Mangalvar Ka Mantra : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर, रोज करें हनुमान चालीसा का पाठ, मिलेगा चमत्कारी लाभ

Mangalvar Ka Mantra :मंगलवार हनुमान जी का दिन होता है। इस दिन सुंदर कांड हनुमानचालीसा पढ़ने से अच्छा रहता है, जानिए कैसे...

Update:2023-12-19 10:13 IST

Mangalvar Ka Mantra: हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा उपाय है हनुमान चालीसा का पाठ। कहा जाता है कि रात को हनुमान चालीसा का पाठ करने से कई दोष दूर होते हैं। इससे शनि की साढ़ेसाती में हो रहे कई नकारात्मक प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है।

हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान जी के गुणों का संपूर्ण महाकाव्य हैं। हनुमान चालीसा अवधि में लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीसा चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यंत लघु रचना है जिसमें पवन पुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। हनुमान जी के गुणों के बखान की सुन्दर रचना है। संतों का स्पष्ट मानना है कि हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से मन के विकार दूर होते है, और पाठ करने वाले भक्तों को बल , बुद्धि, विद्या का वरदान मिलता है।

 हनुमान चालीसा का लाभ 

जो  नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमानजी उनकी हर मनोकामना को पूरी करते हैं चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो। यदि आपको कभी आर्थिक संकट का सामना करना पड़े तो अपने मन में हनुमान जी का ध्यान करके हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दीजिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक चिंताएं धीरे-धीरे दूर हो जाएगी। पाठ करते समय पवित्रता का ध्यान रखना अति आवश्यक है।जीवन के राह में आने वाले कष्टों और बाधाओं को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के द्वारा उपाय के रूप में हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने की सलाह दी जाती है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार ....

चलीसा में क्लेश और विकारों से मुक्ति पाने के लिए और मन के अंधकार में ज्ञान की ज्योति जलाने के लिए लिखा गया है कि,। बल-बुद्धि बिद्या देह मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। इन पंक्तियों का अर्थ है कि हनुमान जी अपने भक्तों के सभी क्लेश और विकार को दूर करते हैं। भक्त गण जब भी पूरे मनोयोग से हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करेंगे उनकी बुद्धि तीक्ष्ण होगी और मन से विकारों का जंजाल कट जाएगा।

 जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।...

हनुमान चलीसा में  इसका अर्थ है कि माता गौरी के पति शंकर भगवान ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया इसलिए वह साक्षी हैं की जो इसे पढ़ेगा उसे निशचय ही सिद्धि प्राप्त होगी।

साढ़ेसाती और ढैय्या से भी मुक्ति मिल जाती है

सिद्ध संत और मानस प्रेमियों की दृढ मान्यता है कि हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। ऐसे में हनुमान जी महाराज की असीम कृपा जिस व्यक्ति पर हो जाए, उसका जीवन उजाले से भर जाता है। संतों का मानना है कि हनुमान चालीसा की प्रत्येक पंक्ति महामंत्र है। हर भक्त को प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहती है। नियमानुसार,हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भी मुक्ति मिल जाती है।

हनुमान चालीसा से हर काम की पूरा होता है...

मंगलवार व शनिवार के दिन इन उपायों से बजरंग बली की कृपा पाई जा सकती हैं। यही नहीं हनुमान चालीसा का पाठ सुबह नहा-धोकर मंगलवार या शनिवार के दिन किया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ बेहद प्रभावशाली है। इसके पाठ से अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि तो आती ही है साथ ही कई नकारात्मक चीजों का भी प्रभाव कम होता है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने का सबसे उत्तम समय सुबह और रात का ही होता है। ज्योतिषियों की मानें तो रात को आठ बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि के साढ़े साती में भी राहत मिलती है। कहा जाता है कि बजरंग बली की पूजा करने से शनि देव को प्रसन्न किया जाता है।

यह भी कहा जाता है कि शनि भगवान हनुमान के भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। अगर रात को आठ बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो हनुमान जी सभी पापों का नाश कर देते हैं।

यहां पढ़ें...

हनुमान चालीसा 

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।

विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।। जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

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