Mangalvar Mantra: हनुमान जी की बरसेगी अपरंपार कृपा, इन उपायों से जीवन में लाएं समृद्धि
Mangalvar Mantra: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के साथ इन नियमों और उपाय को आजमाकर अपने जीवन में खुशहाली लायें, जानिए मंगलवार मंत्रा...
Mangalvar Mantra: मंगलवार - शनिवार का भक्त हनुमानजी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन संकटमोचन की पूजा करने से जीवन में शुभता आती है। इसलिए भक्तों को बजरंगबली की पूजा करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में मंगलवार-शनिवार के दिन हनुमान जी के किसी मंदिर में जाकर हनुमानाष्टक का पाठ करें और उन्हें लाल चोला चढ़ाएं। यह उपाय कम से कम 7 शनिवार तक करें। ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा उपाय हैं जिनसे हनुमान जी की कृपा हम पर बनी रहेगी।
गरीबी दूर करने के लिए मंगलवार के उपाय
मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमानजी को 11 पीपल के पत्ते चढ़ाने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ये पत्ते कटे या खंडित न हों।
मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर 11 पीपल के पत्ते तोड़ लें और इन पत्तों पर कुमकुम से जय श्री राम लिखें और फिर हनुमान चालीसा का जाप करें। फिर हनुमानजी को पत्तों की माला चढ़ाएं।
मंगलवार के दिन नारियल का उपाय करने से हर समस्या से राहत मिलती है। इस दिन हनुमान मंदिर में एक पानी वाला नारियल ले जाएं और उसे अपने सिर के ऊपर से 7 बार वार लें और हनुमान जी की मूर्ति के सामने फोड़ दें।
हनुमान जी को कुमकुम लगाना पसंद है इसलिए मंगलवार के दिन बजरंगबली को सिन्दूर का चोला चढ़ाएं। सिन्दूर और चमेली का तेल अर्पित करें। मंगलवार के दिन यह उपाय करने से धन संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
हनुमान जी को तुलसी बहुत प्रिय है। हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। इस उपाय को करने से हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के हर दुख को हर लेते हैं।
॥ हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहूँ लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट कहु सों जात न तारो।
देवन आनि करि बिनती तब,
छडी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो॥॥
बाली की ट्रैस कपीस बसैन गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि सप दियो तब,
कौन बिचार बिचारो।
कैर्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥
अंगद के संग लेन गए सिया,
खोज कपिस यह बैन उचारो।
जीवत न बचिहौ हम सो जू,
बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लिंक सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥
रावण त्रास दई सिया को सब,
राक्षसी सों कहि सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान् महाप्रभु,
जय महारजनीचर मेरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥
बन लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावण मारो।
लै गृह बद्य सुषेण सहित,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ नीचे टैब,
लछिमन के तुम प्राण उबारो ॥॥
रावण जुड़ अजान कियो तब,
नाग की फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ सहित सबै दल,
मोह भयो यह संकट भरो।
आनि खगेस तबै हनुमान जू,
बंधन कटि सूत्रस निवारो॥ ॥
बन्धु सहित जाबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पाताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भली विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाये भयो तब ही,
अहिरावण सैन्य सहित संहारो॥॥
काज़ के बड़े देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो दृष्ट नहिं जात है तारो।
बेगी हरो हनुमान् महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो॥॥
॥ दोहा॥
लाल देह लाली लेसे,
अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर॥