Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि और शनि प्रदोष व्रत का एक ही दिन पड़ना है बेहद शुभकारी संयोग

Mahashivratri and Shani Pradosh Vrat 2023 : महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट"के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि सायं 05:43 तक है ।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-02-18 08:32 IST

Mahashivratri and Shani Pradosh Vrat 2023 (Image credit: social media )

Mahashivratri and Shani Pradosh Vrat 2023 : महाशिवरात्रि 18 फ़रवरी 2023 शनिवार को है। इस दिन शनि प्रदोष भी है। एक ही दिन में महाशिवरात्रि और शनि प्रदोष व्रत दुर्लभ संयोग अत्यन्त शुभकारी माना जा रहा है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट"के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि सायं 05:43 तक है पश्चात चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ होगी इस दिन शनिवार का दिन उत्तराषाढा नक्षत्र दिवा 03:35 तक पश्चात श्रवण नक्षत्र है। इस वर्ष की महाशिवरात्रि शनिवार के दिन पड़ने से शनि प्रदोष होने के कारण अत्यन्त शुभकारी है।


ईशान संहिता के अनुसार समस्त ज्योतिर्लिंगों का प्रादूर्भाव फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्धरात्रि के समय हुआ था,अतः इस पुनीत पर्व को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है,वैसे तो शिव भक्त प्रत्येक कृष्ण चतुर्दशी का व्रत करते है परन्तु उक्त फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का व्रत जन्म जन्मान्तर के पापों का समन करने वाला है | इसमें रात्रि जागरण करते हुये रात्रि में चारो प्रहर में चार प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक करने का विधान है । स्कन्ध पुराण के अनुसार इस दिन सूर्यास्त के वाद भगवान शिव पार्वती व अपने गणों के सहित भूलोक में सभी मन्दिरों में प्रतिष्ठित रहते है। प्रथम प्रहर में षोडशोपचार पूजन कर गोदूग्ध से,द्वितीय प्रहर में गोदधि से,तृतीय प्रहरमें गोघृत से व चतुर्थ प्रहर में पञ्चामृत से अभिषेक करने का विधान है ।

आईये जानें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कैसे करें महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक


                                                                    ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक का विशेष है महत्व

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गोदूग्ध से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदूग्ध में चीनी व मेवे के घोल से,शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से,पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से,अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है की नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है......यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बन्धितकष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें ।चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर,बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से,गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदूग्ध से,शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गोदूग्ध के छाछ से,शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से,केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है ।


शिवलिंग पर चढाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए नहीं है ग्राह्य

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार शिव मन्दिर में व्रती को चाहिए कि वह विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक कर दूसरे दिन सूर्योदय के पश्चात काले तिल,त्रिमधु युक्त पायस,व नवग्रह समिधा से हवन कर एक सन्यासी को भोजन कराकर स्वयं पारणा करें। शिवलिंग पर चढाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए ग्राह्य नहीं है। अपितु अलग से मिष्ठान फल आदि का भोग लगाकर उसे इष्ट मित्रों में वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

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