Mahashivratri Puja: महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिव पूजन, राशि के अनुसार करें मंत्र जाप,बरसेगी महादेव की कृपा

Mahashivratri Puja: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें:जिस दिन शिव पूजन करना चाहते हैं, उस दिन सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाइए। इसके बाद घर के मंदिर में ही या किसी शिव मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें।

Update:2023-02-17 07:30 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Mahashivratri Puja: 18 फरवरी को  महाशिवरात्रि है । पुराणों में कहा गया है कि शिव की पूजा चाहे जैसे करें, वो अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान की प्रसन्नता से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं, दरिद्रता से मुक्ति मिल सकती है। इसलिए सभी देवी-देवताओं की नियमित पूजन करनी चाहिए । इनमें शिवजी का विशेष स्थान है। शिवपुराण के अनुसार, इस संपूर्ण सृष्टि की रचना शिवजी की इच्छा से ही ब्रह्माजी ने की है। महादेव की पूजा से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और कुंडली के ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन इन वस्तुओं को चढ़ा कर आप शिव कृपा के पात्र हो सकते हैं...

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें 

जल, दूध, दही, शहद, घी, शकर, ईत्र, चंदन, केशर, भांग (विजया औषधि) इन सभी चीजों का शिवपूजन में इस्तेमाल करने से भोले बाबा खुश होते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज से शिवजी को स्नान करवा सकते हैं। शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को स्नान कराने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। स्नान करवाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।

इन चीजों को चढ़ाने से मिलने वाला फल

  • मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत होता है। आचरण स्नेहमय होता है।
  • शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
  • दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।
  • दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है।
  • शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
  • ईत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं।
  • शिवजी को चंदन चढ़ाने से व्यक्तित्व आकर्षक होता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  • केशर अर्पित करने से हमें सौम्यता प्राप्त होती है।
  • भांग चढ़ाने से हमारे विकार और बुराइयां दूर होती हैं।
  • शकर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिव पूजन

जिस दिन शिव पूजन करना चाहते हैं, उस दिन सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाइए। इसके बाद घर के मंदिर में ही या किसी शिव मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल और धतूरा चढ़ाएं। पूजा में शिवजी को घी, शक्कर या मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप, दीप से आरती करें।

पूजन करते समय इस मंत्र का जप करें-

मन्दारमालांकलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।

दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।

ऊँ नम: शिवाय।

महाशिवरात्रि पर राशि के अनुसार पूजन और मंत्र जाप

महाशिवरात्रि है तो उससे पहले पर्व को लेकर थोड़ी बहुत जानकारी और तैयारी कर लेना चाहिए। महाशिवरात्रि पर्व पर अलग-अलग राशि के लोगों के लिए विशेष पूजन के प्रकार का प्रावधान है। भगवान शिव यूं तो मात्र जल और बिल्वपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन उनका पूजन अगर अपनी राशि के अनुसार किया जाए तो अतिशीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

  • मेष- रक्तपुष्प से पूजन करें और अभिषेक शहद से करें। 'ॐ नम: शिवाय' का जप करें।
  • वृषभ- श्वेत पुष्प और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। महामृत्युंजय का मंत्र जपें।
  • मिथुन- अर्क, धतूरा और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। शिव चालीसा पढ़ें।
  • कर्क- श्वेत कमल, पुष्प और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। शिवाष्टक पढ़ें।
  • सिंह- रक्त पुष्प और पंचामृत से पूजन-अभिषेक करें। शिव महिम्न स्त्रोत पढ़ें।
  • कन्या- हरित पुष्प, भांग और सुगंधित तेल से पूजन-अभिषेक करें। शिव पुराण में वर्णित कथा का वाचन करें।
  • तुला- श्वेत पुष्प तथा दुग्ध धारा से पूजन-‍अभिषेक करें। महाकाल सहस्त्रनाम पढ़ें।
  • वृश्चिक- रक्त पुष्प तथा सरसों तेल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव जी के 108 नामों का स्मरण करें।
  • धनु- पीले पुष्प और सरसों तेल से पूजन-‍अभिषेक करें। 12 ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करें।
  • मकर- नीले-काले पुष्प तथा गंगाजल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करें।
  • कुंभ- जामुनिया-नीले पुष्प औरजल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव षडाक्षर मंत्र का 11 बार स्मरण करें।
  • मीन- पीले पुष्प और मीठे जल से पूजन-‍अभिषेक करें। रावण रचित शिव तांडव का पाठ करें।

खासतौर पर ध्यान दें, पूजन में पहले ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्धोदक जल स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, उपवस्त्र, चंदन, अक्षत, पुष्प, पुष्प माला, धूप-दीप, नैवेद्य नीराजन, पुष्पांजलि,परिक्रमा, क्षमा-प्रार्थना इत्यादि मूल मंत्र का प्रयोग करें।

भोलेनाथ को बिल्वपत्र, भांग, अर्क पुष्प, धतूरे के पुष्प-फल भी चढ़ाए जाते हैं। जो वस्तु कम हो, उस वस्तु की जगह अक्षत का प्रयोग करें।

शिव पंचाक्षरी मंत्र- नम: शिवाय।

शिव षडाक्षरी मंत्र- ॐ नम: शिवाय।

मृत्युंजय मंत्र- ॐ जूं स:।

महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे, सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।

उर्वारु‍कमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

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