Mangalvar Fasting Method: मंगलवार का व्रत कब और कैसे करना चाहिए, जानिए पूजा और उद्यापन विधि

Mangalvar Fasting Method: जिन लोगों को पाप ग्रह परेशान करते हैं उन्हें मंगलवार का व्रत करना चाहिए , जानते हैं क्यों और कैसे?

Update:2023-01-03 09:32 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Mangalvar Fasting (मंगलवार का व्रत): कलयुग के देव भक्तशिरोमणी हनुमान जी के ध्यानमात्र से हर नकारात्मकता दूर हो जाती है। सहास बल और पुरुषार्थ की बढ़ोतरी होती है। हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देव है। उनकी भक्ति से हर कष्ट दूर होते हैं। अगर किसी के जीवन में मंगल भारी है , मांगलिक है तो जातक अगर हनुमान जी की भक्ति के साथ मंगलवार का व्रत करें तो उसके हर परेशानी का निदान होता है। जो भी मंगलवार का व्रत करते हैं उन्हें मांगलिक दोष, शनि से कष्ट, साढ़ेसाती या ढैय्या परेशानी नहीं करती है।

शादी विवाह, व्यापार या रोजगार हर तरह की समस्या से मंगलवार का व्रत फायदा पहुंचाता है। मंगल ग्रह मजबूत होते है साथ ही हनुमान जी की कृपा बरसती है।

मंगलवार व्रत की विधि

किसी भी माह के मंगलवार को शुक्ल पक्ष में व्रत की शुरूआत करनी चाहिए। मंगलवार के व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। सुबह स्नानदि से निवृत होने के बाद मंगलवार दिन लाल रंग और नारंगी रंग के कपड़े पहनकर हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।हनुमानजी की पूजा में मुर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मंगलवार दिन से ही 21 मंगलवार का व्रत का संकल्प लेना चाहिए। लड्डू पेड़ा का भोग लगाकर सुंदरकांड हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए ।

इसके बाद ईशान कोण की दिशा यानि (उत्तर-पूर्व दिशा के कोने) में किसी एक एकांत स्थान पर बजरंग बली की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें। व्रत के दिन लाल वस्त्र धारण कर अपने हाथ में जल लेकर संकल्प लें और मगलवार के व्रत को सच्ची आस्था एवं भक्ति के साथ शुरू करें। अब हनुमान जी की मूर्ति के सामने गाय के शुद्ध घी का एक दीपक प्रज्वलित करे। हनुमान जी की मूर्ति पर चमेली के तेल के हलके छीटे देकर तथा पीले या लाल रंग के पुष्प की माला हनुमान जी की मूर्ति पर चढ़ाएं। उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करे। पूजा पूर्ण होने के उपरांत हनुमान जी का भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटे। पूरे दिन में केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करें, इस व्रत में गेंहूँ और गुड़ का भोजन करना चाहिए। रात्रि में सोने से पहले बजरंग बली की पूजा करें या शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करके हनुमान के आगे हाथ जोड़ें हर मंगलवार के दिन इसी तरह हनुमान जी की पूजा करे। हां महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान व्रत छोड़ देना चाहिए।

मंगलवार की व्रत कथा

प्राचीन समय में एक कुंडलपुर नामक नगर था। जहां नंदा नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुनंदा के साथ रहता था। ब्राह्मण दंपत्ति धन-धान्य से संपन्न थे, लेकिन उनके वंश को आगे चलाने के लिए उनके कोई संतान नहीं थी। इस वजह से ब्राह्मण हनुमान जी की पूजा-अर्चना के लिए वन की ओर प्रस्थान कर गया। वहीं ब्रह्माण की पत्नी ने घर पर बजरंगबली की पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया।

ब्राह्मण की पत्नी प्रत्येक मंगलवार व्रत रखती और शाम को भोग बनाकर हनुमान को अर्पित करती और फिर स्वयं ग्रहण करती। लेकिन एक दिन मंगलवार को कोई और व्रत पड़ गया जिसकी वजह से वह महावीर जी का व्रत नहीं रख पाई। जिसकी वजह से उसने भोजन नहीं बनाया और हनुमान जी को भोग भी नहीं लगाया और स्वयं भी भोजन ग्रहण नहीं किया। वह अपने मन में ये प्रण लेकर सो गई कि अगली मंगलवार को वह हनुमान जी को भोग लगाकर ही अन्न ग्रहण करेगी।

ब्राह्मण की पत्नी 6 दिन तक भूखी-प्यासी पड़ी रही। मंगलवार के दिन वह मूर्छित हो गई तब बजरंगबली ने उसकी श्रद्धा और निष्ठा को देखते हुए उससे प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और कहा कि ब्राह्मणी मैं तुमसे बहुत खुश हूं। मैं तुमको एक सुंदर बालक देता हूं जो तुम्हारी बहुत सेवा करेगा और हनुमान जी अपने बाल रूप को दर्शन देकर अन्तर्धान हो गए। सुंदर बालक पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा।

कुछ वक्त बाद ब्राह्मण जब वन से लौटकर आया तो उसने अपने घर में एक सुंदर बालक देखा तो उसने अपनी पत्नी से पूछा कि यह बालक कौन है? पत्नी ने कहा कि मंगलवार को व्रत करने से प्रसन्न होकर महावीर जी ने मुझे बालक दिया है। पत्नी की बात सुनकर ब्राह्मण संतुष्ट नहीं हुआ और उसने मन में सोचा कि वह अपनी कुलटा व्यभिचारिणी अपनी कलुषता को छुपाने के लिए यह बहाने बना रही है। एक दिन ब्राह्मण कुएं से पानी भरने चला तो उसकी पत्नी ने कहा कि मंगल को भी साथ ले जाओ। ब्राह्मण बालक को अपने साथ ले गया लेकिन जब वापस लौटा तो बालक उसके साथ नहीं था क्योंकि पानी भरने के बाद मंगल को नाजायज मानते हुए ब्राह्मण ने उसे कुंए में डाल दिया।

जब ब्राह्मण की पत्नी ने मंगल के बारे में पूछा तो ब्राह्मण जब तक कुछ बोलता तभी मंगल मुस्कुराता हुआ घर आ गया। उसको देखकर ब्राहमण आश्चर्यचकित हुआ। उसी रात्रि बजरंगबली ने ब्राह्मण को स्वप्न देते हुए कहा कि यह बालक मेरा बाल रूप है और तेरी पत्नी की भक्ति से प्रसन्न होकर मैंने उसे वरदान स्वरूप दिया है। तुम अपनी पत्नी को कुलटा क्यों कहते हो? यह सुनकर ब्राह्मण खुश हो गया और ब्राह्मण दंपत्ति सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे। इसलिए जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है और नियम से व्रत रखता है। उसके हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सर्व सुख प्राप्त होता है।

मंगलवार व्रत उद्यापन विधि

मंगलवार व्रत के उद्यापन के दिन भी सूर्योदय से पहले उठे  और सुबह स्नान आदि कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करे। इसके बाद नियमित रूप से हनुमान जी की उसी प्रकार पूजा करे जैसे हर मंगलवार को करते हैं 21 मंगलवार के व्रत पूर्ण होने के बादहनुमान जी को सिंदूरी रंग के वस्त्र चढ़ाएं । पूजा के बाद 21 ब्राह्मणों को दान दें।

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