Makar Sankranti Ka Shubh Muhurat: 15 जनवरी को मनाये मकर संक्रांति, इस दिन बन रहा सालों बाद दुर्लभ योग, स्नान-दान से होगा लाभ

Makar Sankranti Ka Shubh Muhurat: मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन बहुत खास संयोग है इसलिए इस दिन स्नान दान का महत्व है , जानिए इसके बारे में...

Update:2024-01-13 09:15 IST

Makar Sankranti 2024 मकर संक्रांति 2024: इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी उस दिन सुबह से ही पवित्र नदियों में स्नान होगा और सूर्य पूजा के बाद दान किया जाएगा। मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य और शनि की कृपा पाने के लिए तिल, गुड़, गरम कपड़े आदि का दान करते हैंं।

मकर संक्रांति से जुड़ी मान्यताएं

पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता छाया के गर्भ से शनि महाराज का जन्म हुआ तो उनके पिता सूर्य देव काफी दुखी हो गए क्योंकि शनि देव का रंग काला था और वे काफी कमजोर थे। उन्होंने कहा कि उनका पुत्र ऐसा नहीं हो सकता है। सूर्य देव के इस व्यवहार से छाया आहत थीं। सूर्य देव ने छाया और शनि देव को अलग कर दिया। वे दोनों कुंभ घर में रहते थे। क्रोधित छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया।
इससे सूर्य देव नाराज हो गए और उन्होंने अपने तेज से उनके घर कुंभ को जला दिया। सूर्य के दूसरे पुत्र यमराज ने अपने तप से पिता को कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाई और माता छाया से अच्छा व्यवहार करने का अनुरोध किया। शनि देव ने काले तिल से किया सूर्य देव का स्वागतपुत्र यम के अनुरोध पर सूर्य देव पत्नी छाया और पुत्र शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। उन्होंने देखा कि उन दोनों का घर जलकर बर्बाद हो गया है। वे इससे दुखी हुए। उस दौरान शनि देव के पास काला तिल था। उससे ही उन्होंने सूर्य देव का स्वागत किया।यह देखकर सूर्य देव काफी खुश हुए।

सूर्य देव के वरदान के कारण मकर संक्रांति पर शनि देव का घर धन-धान्य से भर गया। इस वजह से हर साल मकर संक्रांति पर पूजा में काला तिल रखते हैं। काले ​तिल का दान देते हैं। जो व्यक्ति मकर संक्रांति पर काले तिल का दान करता है, उसका भी घर धन-धान्य, सुख और समृद्धि से भर जाता है। काला तिल शनि देव को भी प्रिय है। इसका दान करने से शनि की साढ़ेसाती-ढैय्या में लाभ होता है। जो लोग मकर संक्रांति पर सूर्य और शनि देव की यह कथा पढ़ते हैं, उनको भी लाभ पहुंचता है।

शनि देव के व्यवहार से खुश होकर सूर्य देव उनको एक नया घर प्रदान किया, जिसका नाम मकर था। इस तरह से शनि देव 12 राशियों में से दो राशियों मकर और कुंभ के स्वामी बन गए। साथ ही सूर्य देव ने शनि को वरदान दिया कि जब वे उनके घर मकर में गोचर करेंगे तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा।इतना ही नहीं, जो लोग मकर संक्रांति के अवसर पर उनको काला तिल अर्पित करेंगे, उनके जीवन में भी सुख और समृद्धि आएगी।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त व खास संयोग ( Makar Sankranti Ka Shubh Muhurat)

इस साल 15 जनवरी 2024को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।इस दिन सुबह 2:54 बजे सूर्य देव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस शुभ समय में पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्य करना बहुत शुभ रहेगा। मकर संक्रांति 2024 में एक खास संयोग भी बन रहा है।15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर 77 सालों के बाद वरीयान योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे, इन ग्रहों की युति राजनीति, लेखन में कार्य कर रहे लोगों के लिए बहुत लाभदायक होती है।

मकर संक्रांति 2024 का शुभ काल- 15 जनवरी

संक्रांति काल - 8:49 PM (15 जनवरी 2024)

मकर संक्रांति पुण्यकाल - 07 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

मकर संक्रांति महा पुण्यकाल - 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक

15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन रवि योग बन रहा है। रवि योग सुबह 07:15 बजे से लेकर सुबह 08:07 बजे तक है। उस समय में मकर संक्रांति का महा पुण्य काल भी है। ऐसे में आप रवि योग में स्नान करें और सूर्य देव की पूजा करें। रविवार के दिन रवि योग में सूर्य की पूजा करने का अवसर बड़ा ही शुभ फलदायी हो सकता है।

अभिजीत मुहूर्त -12:14 PM से12:57 PM

अमृत काल –10:49 PM से 12:17 AM

ब्रह्म मुहूर्त – 05:35 AMसे 06:23 AM

विजय मुहूर्त- 01:55 PM से 02:38 PM

गोधूलि बेला- 05:19 PM से 05:43 PM

त्यौहार - मकर संक्रांति,गंगा सागर स्नान

सूर्य जनवरी 14 , 2024 को 2:54 तक धनु राशि, उपरांत मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसके बाद 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा।

 सबसे पहले उठकर साफ सफाई कर लें। इसके बाद अगर संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें यदि ऐसा न कर पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। आचमन करके खुद को शुद्ध कर लें। इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, तो पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद सूर्य चालीसा पढ़े और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। इस दिन दान करने का खास महत्व माना गया है। 

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