Mandir Ki Parikrama Kyu Karte Hai:मंदिर की परिक्रमा क्यों करते हैं?, जानिए इसका महत्व और परिक्रमा कितने तरह की होती है
Mandir Ki Parikrama Kyu Karte Hai: हिन्दू धर्म में पूजा पाठ व्रत उपवास तीर्थ यात्रा और मंदिर की परिक्रमा का बहुत महत्व रहता है। कहते हैं कि परिक्रमा करने से ईश्वर से निकटता बढ़ती है और पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
Mandir Ki Parkrama Kyu Karte Hai
मंदिर की परिक्रमा क्यों करते हैं?
मंदिर दर्शन के लिए जाने वाले हर दर्शनार्थी को परिक्रमा जरूर करना चाहिए। दरअसल, भगवान की परिक्रमा का धार्मिक महत्व तो है ही, विद्वानों का मत है भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है, सुरक्षा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है।
जिस दिशा में घड़ी के कांटें घूमते हैं, उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए। दाहिने (Right Hand) यानी सीधे हाथ की ओर से शुरू परिक्रमा करें। मंदिरों में लगातार पूजा और मंत्र जाप होते रहते हैं, घंटियां बजती हैं, जिससे मंदिर में और प्रतिमा के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का एक घेरा बन जाता है।
शास्त्रों में बताया गया है भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। जिन मंदिरों में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की जाती है, वहां मूर्ति के आसपास दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है।
इसका एक दार्शनिक महत्व यह भी है कि संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रत्येक ग्रह-नक्षत्र किसी न किसी तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह परिक्रमा ही जीवन का सत्य है। व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही एक चक्र है। इस चक्र को समझने के लिए ही परिक्रमा जैसे प्रतीक को निर्मित किया गया। भगवान में ही सारी सृष्टि समाई है, उनसे ही सब उत्पन्न हुए हैं, हम उनकी परिक्रमा लगाकर यह मान सकते हैं कि हमने सारी सृष्टि की परिक्रमा कर ली है। परिक्रमा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है।
इससे जुड़ी एक कथा भी है जिसके अनुसार भगवान श्रीगणेश का पूजन सबसे पहले किया जाता है, क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले शिवजी और पार्वतीजी की परिक्रमा की थी।
ऋग्वेद के अनुसार प्रदक्षिणा शब्द को दो भागों प्रा और दक्षिणा में विभाजित है। इस शब्द में प्रा से तात्पर्य है आगे बढ़ना और दक्षिणा का मतलब चार दिशाओं में से एक दक्षिण की दिशा। यानी कि ऋग्वेद के अनुसार परिक्रमा का अर्थ है दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी-देवता की उपासना करना। इस तरह गोलाकार परिक्रमा को ईश्वर के करीब पहुंचने का सबसे आसान तरीका माना गया है।
इससे जुड़ी एक कथा भी है जिसके अनुसार भगवान श्रीगणेश का पूजन सबसे पहले किया जाता है, क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले शिवजी और पार्वतीजी की परिक्रमा की थी।
ऋग्वेद के अनुसार प्रदक्षिणा शब्द को दो भागों प्रा और दक्षिणा में विभाजित है। इस शब्द में प्रा से तात्पर्य है आगे बढ़ना और दक्षिणा का मतलब चार दिशाओं में से एक दक्षिण की दिशा। यानी कि ऋग्वेद के अनुसार परिक्रमा का अर्थ है दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी-देवता की उपासना करना। इस तरह गोलाकार परिक्रमा को ईश्वर के करीब पहुंचने का सबसे आसान तरीका माना गया है।
परिक्रमा कितने तरह की होती है?
देवमंदिर परिक्रमा इससे मतलब जगन्नाथ पुरी परिक्रमा, रामेश्वरम, तिरुवन्नमल, तिरुवनन्तपुरम, शक्तिपीठ, ज्योतिर्लिंग आदि की परिक्रमा है।
देव मूर्ति परिक्रमा इसमें भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, रामभक्त हनुमान आदि की मूर्तियों की परिक्रमा करना है।
नदी परिक्रमा जीवनदायिनी मां नर्मदा, सिंधु, सरस्वती, गंगा, यमुना, सरयु, क्षिप्रा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी परिक्रमा आदि की परिक्रमा करना।
पर्वत परिक्रमा हमारे देश में पर्वत भी पूजे जाते हैं और उनकी परिक्रमा भी की जाती है। जैसे गोवर्धन परिक्रमा, गिरनार, कामदगिरि, मेरू पर्वत, हिमालय, नीलगिरी, तिरुमलै आदि पर्वतों की परिक्रमा करना।
वृक्ष परिक्रमा हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की भी पूजा की जाती है।जैसे पीपल और बरगद के पेड़, तुलसी का पौधा, पूजन के दौरान इनकी परिक्रमा करने का बहुत महत्व है।
तीर्थ परिक्रमा इसी तरह लोग तीर्थस्थल वाले शहरों की भी परिक्रमा करते हैं. जैसे चौरासी कोस परिक्रमा, अयोध्या, उज्जैन या प्रयाग पंचकोशी यात्रा, राजिम परिक्रमा, सप्तपुरी आदि।
चार धाम परिक्रमा तीर्थ परिक्रमा की तरह चार धामों की भी परिक्रमा या यात्रा की जाती है। जैसे छोटी चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री) यात्रा या बड़ी चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम) यात्रा करना।
भरत खण्ड परिक्रमासंपूर्ण भारत की परिक्रमा करना. परिवाज्रक संत और साधु ये यात्राएं करते हैं. यह यात्रा सिंधु से शुरू होकर कन्याकुमारी में खत्म होती है
विवाह परिक्रमा विवाह के दौरान वधू-वर अग्नि के चारों ओर 7 प्रदक्षिणा करते हैं तब विवाह संपन्न माना जाता है।
शव परिक्रमा मृत देह का दाह संस्कार करते वक्त भी उसकी परिक्रमा की जाती है।