एक प्रसिद्ध तपोवन था।इस सरोवर के शाप की उत्पत्ति के बारे में पुराणों में वर्णन मििलता है कि
एक बार एक अप्सरा किसी ऋषि को मोहित करने का प्रयास कर रही थी। ऋषि ने क्रोधित होकर उसे श्राप दे दिया कि इस सरोवर में जो भी पुरुष स्नान करेगा, वह स्त्री में बदल जाएगा। एक अन्य कथा के अनुसार, यह परिवर्तन अर्जुन के अज्ञातवास की पूर्व सूचना थी, क्योंकि आगे चलकर उन्हें राजा विराट के दरबार में “बृहन्नला” के रूप में रहना पड़ा था।
महाभारत के अनुसार, एक दिन अर्जुन और उनके साथी इस वन में घूम रहे थे। इस सरोवर में स्नान करने से पुरुष स्त्री में बदल जाता है। अर्जुन स्वभाव से जिज्ञासु थे, और उन्होंने इस रहस्य की सच्चाई जानने के लिए इसमें स्नान कर लिया। तुरंत ही वे एक सुंदर नारी के रुप में बदल गए।
अर्जुन को नारी रूप में देखकर उनके साथ वाले घबरा गए। उन्होंने प्रयास किए लेकिन अर्जुन को पुरुष बनान में असमर्थ रहे। आखिर में अर्जुन ने अपनी दिव्य शक्तियों और ध्यान साधना से अपना पुरुष रुप प्राप्त किया। इन सरोवरों में स्नान करने का मूल उद्देश्य आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त करना था।यह घटनाएं दर्शाती हैं कि पुरुष और स्त्री के गुण एक-दूसरे में समाहित हो सकते हैं।अर्जुन का बहुला सरोवर में स्त्री में बदलना यह संकेत देता है कि आगे चलकर उन्हें बृहन्नला के रूप में रहना पड़ेगा।
आज के समय में इन सरोवरों का नाम भर है। ये विलुप्त है, माना जाता है कि शंखोद्धार सरोवर हिमालय आज भी स्थित है, जो कैलाश पर्वत के आसपास। बहुला सरोवर काम्यक वन अनुमानत:( राजस्थान, उत्तर प्रदेश, या मध्य प्रदेश में) स्थित था।इनकी सही जानकारी नहीं।
महाभारत की यह कथा रहस्य शंखोद्धार सरोवर और बहुला सरोवर में स्नान करने से युधिष्ठिर और अर्जुन का नारी रूप में बदलने की घटना से यह कह सकते है कि व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार के अनुभवों से गुजरता है, जिनसे उसे आत्मशुद्धि, धैर्य और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है